बाली में पीएम मोदी ने क्या चेतावनी दे दी?

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बाली में पीएम मोदी ने क्या चेतावनी दे दी?। दुनिया का 85 प्रतिशत पैसा, 80 प्रतिशत व्यापार, 65 प्रतिशत आबादी,अगर इन सबको एक मंच पर इकट्ठा किया जाए तो क्या होगा? ऐसा करने पर ग्रुप ऑफ़ ट्वेंटी या G20 बनेगा. 19 देशों और यूरोपियन यूनियन का गठजोड़।

इसी G20 का शिखर सम्मेलन इंडोनेशिया के बाली में शुरू हो चुका है. इस समिट में दुनिया के सबसे विकसित और विकासशील देश हिस्सा ले रहे हैं. वे दुनिया की लगभग दो-तिहाई आबादी का प्रतिनिधित्व कर रहे हैं. लेकिन उनके लिए फ़ैसलों का असर पूरी दुनिया पर पड़ता है.

तो, आज हम जानेंगे,

– इस बार की G20 समिट किन मायनों में ख़ास है?
– G20 समिट के पहले दिन क्या-क्या हुआ?
– और, पीएम मोदी ने समिट में क्या कहा?

आज हम बाली में चल रहे G20 समिट के पहले दिन का लेखा-जोखा देंगे.

पहले एक सार बता देते हैं.

– G20, दुनिया के 19 देशों और यूरोपियन यूनियन से मिलकर बना है. यूरोपियन यूनियन में 27 देश हैं. इस लिहाज से G20 में कुल 46 देश आते हैं.

– यूएन सिक्योरिटी काउंसिल के पांचों स्थायी सदस्य G20 का भी हिस्सा हैं.

– रूस G7 में नहीं है, लेकिन वो G20 में बना हुआ है. इस वजह से इस संगठन की अहमियत बढ़ जाती है.

– G20 की स्थापना 1999 में की गई थी. शुरुआत में इनके सम्मेलन में सदस्य देशों के वित्तमंत्री और सेंट्रल बैंक के गवर्नर्स शामिल होते थे. 2008 में सदस्य देशों के शीर्ष नेताओं की पहली बैठक हुई. 2011 से ये बैठक सालाना होने लगी.

– G20 की अध्यक्षता हर साल बदलती रहती है. समिट का एजेंडा मौजूदा मेज़बान, एक साल पहले के मेज़बान और अगले मेज़बान मिलकर तय करते हैं. इस तिकड़ी को त्रोइका कहा जाता है. जैसे, इस साल की समिट इंडोनेशिया के बाली में हो रही है. पिछली बार की समिट इटली के रोम में आयोजित हुई थी. अगले साल ये भारत में होगा. इसलिए, इस बार की समिट का एजेंडा इटली, इंडोनेशिया और भारत, तीनों ने मिलकर तय किया है.

– G20 ने व्यापार, हेल्थ, क्लाइमेट चेंज समेत कई अहम मुद्दों पर अंतरराष्ट्रीय सहमति बनाने में मदद की है.

– G20 ने अतीत में 2008 की वैश्विक मंदी, ईरान के न्युक्लियर प्रोग्राम, सीरिया के सिविल वॉर और कोविड-19 वैक्सीन डिप्लोमेसी जैसे मुद्दों पर मिलकर काम किया है.

– G20, यूएन या आसियान की तरह कोई औपचारिक संगठन नहीं है. इसका अपना कोई मुख्यालय नहीं है. G20 समिट में लिए गए फ़ैसले सदस्य देशों की मर्ज़ी पर निर्भर होते हैं. इन्हें मानने की कोई बाध्यता नहीं होती.

फिलहाल, हम इस बार की समिट की तरफ़ बढ़ते हैं.

बाली में चल रही समिट चार वजहों से ख़ास है. एक-एक कर समझ लेते हैं.

– पॉइंट वन. रूस-यूक्रेन युद्ध.

दोनों देशों के बीच लड़ाई फ़रवरी 2022 से चल रही है. इसके हाल-फिलहाल थमने की कोई संभावना नहीं है. रूस-यूक्रेन युद्ध भले ही दो देशों के बीच लड़ा जा रहा हो, लेकिन इसने पूरी दुनिया को प्रभावित किया है. हालिया समय में रूस को खेरसोन और खारकीव के मोर्चे पर हार झेलनी पड़ी है. जिसके बाद से यूक्रेन पर परमाणु हमले की आशंका भी जताई जा रही है. इसी को लेकर 14 नवंबर को तुर्किए में अमेरिका और रूस की खुफिया एजेंसियों के डायरेक्टर मिले. अमेरिका का दावा है कि इसमें सीआइए के डायरेक्टर ने रूस को चेतावनी दी. कहा कि परमाणु हमले की भारी कीमत चुकानी पड़ेगी.

पीएम मोदी अमेरिका के राष्ट्रपति जो बाइडन से मिलते हुए (फोटो-AP)
G20 की समिट शुरू होने से एक दिन पहले बाली में अमेरिका के राष्ट्रपति जो बाइडन और चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग की मीटिंग हुई. जो बाइडन के राष्ट्रपति बनने के बाद ये दोनों नेताओं की पहली आमने-सामने की मुलाक़ात थी. इस मीटिंग में भी रूस-यूक्रेन युद्ध का मसला उठा. मुलाक़ात के बाद वाइट हाउस की तरफ़ से जारी बयान में कहा गया कि दोनों नेताओं ने यूक्रेन में परमाणु हथियारों के इस्तेमाल का विरोध किया.

अमेरिका के राष्ट्रपति जो बाइडन और चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग (AP)
15 नवंबर को समिट शुरू हुई. इस बार यूक्रेन के राष्ट्रपति वोलोदिमीर ज़ेलेन्स्की को बोलने का विशेष न्यौता दिया गया था. उन्होंने अपने भाषण में युद्ध खत्म करने की अपील दोहराई. उन्होंने युद्ध के खात्मे के लिए 10 शर्तें रखीं है. ज़ेलेन्स्की ने अपने पूरे भाषण में G20 की जगह G19 का नाम लिया. वो रूस को दरकिनार करते रहे. रूस G20 का हिस्सा तो है, लेकिन उनके राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन बाली नहीं आए हैं. उनकी जगह पर रूस के विदेशमंत्री सर्गेई लावरोव हिस्सा ले रहे हैं. कहा जा रहा है कि G20 के देश रूस पर युद्ध रोकने को लेकर दबाव बनाएंगे. हालांकि, रूस इस दबाव के आगे झुक जाएगा, इसकी बहुत कम संभावना है. जकार्ता पोस्ट की रिपोर्ट के अनुसार, फ़्रांस के राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों समिट के बाद पुतिन को फ़ोन करेंगे. इसमें वो शांति का प्रस्ताव रख सकते हैं.

– पॉइंट टू. बढ़ती महंगाई.

इस बार की G20 समिट ऐसे दौर में हो रही है, जब कई देशों में 2008 जैसी वैश्विक मंदी की आशंका बढ़ी हुई है. कई देशों में महंगाई चरम पर है. लाखों लोग ग़रीबी रेखा से नीचे पहुंच गए हैं. इसकी एक बड़ी वजह रूस-यूक्रेन युद्ध है. रूस और यूक्रेन खाद्य उत्पादन में अग्रणी रहे हैं. युद्ध की शुरुआत के बाद से अनाज का निर्यात प्रभावित हुआ है. इसका सबसे अधिक असर आर्थिक दृष्टि से कमज़ोर अफ़्रीकी देशों पर पड़ा है. G20 के सदस्य अर्जेंटीना और तुर्किए खाद्य महंगाई से सबसे अधिक परेशान हैं. महंगाई का असर भारत और साउथ अफ़्रीका जैसे विकासशील देशों पर भी पड़ा है. हालांकि, दोनों देशों ने रूस के आक्रामक रवैये के ख़िलाफ़ कोई बयान नहीं दिया है.

– पॉइंट तीन. कोल्ड वॉर की आशंका.

G20 समिट से पहले तक देशों के अलग-अलग ध्रुवों में बंटने की बात चल रही थी. रूस और चीन का अलग गुट बन रहा था. ताइवान के मसले पर चीन और अमेरिका भिड़े पड़े थे. इसी तरह, ऑस्ट्रेलिया, कनाडा और ब्रिटेन के साथ भी चीन के रिश्ते बिगड़े हुए थे. 14 नवंबर को बाइडन और जिनपिंग की मुलाक़ात लगभग तीन घंटे तक चली. इस तनाव को कम करने की कोशिश हुई. 15 नवंबर को जिनपिंग ऑस्ट्रेलिया के प्रधानमंत्री एंथनी अल्बनीज़ और फ़्रांस के राष्ट्रपति मैक्रों से भी मिले. जानकारों का दावा है कि इससे तकरार का ताप ज़रूर कम होगा.

– पॉइंट चार. क्लाइमेट चेंज.

2015 के पेरिस क्लाइमेट एग्रीमेंट हुआ था. इसमें शामिल देशों ने इस सदी के अंत तक धरती के तापमान की वृद्धि दर डेढ़ डिग्री सेल्सियस तक सीमित करने की बात कही थी. इसको लेकर हर साल वादे किए जाते हैं. लेकिन धरातल पर कुछ नहीं उतरता. क्लाइमेट चेंज ने अपना प्रभाव दिखाना शुरू कर दिया है. इस साल पाकिस्तान में आई बाढ़ ने इसकी झलक दिखा दी है. बाली समिट में इस मुद्दे पर भी ज़रूरी बातें होने की संभावना है.

इस बार की समिट का एजेंडा क्या है?

बाली में हो रही समिट में तीन विषय फ़ोकस में रहेंगे – खाद्य और ऊर्जा सुरक्षा, डिजिटल ट्रांसफ़ॉर्मेशन और हेल्थ. 15 नवंबर की सुबह इंडोनेशिया के राष्ट्रपति जोको विडोडो के भाषण से समिट की आधिकारिक शुरुआत हुई. उन्होंने रूस-यूक्रेन युद्ध को खत्म करने की अपील की

आज के दिन का पहला सत्र खाद्य और ऊर्जा सुरक्षा पर केंद्रित था. इसमें पीएम मोदी ने भी हिस्सा लिया. उन्होंने भी रूस-यूक्रेन युद्ध में संघर्षविराम की अपील की. बोले,

– क्लाइमेट चेंज, कोविड महामारी, यूक्रेन में चल रहे युद्ध और उससे जुड़ी वैश्विक समस्याओं ने मिलकर दुनिया को तबाही की कगार पर ला दिया है. इससे ग्लोबल सप्लाई चेन तहस-नहस हो गई हैं. हमें इस बात को स्वीकार करने से भी संकोच नहीं करना चाहिए कि UN जैसी मल्टी-लैटरल संस्थाएं इन मुद्दों पर विफल साबित हो रही हैं. इसलिए आज जी-20 से दुनिया को अधिक अपेक्षाएं हैं. हमारे समूह की प्रासंगिकता और बढ़ी है. मैंने बार-बार कहा है कि हमें यूक्रेन मे संघर्षविराम और डिप्लोमेसी की राह पर लौटने का रास्ता खोजना होगा. पिछली शताब्दी में, दूसरे विश्व युद्ध ने दुनिया में कहर ढाया था. उस वक्त के लीडर्स ने शांति की राह पकड़ने की कोशिश की. अब हमारी बारी है.

– पीएम मोदी ने आगे कहा,

महामारी के दौरान भारत ने अपने 130 करोड़ नागरिकों की खाद्य सुरक्षा सुनिश्चित की. साथ ही दूसरे ज़रूरतमंद देशों को भी आपूर्ति की. खाद्य सुरक्षा के संदर्भ मे फ़र्टिलाइज़र्स की किल्लत भी बहुत बड़ा संकट है. आज के समय में फ़र्टिलाइज़र की कमी का मतलब है, कल के समय में खाद्य संकट. इसका समाधान दुनिया के पास नहीं होगा.

– पीएम मोदी ने ऊर्जा सुरक्षा को लेकर भी अपनी चिंता प्रकट की. बोले,

भारत की ऊर्जा सुरक्षा दुनिया के विकास के लिए बेहद ज़रूरी है. भारत दुनिया की सबसे तेज़ी से बढ़ रही अर्थव्यवस्था है. हमें एनर्जी की सप्लाई पर किसी भी तरह के प्रतिबंध को बढ़ावा नहीं देना चाहिए.इसके साथ ही हमें एनर्जी मार्केट में स्थिरता भी सुनिश्चित करनी चाहिए. भारत क्लीन एनर्जी और पर्यावरण के प्रति संकल्पित है. 2030 तक हमारी ज़रूरत की आधी बिजली नवीकरणीय ऊर्जा के स्रोतों से मिल रही होगी.

पीएम मोदी ने ये उम्मीद भी जताई कि भारत की अध्यक्षता में इन सारे मसलों पर सहमति बनाने की कोशिश की जाएगी. भारत 01 दिसंबर 2022 से G20 का अध्यक्ष बन रहा है. वो अगले बरस होने वाली समिट की मेज़बानी भी करेगा. इस लिहाज से भारत के पास समिट का एजेंडा तय करने का अधिकार होगा.

सेशन से अलग पीएम मोदी ने अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन और यूके के पीएम ऋषि सुनक के साथ भी मीटिंग की. G20 समिट से इतर प्रधानमंत्री मोदी ने इंडोनेशिया में भारतीय समुदाय को भी संबोधित किया. इस मौके पर उन्होंने भारत और इंडोनेशिया के सांस्कृतिक संबंधों पर बात की. उन्होंने अपने भाषण में इंडोनेशिया के विकास में भारतीय समुदाय के योगदान पर भी चर्चा की. पीएम मोदी ने भारतीय समुदाय के लोगों को जनवरी 2023 में आयोजित प्रवासी दिवस समारोह के लिए भी आमंत्रित किया है. इस बार का प्रवासी दिवस समारोह 8 से 10 जनवरी 2023 के बीच इंदौर में आयोजित होगा.

Source : “The Lallantop हिंदी”

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