अब 5 लाख तक इनकम वालों को नहीं देना होगा टैक्स, सरकार कर रही तैयारी, जानिए प्लानिंग

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अब 5 लाख तक इनकम वालों को नहीं देना होगा टैक्स, सरकार कर रही तैयारी, जानिए प्लानिंग। इनकम टैक्स (Income Tax) आम आदमी जीवन में अन्य जरूरी चीजों की तरह ही बहुत ही महत्वपूर्ण है. 2023 के बजट (Budget 2023) को लेकर सरकार की तैयारियां शुरू हो चुकी हैं और लोगों को इस बार टैक्स स्लैब ( Tax Slab) में बदलाव किए जाने की उम्मीद है.

पूर्व बजट बैठकों की शुरुआत में ही इसे संशोधित करने की मांग उठने लगी है. केन्द्र सरकार दो साल पुरानी वैकल्पिक व्यक्तिगत आयकर व्यवस्था में कर-मुक्त स्लैब बढ़ाकर 5 लाख रुपए करने पर विचार कर रही है. एक सरकारी अधिकारी ने के मुताबिक, अभी करदाता की सालाना करयोग्य आय 2.50 लाख रुपए होने पर उसे कोई कर नहीं चुकाना होता है. कर-मुक्त स्लैब का दायरा बढ़ाने से करदाताओं पर कर बोझ कम हो जाएगा और उनके पास खर्च करने या उपयुक्त निवेश करने के लिए अधिक पैसे बचेंगे.

उन्होंने कहा कि अभी बहुत कम करदाताओं ने वैकल्पिक टैक्स व्यवस्था का विकल्प चुना है. करदाता धारा 80सी, धारा 80डी जैसी कर छूट का लाभ लेते हैं तो पुरानी व्यक्तिगत आयकर प्रणाली में टैक्स की देनदारी कम आती है. मगर नई व्यवस्था में किसी तरह की कटौती का फायदा नहीं मिलता. यह कदम इसलिए उठाया जा रहा है क्योंकि नई टैक्स व्यवस्था को बहुत कम लोगों ने अपनाया है.

अगले सप्ताह से शुरू होगा कर संबंधी एजेंडा

सूत्रों के मुताबिक आगामी बजट की तैयारियों के दौरान इस मुद्दे को उठाया गया है और संबंधित विभागों से व्यवस्था में सुधार के तरीके सुझाने को कहा गया है. अधिकारी का कहना कि बजट बनाने की कवायद के तहत कर संबंधी एजेंडा अगले सप्ताह से शुरू होगा, जहां हम कराधान व्यवस्था में इस तरह के बदलाव की संभावना पर गौर करेंगे. हालांकि उन्होंने कहा कि इस तरह के किसी भी प्रस्ताव पर विचार करते समय यह जरूर देखा जाएगा कि इस बदलाव से सरकार को मिलने वाले कुल राजस्व पर कितना प्रभाव पड़ेगा और हमारे पास ऐसा करने की गुंजाइश है भी या नहीं.

उन्होंने कहा कि नई व्यवस्था के तहत कर-मुक्त दायरे में बढ़ोतरी से राजस्व पर पड़ने वाले असर का प्रारंभिक अनुमान लगाया गया है और इसे बजट निर्माताओं के पास विचार के लिए भेजा जा सकता है. उन्होंने कहा कि इस बात पर भी चर्चा हो सकती है कि व्यक्तिगत आयकर की पुरानी और नई, दोनों व्यवस्थाओं में तो बदलाव की जरूरत नहीं है.

ऐसे समझें नया टैक्स स्लैब

नए टैक्स स्लैब (New Tax Slab) को देखें तो इसमें टैक्स रेट को कम रखा गया है. नया टैक्स स्लैब पुराने स्लैब से बहुत से मायने में अलग है. इसमें कम दर के साथ स्लैब ज्यादा हैं. इसके अलावा पुराने टैक्स स्लैब की तुलना में कई तरह की छूट और कटौती के लाभ में कमी की गई है. इस प्रणाली में जिस तरह इनकम में इजाफा होता है, टैक्स स्लैब बढ़ता जाता है और इसी क्रम में टैक्स देनदारी भी बढ़ जाती है.

2.5 लाख तक कमाई पर शून्य टैक्स,
2.5-5 लाख पर 5% (87ए के तहत छूट),
5-7.5 लाख पर 10%,
7.5-10 लाख पर 15%,
10-12.5 लाख पर 20%,
12.5-15 लाख पर 25%,
15 लाख से ज्यादा इनकम पर 30% टैक्स देना होता है.
ओल्ड टैक्स स्लैब

ओल्ड टैक्स स्लैब में 5 लाख तक की इनकम पर किसी तरह का टैक्स जमा नहीं करना होता है. इसके अलावा सेक्शन 80C के तहत 1.5 लाख रुपए के निवेश पर टैक्स जमा करने से छूट मिलती है. इस हिसाब से टैक्सपेयर्स (Taxpayers) को तकरीबन साढ़े 6 लाख तक की इनकम पर टैक्स नहीं देना पड़ता है. ओल्ड टैक्स रेजिम या पुराने टैक्स स्लैब में इनकम टैक्स रेट मुख्यत: आपकी इनकम और इनकम स्लैब पर निर्भर करता है. इसमें उम्र को भी आधार बनाया जाता है.

2.5 लाख तक- 0%
2.5 लाख से 5 लाख तक- 5%
5 लाख से 10 लाख तक- 20%
10 लाख से ऊपर- 30%
हितधारकों के साथ विचार-विमर्श की जरूरत

कर की कम दर वाले वैकल्पिक व्यक्तिगत आयकर स्लैब की नई व्यवस्था केंद्रीय बजट 2020-21 में एक विकल्प के रूप में पेश की गई थी. हालांकि अनुमानों से पता चलता है कि पुरानी व्यवस्था की तुलना में ज्यादा कर देनदारी की वजह से केवल 10 से 12 फीसदी करदाताओं ने ही इसे अपनाया है. पूंजीगत लाभ कर को पुनर्गठित करने सहित प्रत्यक्ष करों में सुधारों पर भी चर्चा है. पूंजीगत लाभ के संबंध में अधिकारी ने संकेत दिया कि यह अलग कवायद होगी और इसे बजट से इतर किया जा सकता है, क्योंकि इसमें सभी हितधारकों के साथ व्यापक विचार-विमर्श की जरूरत है.

Source : “TV9 Bharatvarsh”

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