हिमाचल सीएम Jai Ram Thakur पर भाजपा को सत्ता में वापस लाने का जिम्मा, टिकट आवंटन में भी निभाएंगे मुख्य भूमिका।हिमाचल प्रदेश (Himachal Pradesh) में चुनावी बिसात बिछ चुकी है। इस बार भी सत्तारूढ भारतीय जनता पार्टी (BJP) को सत्ता में वापिस लाने का सारा दारोमदार सीएम जयराम ठाकुर (Jai Ram Thakur) पर ही है।उनके सामने एक ऐसे प्रदेश में पार्टी की सत्ता को बरकरार रखना है, जहां पिछले 32 सालों से सरकारें बदलती रही हैं। तो दूसरी और सत्तारूढ़ दल भाजपा को सत्ता विरोधी लहर और आंतरिक गुटबाजी का डर भी सता रहा है। लेकिन पार्टी नेतृत्व किसी भी सूरत में यहां चुनाव जीतना चाहता है। यही वजह है कि पार्टी ने 57 वर्षीय जय राम ठाकुर के कंधों पर इसकी जिम्मेदारी दे दी है। वहीं, टिकट आबंटन से लेकर अगली सरकार बनाने तक जय राम ठाकुर अहम रोल अदा करेंगे।
जयराम ठाकुर प्रदेश की राजनीति में ताकतवर नेता के रूप में उभर कर सामने आये हैं। प्रदेश के दूसरे नेताओं के मुकाबले जय राम ठाकुर कम उम्र के नेता हैं। हालांकि, पिछले चुनावों के नतीजे सामने आने तक उनका वजूद ऐसा नहीं था। लेकिन प्रेम कुमार धूमल को सुजानपुर से मिली हार ने प्रदेश की राजनिति की तस्वीर ही बदल कर रख दी और जय राम ठाकुर को इस राजनैतिक दुर्घटना ने सीएम बना दिया।
हिमाचल प्रदेश में सत्तारूढ़ दल भाजपा व मुख्यमंत्री जय राम ठाकुर के बढ़ते प्रभाव से राजनीति बदली-बदली सी नजर आ रही है। हालांकि, कुछ माह पहले तक यही कयास लगाये जा रहे थे कि प्रदेश में पार्टी नेतृत्व अगले चुनावों को देखते हुए उत्तराखंड की तर्ज पर नया सीएम बना सकती है। लेकिन बदले हालातों में जय राम ठाकुर को मजबूती मिली है और चुनाव उन्हीं के नेतृत्व में लडा जाना लगभग तय हो गया है। तो वहीं, 2022 के चुनावों में जय राम ठाकुर के सामने पार्टी के भीतर कोई चुनौती तो नहीं मिल रही, लेकिन पार्टी को सत्ता में वापिस लाना उनके ही जिम्मे हैं। भले ही प्रदेश में 1990 के बाद कोई भी दल सत्ता में वापसी नहीं कर पाया है और यहां सत्ता में अदला बदली एक रिवाज का रूप ले चुका है।
हिमाचल भाजपा के अहम किरदार जय राम ठाकुर प्रदेश के जिला मंडी के सिराज से चुनकर आते हैं। एक साधारण परिवार और राज मिस्त्री के बेटे जय राम ठाकुर ने एबीवीपी से अपनी राजनीति शुरू की। भाजपा के छात्र संगठन के जय राम ठाकुर 1986 में संयुक्त सचिव बनाये गये। करीब चार साल तक जम्मू कश्मीर में एबीवीपी के संगठन मंत्री भी रहे। उसके बाद भाजपा युवा मोर्चा के प्रदेश अध्यक्ष बने। बाद में भाजपा में आने पर उन्हें मंडी जिला भाजपा का अध्यक्ष बनाया गया। उसके बाद 2006 में जय राम ठाकुर प्रदेश भाजपा अध्यक्ष बने। उन्होंने चच्योट और सराज से पांच बार चुनाव जीता। डिलिमिटेशन से पहले मंडी जिला का सराज चच्योट के नाम से ही जाना जाता था। 1998 के बाद सराज विधानसभा क्षेत्र बना।
जय राम ठाकुर 2009 से लेकर 2012 तक भाजपा सरकार में पंचायती राज मंत्री भी रहे। लेकिन 2017 के चुनाव जयराम ठाकुर के लिए टर्निंग प्वाइंट साबित हुए, जब भाजपा के सीएम पद के दावेदार प्रेम कुमार धूमल खुद ही सुजानपुर से चुनाव हार गये। पार्टी ने लो प्रोफाइल नेता जय राम ठाकुर को उनकी जे.पी नड्डा से नजदीकियों के चलते सीएम बनाने का निर्णय लिया। उनकी संघ परिवार से नजदीकियों का लाभ भी उन्हें मिला और वह आसानी से सीएम बन गये। लेकिन पार्टी के अंदर धूमल गुट के साथ उनके रिश्ते खटास भरे ही रहे। पार्टी के एक बडे वर्ग का मानना रहा है कि ठाकुर एक्सीडेंटल सीएम हैं। दलील दी जाती रही है कि अगर धूमल चुनाव हारे न होते तो शायद जय राम भी सीएम नहीं बन पाते।
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पार्टी में अंदरूनी खींचतान का ही परिणाम रहा कि मंडी लोकसभा उपचुनाव और तीन विधानसभा उपचुनावों में भाजपा को करारी हार का सामना करना पडा। यही नहीं उनका कार्यकाल कई कारणों से विवादों में रहा। उनकी सरकार ने जहां बार बार अपने मुख्य सचिव बदले तो डीजीपी भी बदलते रहे। वहीं, प्रदेश पुलिस में कांस्टेबल पेपर लीक कांड हो या प्रदेश लोक सेवा आयोग के चेयरमैन की नियुक्ति का मामला, जय राम हमेशा ही विरोधियों के निशाने पर रहे। वहीं, चुनाव नजदीक आते ही कई भाजपा नेताओं ने कांग्रेस का दामन थाम लिया। इस पर भले ही हो हल्ला होता रहा हो, लेकिन हर बार नड्डा के वरदहस्त के चलते ठाकुर साफ बच निकले। आज उनके सामने कोई चुनौती नहीं है।
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