शहीद सैनिकों के आश्रितों को दी जाने वाली अनुग्रह राशि की दरों में सम्मानजनक वृद्धि

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हिमाचल प्रदेश को देवभूमि के साथ-साथ वीरभूमि भी कहा जाता है। प्रदेश से हजारों युवा देश की सरहदों की रक्षा के लिए सेना में अपनी सेवाएं प्रदान करने के लिए तत्पर रहते हैं। वीर सैनिकों एवं उनके आश्रितों के कल्याण के लिए प्रदेश सरकार द्वारा अनेक योजनाएं संचालित की जा रही हैं। वर्तमान प्रदेश सरकार ने युद्ध अथवा सैन्य ऑपरेशन के समय हुए शहीद या दिव्यांग सैनिकों के आश्रितों को दी जाने वाली अनुग्रह राशि की दरों में सम्मानजनक वृद्धि की है।
युद्ध या युद्ध जैसी परिस्थितियों में शहीद सैनिक, जिनमें सशस्त्र सेना व अर्द्धसैनिक बलों के जवान शामिल हैं, उन्हें पूर्व में प्रदत्त 20 लाख रुपये की अनुग्रह राशि को बढ़ाकर 30 लाख रुपये किया गया है। इसी प्रकार बीमारी या किन्हीं अन्य कारणों से मृत्यु की स्थिति में सैनिक के आश्रितों को प्रदत्त अनुग्रह राशि को 05 लाख रुपये से बढ़ाकर 7.50 लाख रुपये किया गया है। 50 प्रतिशत या इससे अधिक दिव्यांगता वाले सैनिक जो इस कारण सेवानिवृत्त हुए हों, उन्हें दी जाने वाली अनुग्रह राशि को 2.50 लाख रुपये से बढ़ाकर 3.75 लाख रुपये किया गया है। 50 प्रतिशत से कम की दिव्यांगता वाले सैनिक जो इन्हीं कारणों से सेवानिवृत्त हुए हों, उन्हें पूर्व में प्रदत्त एक लाख रुपये की अनुग्रह राशि को बढ़ाकर 1.50 लाख रुपये किया गया है। वर्तमान प्रदेश सरकार द्वारा वित्त वर्ष 2023-24 के दौरान अभी तक 22 लाभार्थियों को 2 करोड़ 22 लाख रुपये की अनुग्रह राशि वितरित की गई है।
प्रदेश सरकार विभिन्न शौर्य पुरस्कारों से सम्मानित भूतपूर्व सैनिकों को उनकी बहादुरी के सम्मान में नकद पुरस्कार, वार्षिकी व भूमि की एवज़ में नकद राशि प्रदान करती है। शौर्य पुरस्कार और उत्कृष्ट सेवा पुरस्कार विजेताओं को यह राशि प्रदान की जा रही है। वर्तमान प्रदेश सरकार द्वारा अभी तक 365 लाभार्थियों को 73,93,975 रुपये की राशि वितरित की गई है।
पूर्व सैनिकों के पुनरुत्थान व पुनर्वास के लिए भी विशेष निधि के तहत विभिन्न योजनाएं संचालित की जा रही हैं। पूर्व सैनिकों एवं उनके बच्चों को विशेष निधि के अन्तर्गत विभिन्न छात्रवृत्तियां प्रदान की जा रही हैं। इसके लिए वार्षिक आय की अधिकतम सीमा 07 लाख रुपये निर्धारित की गई है। यह छात्रवृत्तियां स्नातकोत्तर पाठ्यक्रम, बहुतकनीकी व कृषि विश्वविद्यालय, मेडिकल व इंजीनियरिंग तथा आयुर्वेद जैसे व्यावसायिक पाठ्यक्रम सहित आईटीआई व अन्य ऐसे ही पाठ्यक्रमों के लिए प्रदान की जाती हैं।
प्रदेश सरकार द्वारा पूर्व सैनिकों के लिए रोजगार में 15 प्रतिशत आरक्षण का भी प्रावधान किया गया है। पद के लिए पात्रता और योग्यता अनुसार पूर्व सैनिक उपलब्ध नहीं होने पर अधिसूचना के 02 वर्ष बाद ऐसे पदों का अप्राप्यता प्रमाण पत्र संबंधित विभाग को दिया जाता है। इसके उपरांत संबंधित विभाग द्वारा नियमावली के अनुसार इन पदों पर पूर्व सैनिकों के बच्चांें की नियुक्ति की जाती है। वर्तमान प्रदेश सरकार द्वारा इस वर्ष अभी तक 300 पूर्व सैनिकों अथवा उनके आश्रितों को नियुक्तियां प्रदान की गई हैं।
प्रदेश सरकार द्वारा युद्ध विधवाओं की पुत्री की शादी के लिए 50 हजार रुपये की एकमुश्त आर्थिक सहायता प्रदान की जाती है। यह सहायता केवल दो पुत्रियों के लिए लागू है। ऐसे भूतपूर्व सैनिक जिन्हें किसी प्रकार की पेंशन नहीं मिलती तथा जिनकी आयु 60 वर्ष से अधिक है, इस श्रेणी के भूतपूर्व सैनिकों अथवा उनकी विधवाओं को 3000 रुपये प्रतिमाह तथा द्वितीय विश्व युद्ध के भूतपूर्व सैनिकों अथवा उनकी विधवाओं को क्रमशः 10000 व 5000 रुपये प्रतिमाह वृद्धावस्था पेंशन बतौर आर्थिक सहायता उपलब्ध करवाई जा रही है। वर्तमान प्रदेश सरकार द्वारा इस वित्त वर्ष में अभी तक 1162 लाभार्थियों को एक करोड़ 48 लाख 34 हजार 969 रुपये के लाभ प्रदान किए गए हैं। वर्तमान सरकार ने बुढ़ापा पेंशन के लिए 35 हजार रुपये की आय सीमा को भी 02 सितम्बर, 2023 से समाप्त कर दिया है।
मुख्यमंत्री ठाकुर सुखविंदर सिंह सुक्खू का कहना है कि हमारे वीर सैनिक देश की सरहदों को सुरक्षित रखने में अपना सर्वस्व बलिदान करने के लिए तत्पर रहते हैं। इसी कारण हम सभी स्वयं को सुरक्षित महसूस कर पाते हैं। प्रदेश सरकार इन वीर जवानों, पूर्व सैनिकों एवं उनके आश्रितों के कल्याण के लिए प्रतिबद्ध है। हमारी सरकार ने पूर्व सैनिकों के लिए आरक्षित 15 प्रतिशत पदों को प्राथमिकता के आधार पर भरने का प्रावधान अपने प्रथम बजट में ही किया है।

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