हिमाचल का ‘किंग’ कौन? BJP बोली-बदलेगा रिवाज, कांग्रेस भी कर रही जीत के दावे

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हिमाचल का ‘किंग’ कौन? BJP बोली-बदलेगा रिवाज, कांग्रेस भी कर रही जीत के दावे । विधानसभा चुनाव का मतदान हो चुका है.चुनाव परिणाम8 दिसंबर को जारी किए जाएंगे. प्रदेश की 68 सीटों पर एक ही चरण में इस बार चुनाव हुए हैं.

इस बार भारतीय जनता पार्टी और कांग्रेस दोनों हिमाचल में सरकार बनाने के दावे कर रही हैं. वहीं, आम आदमी पार्टी भी प्रदेश में कई सीटों पर जीत का दावा कर रही है. इन सबके बीच, भारतीय जनता पार्टी की राज्य इकाई के प्रमुख सुरेश कश्यप ने कहा कि हिमाचल प्रदेश में भाजपा अपने दम पर स्थिर सरकार बनाएगी और सत्तारूढ़ दल के दोबारा सत्ता में नहीं लौटने के रिवाज को बदल देगी.

सुरेश कश्यप ने कहा कि पार्टी 12 नवंबर को हुए चुनाव के संबंध में उम्मीदवारों से फीडबैक लेगी. उन्होंने जोर देकर कहा कि पार्टी की जीत का सिलसिला जारी रहेगा. कांग्रेस पर निशाना साधते हुए प्रदेश भाजपा अध्यक्ष ने कहा कि पार्टी ने अपना अस्तित्व खो दिया है और इसके नेता अपनी वरिष्ठता दिखाने के लिए दिल्ली में डेरा डाले हुए हैं.

बीजेपी कर रही है समीक्षा बैठक

बता दें कि वोटिंग के बाद बीजेपी मंडल स्तर पर समीक्षा बैठकें आयोजित कर रही है. वह यह जानने की कोशिश कर रही है कि उसे हर बूथ से कितने वोट मिले . इस बार हिमाचल में कई नेता भाजपा से बागी होकर चुनावी मैदान में ताल ठोक रहे हैं. समीक्षा बैठक में कार्यकर्ताओं से यह भी पता लगाया जा रहा है कि बागी नेताओं ने वोटबैंक में कितनी सेंध लगाई है. उधर, कांग्रेस के नेताओं ने भी रिजल्ट आने से पहले ही अपनी बिसात बिछानी शुरू कर दी है. इस बार कांग्रेस नेता जीत को लेकर आश्वस्त नजर आ रहे हैं. हालांकि, अगर चुनाव में बहुमत तक नहीं पहुंच पाने की स्थिति में निर्दलीयों से भी संपर्क साध रहे हैं.

तीसरा मोर्चा हिमाचल में नहीं हुआ सफल

हिमाचल का पुराना इतिहास यही कहता है कि प्रदेश में कभी भी तीसरा मोर्चा ज्यादा सफल नहीं हुआ है. हिमाचल के मतदाता पिछले 42 सालों से कांग्रेस या भारतीय जनता पार्टी को ही अपना जनादेश दे रहे हैं. तीसरा दल कभी भी प्रदेश में मजबूती से नहीं उभरा. तीसरा दल बनाने का सबसे बड़ा प्रयास 1998 के चुनावों में हुआ था, जब मंडी के पंडित सुख राम ने हिमाचल विकास कांग्रेस पार्टी बनाई थी और पूरे प्रदेश में चुनाव लड़ा था. लेकिन पांच सीटें ही हासिल हुईं. इन्हीं पांच सीटों के बल पर उन्होंने भाजपा के साथ समझौता किया और प्रेम कुमार धूमल के नेतृत्व में गठबंधन सरकार बनी. बाद में 2004 में पंडित सुख राम ने अपनी हिविकां पार्टी का कांग्रेस में विलय कर दिया था।

Source : “TV9 Bharatvarsh”

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