आयोग भंग करने पर पूर्व CM धूमल की पहाड़ी बोली में तल्ख टिप्पणी, बोले: जुआं पीछे खींदा नी फुकदे

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आयोग भंग करने पर पूर्व CM धूमल की पहाड़ी बोली में तल्ख टिप्पणी, बोले: जुआं पीछे खींदा नी फुकदे। कर्मचारी चयन आयोग हमीरपुर को भंग किए जाने के प्रदेश सरकार के निर्णय पर पूर्व मुख्यमंत्री प्रेम कुमार धूमल ने तल्ख टिप्पणी की है. उन्होंने पहाड़ी बोली में कहा कि अगर जुएं पड़ जाएं तो खींद नहीं जलाई जाती बल्कि दवाई से जुएं मारी जाती हैं.

पूर्व मुख्यमंत्री प्रेम कुमार धूमल

हमीरपुर: पहाड़ी बोली में एक कहावत है कि अगर जुएं पड़ जाएं तो खींद नहीं जलाई जाती बल्कि दवाई से जुएं मारी जाती हैं. इसका अर्थ है कि जो कपड़े आप सोने के लिए के लिए ओढ़ते हैं अगर उनमें जुएं पड़ जाएं तो उन्हें जलाया नहीं जाता बल्कि दवाई से जुएं मारी जाती हैं. कर्मचारी चयन आयोग हमीरपुर को भंग किए जाने के प्रदेश सरकार के निर्णय पर पूर्व मुख्यमंत्री प्रेम कुमार धूमल ने यह तल्ख टिप्पणी की है. अपने निवास स्थान समीरपुर में मीडिया कर्मियों से रूबरू होते हुए एक सवाल के जवाब में उन्होंने यह टिप्पणी की है. हमीरपुर स्थित हिमाचल प्रदेश कर्मचारी चयन आयोग को भंग किए जाने के प्रदेश सरकार के निर्णय पर विपक्ष लगातार सवाल उठा रहा है. नेता प्रतिपक्ष जयराम ठाकुर भी इस पर बयान दे चुके हैं.

हिमाचल प्रदेश अधीनस्थ सेवा चयन बोर्ड की स्थापना पूर्व मुख्यमंत्री प्रेम कुमार धूमल के कार्यकाल में साल 1998 में की गई थी, लेकिन बाद में इसका नाम बदलकर कर्मचारी चयन आयोग कर दिया गया. ऐसे में पूर्व मुख्यमंत्री प्रेम कुमार धूमल की चयन आयोग को भंग के जाने पर की गई सियासी दृष्टि से बेहद महत्वपूर्ण है. पूर्व मुख्यमंत्री प्रेम कुमार धूमल ने कहा कि हमीरपुर में कार्यालय खोलने का लक्ष्य है यह था कि यह कार्यालय प्रदेश के केंद्र में हो. चंबा के युवाओं को नौकरी के परीक्षा अथवा साक्षात्कार के लिए शिमला जाने में 2 दिन का वक्त लगता था. शिमला जैसे शहर में ठहरने का इंतजाम भी सस्ते में नहीं हो पाता है, जबकि हमीरपुर में यह अधिक सुविधाजनक और सस्ता है. कर्मचारी चयन आयोग में भ्रष्टाचार सामने आना बेहद शर्मनाक है और जिन लोगों ने यह किया है उनके खिलाफ कड़ी कार्रवाई होनी चाहिए.

सरकार इस मामले में सख्त से सख्त कार्रवाई करे, लेकिन जो सुविधा प्रदेश के सामान्य परिवारों के युवाओं को हिमाचल के केंद्र में दी गई थी उसे छीनने का कोई औचित्य नहीं है. गलत करने वालों को सजा जरूर मिलनी चाहिए लेकिन ईमानदारी से सरकारी नौकरी के लिए तैयारी कर रहे युवाओं को यह सजा नहीं मिलनी चाहिए. यह कार्यालय प्रदेश में केंद्र में होने के चलते युवा आसानी से परीक्षाएं और दस्तावेज मूल्यांकन का कार्य करवा सकते थे, लेकिन आयोग के भंग होने से उनके ऊपर अनावश्यक बोझ पड़ है, जोकि उचित नहीं है. पूर्व मुख्यमंत्री प्रेम कुमार धूमल ने कहा कि संस्था में जिन लोगों ने भ्रष्टाचार किया उनके खिलाफ कार्रवाई की जानी चाहिए ना कि संस्था को बंद किया जाना चाहिए. उन्होंने उम्मीद जताते हुए कहा कि विश्वास है कि सरकार इस संस्था का महत्व समझेगी और कार्यालय को जल्द शुरू करेगी.

By ETV Bharat हिंदी

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