आने वाले 7 अक्टूबर से हिमाचल प्रदेश के चिकित्सक 2 घंटे की पेन डाउन स्ट्राइक करने जा रहे हैं| उनका कहना है कि उनकी डिमांड को अभी तक माना नहीं गया है जिनमें से प्रमुख हैं:
नंबर 1 हिमाचल स्वास्थ्य निदेशक की सेवानिवृति के बाद स्वास्थ्य निदेशक के पद को अब तक नहीं भरा गया है। स्वास्थ्य निदेशक के पद को संयुक्त निदेशकों में से किसी एक को पदोन्नत करके शीघ्र भरा जाए।
नंबर 2 हिमाचल प्रदेश शिक्षक संघ में से ही किसी भी चिकित्सक की सेवा विस्तार के विरोध में रहा है। प्रदेश में पहले से ही अधिकतर बेरोजगार युवा चिकित्सक मौजूद हैं और किसी भी चिकित्सक को सेवा विस्तार देना युवा चिकत्सकों के भविष्य के साथ खिलवाड़ है। जिन अधिकारियों की सेवा विस्तार दिया गया उन्हें शीघ्र ही समापत् किया जाए और युवाओं को रोजगार तुरंत दिया जाए|
नंबर 3 अनुबंध पर चयनित शिक्षकों को ग्रेड पे का 150% मानदेय कुछ चिकत्सकों को नहीं दिया गया है ,उसे जल्दी से जल्द एरियर के साथ बहाल किया जाए।
फरवरी माह में भी संघ ने संयुक्त प्रदेश संघर्ष कमेटी के आह्वान पर संघर्ष का रास्ता अपनाया था लेकिन अब तक चिकत्सकों की मांगों को नहीं माना गया है |इन सभी मांगों को लेकर सरकार ने एक कमेटी का गठन किया था किंतु अब तक उसका कोई ठोस परिणाम सामने नहीं आया है।
नए वेतन आयोग में चिकत्सकों को 4-9-14 का टाइम स्केल रोक दिया गया है अतः इसे भी शीघ्र बहाल किया जाए। साथ ही विशेषज्ञ चिकित्सकों की स्नातकोत्तर भते की देए राशि कई बरसों से नहीं बढ़ाई गई है इसमें भी शीघ्र वृद्धि की जाए। मेडिकल कॉलेज में सेवाएं दे रहे फैकल्टी मेंबर्स को भी एकेडमी ऐलोअन्स अभी तक नहीं दिया गया है , इसको भी शीघ्र दियाजाए।
हिमाचल प्रदेश में सरकारी अस्पतालों में कार्यरत सभी डॉक्टरों का एकमात्र सरकार से निवेदन है कि वह जल्द से जल्द उनकी बातों को सुने और उनका समाधान करें।