Parenting Tips: बच्चों के शरीर में मां के दूध के जरिए जा रहा है प्लास्टिक, बच्चे को दूध पिलाने से पहले हो जाएं सावधान।बच्चों के मानसिक और शारीरिक विकास के लिए मां का दूध बहुत जरूरी है। डॉक्टर जन्म के बाद 6 महीने तक सिर्फ मां का दूध ही पिलाने की सलाह देते हैं।क्योंकि मां के दूध में ऐसे पोषक तत्व होते हैं जो बच्चे को बीमारियों से लड़ने में मदद करते हैं। हालाँकि, इन दिनों मानव दूध के बारे में जानकारी सामने आई है, जिसने सभी माताओं की चिंता बढ़ा दी है।
बच्चों के शरीर में जाता है प्लास्टिक
अब प्लास्टिक का खतरा मां के दूध तक भी पहुंच गया है। जी हां, एक स्टडी में खुलासा हुआ है कि इंसान के दूध में माइक्रोप्लास्टिक कण पाए गए हैं। यानी माइक्रोप्लास्टिक मां के दूध के जरिए बच्चों के शरीर में प्रवेश कर रहा है। इटली की पोलितनिका यूनिवर्सिटी के वैज्ञानिकों ने डिलीवरी के एक हफ्ते बाद 34 माताओं के दूध के नमूनों का अध्ययन किया, जिसमें यह बात सामने आई।
34 माताओं के दूध के नमूने लिए गए
पॉलीमर्स जर्नल में प्रकाशित एक रिपोर्ट के अनुसार मानव दूध में पॉलीइथाइलीन, पीवीसी और पॉलीप्रोपाइलीन जैसे खतरनाक रसायनों से बने माइक्रोप्लास्टिक कण पाए गए हैं। बताया जा रहा है कि एक हफ्ते पहले रोम, इटली में जन्म देने वाली 34 स्वस्थ माताओं के नमूनों में 75 प्रतिशत माइक्रोप्लास्टिक कण पाए गए।
माताओं को प्लास्टिक से दूर रहना चाहिए
प्लास्टिक के कण पहाड़ों और ध्रुवीय क्षेत्रों जैसे दूरस्थ स्थानों में भी पाए गए हैं, जो भोजन, पानी और हवा के माध्यम से मानव शरीर में प्रवेश करते हैं। ये कण कैंसर का कारण भी बन सकते हैं। ऐसे में गर्भवती महिलाओं और स्तनपान कराने वाली माताओं को प्लास्टिक के कंटेनर में खाना खाने या प्लास्टिक के कंटेनर में पानी पीने से बचने की सलाह दी जा रही है।
प्लास्टिक से हो रहे हैं बच्चे प्रदूषित
इससे पहले शोधकर्ताओं ने यह भी दावा किया था कि बच्चों को बोतल से दूध पिलाने पर हर दिन एक मिलियन से अधिक माइक्रोप्लास्टिक शरीर में प्रवेश करते हैं। शोधकर्ताओं का यह भी कहना है कि औसत व्यक्ति प्रति सप्ताह लगभग 5 ग्राम प्लास्टिक की खपत करता है। अब यह स्पष्ट है कि स्तनपान कराने वाली माताएं भी अपने बच्चों को प्लास्टिक से दूषित कर रही हैं।
महिलाएं सावधान रहें
आज लगभग सभी विशेषकर महिलाएं प्लास्टिक, सफाई उत्पादों, कपड़े और अन्य घरेलू सामानों में पाए जाने वाले रसायनों के संपर्क में हैं। जिससे कैंसर का खतरा बढ़ने के साथ-साथ बच्चों की ग्रोथ रुकने जैसी समस्या भी हो सकती है। हालांकि इससे बचना नामुमकिन है, लेकिन बच्चों द्वारा निगले जाने वाले प्लास्टिक-लेपित फलों और सब्जियों और खिलौनों को कम खरीदकर इसे कुछ हद तक ठीक किया जा सकता है।
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