प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी 11 दिसंबर, 2022 को नागपुर में नेशनल इंस्टीट्यूट फॉर वन हेल्थ की आधारशिला रखेंगे और हीमोग्लोबिनोपैथी के अनुसंधान, प्रबंधन और नियंत्रण केंद्र का उद्घाटन करेंगे।
चिकित्सा उत्कृष्टता के ये नए संस्थान, हमारी वंचित आबादी की सेवा के लिए स्वास्थ्य अनुसंधान को बढ़ाने में देश के प्रयासों में और तेजी लाएंगें। नागपुर के नेशनल इंस्टीट्यूट फॉर वन हेल्थ की आधारशिला और चंद्रपुर के आईसीएमआर-हीमोग्लोबिनोपैथी के अनुसंधान, प्रबंधन और नियंत्रण केंद्र का उद्घाटन प्रधानमंत्री ने स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण राज्य मंत्री डॉ. भारती प्रवीण पवार, भारत सरकार के स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय के स्वास्थ्य अनुसंधान विभाग के सचिव और भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद के महानिदेशक डॉ. राजीव बहल उपस्थिति में किया।
मनुष्यों और पशुओं- घरेलू और जंगली के बीच बढ़ते परस्पर संपर्क और जलवायु परिवर्तन से प्रभावित होने के कारण मानव स्वास्थ्य को अब अलग-अलग नहीं देखा जा सकता है। लोगों को होने वाले सभी संक्रमणों में से आधे से अधिक जानवरों द्वारा फैल सकते हैं। इस संदर्भ में नागपुर स्थित नेशनल इंस्टीट्यूट फॉर वन हेल्थ भारत के लिए एक महत्वपूर्ण बुनियादी ढांचागत उपलब्धि है। यह संस्थान नये और अज्ञात पशुजन्य एजेंटों की पहचान के लिए तैयारियों और प्रयोगशाला क्षमताओं को बढ़ाने पर ध्यान केंद्रित करेगा। यह समर्पित संस्थान जैव सुरक्षा स्तर (बीएसएल-IV) प्रयोगशाला से सुसज्जित होगा। यह सार्वजनिक स्वास्थ्य से संबंधित उभरते पशुजन्य एजेंटों के प्रकोप की जांच करने और बेहतर नियंत्रण कार्यनीतियां विकसित करने में सहायता करेगा।
मध्य भारत के विदर्भ क्षेत्र में विशेष रूप से जनजातीय आबादी में सिकल सेल रोग की व्याप्ति अधिक है और कुछ जनजातीय समूहों में अपेक्षित वाहक आवृत्ति 35 प्रतिशत तक अधिक है। इस मुद्दे और देश में इसी तरह के रोगों के प्रकोप को देखते हुए आईसीएमआर – हीमोग्लोबिनोपैथी के अनुसंधान, प्रबंधन और नियंत्रण केंद्र की स्थापना की गई है जो देश में हीमोग्लोबिनोपैथी और इसी प्रकार के रोगों पर अनुसंधान में अग्रणी भूमिका निभाएगा। केंद्र बायो-बैंकिंग और प्रोटिओमिक्स सुविधाओं सहित अत्याधुनिक नैदानिक व अनुसंधान सुविधाओं से सुसज्जित है, जो भारत को इस रोग पर परिवर्तनात्मक अनुसंधान करने में सक्षम बनाएगा। चिकित्सा उत्कृष्टता का यह केंद्र हीमोग्लोबिनोपैथी को समर्पित है, जो हीमोग्लोबिन के विरासत में मिले विकार हैं और इसमें अन्य के अतिरिक्त बी-थैलेसीमिया लक्षण और सिकल सेल रोग शामिल हैं। यह केंद्र सामुदायिक नियंत्रण कार्यक्रमों और ट्रांसनेशनल रिसर्च के माध्यम से युक्तिपूर्ण कार्य करेगा, जिससे चंद्रपुर और समीपवर्ती क्षेत्रों के रोगियों को लाभ होगा।
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