जिनके परिवार में किसी को है कैंसर, ऐसे लोग रहें ज्यादा सावधान, कैंसर रोग विशेषज्ञ डा. ललित मोहन बेरी की सलाह। स्वामी राम कैंसर संस्थान (Swami Ram Cancer Institute Haldwani) के कैंसर रोग विशेषज्ञ डा. ललित मोहन बेरी (Oncologist Dr. Lalit Mohan Berry) ने कहा कि कैंसर (cancer) होने के तमाम कारण हैं, लेकिन अधिकांश लोग आनुवांशिक और कुछ अहम कारणों की अनदेखी कर देते हैं।
जबकि इस तरह की स्थिति में अधिक सतर्कता बरतने की जरूरत रहती है।
30 की उम्र से पहले बच्चा मतलब खतरा कम
डॉ. बेरी ने कहा कि अगर 30 वर्ष की उम्र से पहले ही बच्चे पैदा हो जाते हैं तो महिलाओं में स्तन कैंसर (Breast cancer) का खतरा बहुत कम हो जाता है। साथ ही जो महिलाएं अपने बच्चों को जितनी देर तक स्तनपान कराती हैं, उन्हें भी ब्रेस्ट कैंसर होने की आशंका कम हो जाती है। डा. बेरी रविवार को दैनिक जागरण कार्यालय में हैलो डाक्टर कार्यक्रम में उपस्थित थे। उन्होंने कुमाऊं भर से फोन करने वाले लोगों को ब्रेस्ट कैंसर के साथ ही अन्य तमाम तरह के कैंसर के कारण, लक्षण, बचाव व उपचार पर परामर्श दिया। अक्टूबर को ब्रेस्ट कैंसर जागरूकता माह के रूप में भी मनाया जा रहा है।
ये भी हैं कैंसर के अहम कारण
आनुवांशिक
तंबाकू का सेवन
एल्कोहल
मोटापा
इसलिए बढ़ रहा ब्रेस्ट कैंसर
अल्मोड़ा के एक मरीज सुरेंद्र सिंह ओर से पूछे गए सवाल के जवाब में डा. बेरी ने कहा, ब्रेस्ट कैंसर पहले से ज्यादा बढ़ने का कारण लड़कियों की देर से शादी, स्तनपान न कराना, माहवारी का समय से पहले होना या मेनोपाज बाद में होना, निष्क्रिय जीवनशैली और गलत खानपान भी है।
जागरूक रहें और कैंसर से बचें
बिंदुखत्ता से एलएस जग्गी और सितारंगज से एक महिला की ओर पूछे गए सवाल के जवाब में डा. बेरी बताते हैं, जिनके परिवार में किसी न किसी को कैंसर हुआ है, जिनकी उम्र 45 से 65 है, अविवाहित हैं और जिनके बच्चे 30 वर्ष के बाद हुए हैं, इन्हें हाई रिस्क ग्रुप में रखा जाता है। इन्हें अधिक जागरूक रहने की जरूरत है, ताकि कैंसर को होने से पहले ही रोका जा सके।
घबराएं नहीं, शुरुआती स्टेज में इलाज से राहत
इलाज को लेकर भी कई कैंसर मरीजों ने परामर्श लिया। इस पर कैंसर रोग विशेषज्ञ ने कहा कि अगर शुरुआती स्टेज में ब्रेस्ट कैंसर का पता चल जाता है तो इलाज संभव है। दूसरी व तीसरी स्टेज में भी इलाज हो सकता है, लेकिन समय लगता है। इसलिए घबराने की जरूरत है। इस समय स्वामी राम कैंसर संस्थान में आयुष्मान कार्ड धारकों के लिए निश्शुल्क इलाज की सुविधा है।
मेमोग्रोफी से बेहतर खुद का परीक्षण
मैमोग्राफी से बेहतर खुद परीक्षण करने की सलाह दी जाती है। डा. बेरी ने बताया कि दोनों स्तनों का आकार समान होना चाहिए या फिर गांठ, त्वचा में असमानता, इस तरह के कुछ लक्षण दिखते हैं तो डाक्टर से परामर्श लें। इसके अतिरिक्त भूख न लगना, वजन अचानक कम होना भी लक्षण हैं।
इन बातों का जरूर रखें ध्यान
हरे पत्तीदार सब्जियां खाएं
फलों नियमित सेवन करें
कच्दी हल्दी का सेवन नियमित करें
नियमित दो घंटे व्यायाम करें
हाईट के अनुसार वजन रखें
http://dhunt.in/EsAb3?s=a&uu=0x5f088b84e733753e&ss=pd Source : “जागरण”
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