अध्यात्म क्या है, जानिए

Read Time:4 Minute, 48 Second



अध्यात्म एक दर्शन है, चिंतन-धारा है, विद्या है, हमारी संस्कृति की परंपरागत विरासत है, ऋषियों, मनीषियों के चिंतन का निचोड़ है, उपनिषदों का दिव्य प्रसाद है। आत्मा, परमात्मा, जीव, माया, जन्म-मृत्यु, पुनर्जन्म, सृजन-प्रलय की अबूझ पहेलियों को सुलझाने का प्रयत्न है अध्यात्म। यह अलग बात है कि इस प्रयत्न को अब तक कितनी सफलता मिल पाई है। अब तक निर्मित स्थापनाएं, धारणाएं, विश्वास, कल्पनाएं किस सीमा तक यथार्थ की परिधि को छू पाई हैं, यह प्रश्न अनुत्तरित है, पर इस दिशा में अनंत प्रयत्न अनेक उर्वर मस्तिष्कों द्वारा किए जाते रहे हैं, इसमें कोई संदेह नहीं है।


वेदों का रचनाकाल (जो अनुमानित 5000 वर्ष पूर्व का है) ‘वैदिककाल’ कहा जाता है। तब हमारा देश कृषि और पशुपालन युग में था। उस समय के निवासी कर्मठ, फक्कड़, प्रकृ‍तिप्रेमी, सरल और इस जीवन को भरपूर जीने की लालसा वाले थे। उन्होंने कुछ प्राकृतिक शक्तियों की पहचान की, जैसे मेघ, जल, अग्नि, वायु, सूर्य, उषा, संध्या आदि और स्वयं इनको या इन्हें संचालित करने वाले काल्पनिक आकारों (जैसे वरुण, इंद्र, रुद्र) को देवों के रूप में मान्यता दी। फिर इन्हें प्रसन्न रखने और इनके आक्रोश से उत्पन्न अनिष्ठ से अपने जीवन, अपनी फसलों, अपने पशुओं को बचाने के लिए इनके निमित्त अनुष्ठान किए जाने लगे। ये अनुष्ठान फिर अपनी कामना-पूर्ति और बीमारियों, शत्रु पर विजय पाने के तंत्र के रूप में विकसित हो गए।



अज्ञात परतत्व की खोज, परमात्मा की खोज, परमात्मा के अस्तित्व, उसके स्वरूप, गुण, स्वभाव, कार्यपद्धति, जीवात्मा की कल्पना, परमात्मा से उसका संबंध, इस भौतिक संसार की रचना में उसकी भूमिका, जन्म से पूर्व और उसके पश्चात की स्‍थिति के बारे में जिज्ञासा, जीवन-मरण चक्र और पुनर्जन्म की अवधारणा इत्यादि प्रश्नों पर चिंतन और चर्चाएं की गईं और उनके आधार पर अपनी-अपनी स्थापनाएं दी गईं। इन्हीं के आधार पर पुराणों और अन्य शास्त्रों में व्याख्‍याएं, कथाएं, सूत्र, सिद्धांत लिखे और गढ़े गए।

आधुनिक भौतिक विज्ञानों के विकास के साथ प्रयोगधर्मी अनुसंधानों, ‍तार्किक चिंतन, गणितीय शोध, खगोल संबंधी विभिन्न खोजों, पृथ्वी के आकार पृथ्वी के आकार, गति तथा उसकी सूर्य एवं समूचे ग्रह मंडल में स्‍थिति के सही-सही आकलन ने पुराने विश्वासों और स्थापनाओं के आधार को हिला दिया और वे अब अप्रा‍संगिक लगने लगे।

अब जो भी सामने है, तर्क और वैज्ञनिक प्रयोगों से प्रमाणित करने योग्य है, वहीं विश्वसनीय रह गया है। अज्ञात, अबूझ, अपरिभाषित, कल्पनाजन्य, अप्रकट या असिद्ध तत्व अब मान्य हैं और वैज्ञानिक विचारधारा से मेल खाने वाले नहीं होने के कारण अस्वीकार्य हो गए हैं।

फिर भी यदि वे अपनी भावनाओं, धारणाओं, आस्थाओं, मान्यताओं, व्यक्तिगत अनुभवों के अनुकूल लगते हैं तो हर व्यक्ति अपने विश्वास को बनाए रखने को स्वतंत्र है।

यह भी सही है कि नैतिकता, पवित्र जीवनमूल्य, नकारात्मक कार्यों और विचारों से बचना, सामाजिक और राष्ट्रीय जीवन को आघात पहुंचाने वाले कार्यों को पाप समझना, परोपकार, सत्य, न्याय, कर्तव्यनिष्ठा जैसे शाश्वत मूल्य सदैव अपने जीवन को प्रकाशित करते रहें, इसमें कभी किसी का विश्वास नहीं डिगना चाहिए। यही सच्चा अध्यात्म है।


Happy
Happy
0 %
Sad
Sad
0 %
Excited
Excited
0 %
Sleepy
Sleepy
0 %
Angry
Angry
0 %
Surprise
Surprise
0 %

Average Rating

5 Star
0%
4 Star
0%
3 Star
0%
2 Star
0%
1 Star
0%

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Previous post प्रसिद्ध हिमाचली व्यंजन सिडडू बनाने की विधि
Next post आज का राशिफल
error: Content is protected !!