BJP दुनिया की सबसे महत्वपूर्ण पार्टी, US के लोग जुड़ें, वालस्ट्रीट जर्नल ने लिखा, 2024 में भी जीतेंगे मोदी

Read Time:11 Minute, 28 Second

BJP is world’s most important foreign political party: अमेरिकी मीडिया ने अब खुलकर भारतीय जनता पार्टी की तारीफें शुरू कर दी हैं और अब तक जिस बीजेपी को दक्षिणपंथी पार्टी कहकर ‘राजनीतिक अछूतों’ की श्रेणी में रखा जात था, उसे अमेरिकी मीडिया, दुनिया की सबसे महत्वपूर्ण पॉलिटिकल पार्टी कहकर संबोधित कर रही है।

अमेरिका के प्रमुख अखबार वाल स्ट्रीट जर्नल ने अपनी एक एक रिपोर्ट में कहा है, कि बीजेपी दुनिया की सबसे महत्वपूर्ण पार्टी है, लेकिन इसे काफी कम समझा गया है।

बीजेपी की अमेरिकी मीडिया में तारीफ

वाल स्ट्रीट जर्नल में वाल्टर रसेल मीड ने बीजेपी के बारे में लिखा है, कि “भारत की सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी, अमेरिकी राष्ट्रीय हितों के दृष्टिकोण से, दुनिया की सबसे महत्वपूर्ण विदेशी राजनीतिक पार्टी है। इसे सबसे कम समझा गया है।” वाल स्ट्रीट जर्नल ने लिखा गया है, कि साल 2014 और 2019 में लगातार दो जीत हासिल करने के बाद भारतीय जनता पार्टी साल 2024 में होने वाले चुनाव में भी लगातार तीसरी जीत की तरफ आगे बढ़ रही है और भारत एक प्रमुख आर्थिक शक्ति के रूप में उभर रहा है, जिसके अमेरिका और जापान के साथ इंडो-पैसिफिक में प्रमुख शक्ति बन रहा है और ये अमेरिका की रणनीति के लिहाज से अच्छी बात है। रिपोर्ट में कहा गया है, कि “निकट भविष्य में बीजेपी एक ऐसे देश में अपना दबदबा बनाएगी, जिसकी मदद के बिना चीन की बढ़ती शक्ति को संतुलित करने के अमेरिकी प्रयास नाकाम हो जाएंगे।”

‘बीजेपी को काफी कम समझा गया’

लेखक मीड का मानना है, कि बीजेपी को कम समझा जाता है, क्योंकि यह एक ऐसे भारतीय सांस्कृतिक इतिहास और राजनीति से निकलती है, जो गैर-भारतीयों के लिए अपरिचित रहा है। वॉल स्ट्रीट जर्नल की रिपोर्ट में कहा गया है, कि बीजेपी का चुनावी प्रभुत्व एक वक्त किनारे में रहे सामाजिक विचारकों और कार्यकर्ताओं के सामाजिक आंदोलन की सफलता को दर्शाता है, जिसमें ‘हिन्दू पथ’ के जरिए आधुनिकीकरण की दिशा में बढ़ने का नजरिया है। रिपोर्ट में कहा गया है, कि “मुस्लिम ब्रदरहुड की तरह, बीजेपी पश्चिमी उदारवाद के कई विचारों और प्राथमिकताओं को खारिज करती है, यहां तक कि यह आधुनिकता की प्रमुख विशेषताओं को भी अपनाती है। चीनी कम्युनिस्ट पार्टी की तरह, भाजपा एक अरब से ज्यादा लोगों के साथ एक ग्लोबल सुपरपावर बनने के लिए एक राष्ट्र का नेतृत्व करने की उम्मीद करती है। इजराइल में लिकुड पार्टी (बेंजामिन नेतन्याहू की पार्टी) की तरह, बीजेपी लोकलुभावन बयानबाजी और पारंपरिक मूल्यों के साथ मूल रूप से बाजार समर्थक आर्थिक रुख को कनेक्ट करती है, और यहां तक ​​कि, यह उन लोगों के गुस्से को भी आगे बढ़ाती है, जिन्होंने महानगरीय, पश्चिमी-केंद्रित सांस्कृतिक और राजनीतिक अभिजात वर्ग द्वारा बहिष्कृत और तिरस्कृत महसूस किया है।”

‘बीजेपी के बारे में फैलाए गये हैं कई विचार’

वाल स्ट्रीट जर्नल में लिखा गया है, कि अमेरिकी विश्लेषक, खास तौर पर वामपंथी-उदारवादी विचारधारा वाले अकसर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के भारत को देखते हैं और पूछते हैं, कि ये डेनमार्क जैसा क्यों नहीं है उनकी चिंता पूरी तरह गलत नहीं है। सत्तारूढ़ गठबंधन की आलोचना करने वाले पत्रकारों को उत्पीड़न और इससे भी बदतर स्थिति का सामना करना पड़ सकता है। धार्मिक अल्पसंख्यक, जो हिंदू गौरव के फिर से उत्थान के खिलाफ हैं, जो बीजेपी के उस इंडिया को चिन्हित करता है, जिसमें मोटे तौर पर धर्मांतरण विरोधी कानूनों के साथ-साथ कभी-कभार भीड़ हिंसा के प्रकोप जैसे शत्रुतापूर्ण आधिकारिक उपायों की ओर इशारा करता है। इसमें कहा गया है, कि बहुत से लोग राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) की शक्ति से डरते हैं, जो एक राष्ट्रव्यापी हिंदू राष्ट्रवादी संगठन है, जिसका भाजपा नेतृत्व से घनिष्ठ संबंध है। हालांकि, लेखक मीड का मानना है, कि भारत एक जटिल जगह है, जहां कई तरह की अन्य कहानियां भी हैं।

‘जातिगत भेदभाव से लड़ता है RSS’

वाल स्ट्रीट जर्नल में लेखक मीड ने आगे लिखा है, कि “भारत के पूर्वोत्तर में ईसाई बहुल राज्यों में बीजेपी को हालिया समय में उल्लेखनीय राजनीतिक सफलताएँ मिली हैं। करीब 20 करोड़ से ज्यादा आबादी वाले राज्य उत्तर प्रदेश में बीजेपी सरकार को शिया मुसलमानों का मजबूत समर्थन हासिल है”। ओपिनियन पीस में कहा गया है, कि आरएसएस के कार्यकर्ताओं ने जातिगत भेदभाव से लड़ने के प्रयासों में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। लेखक मीड ने लिखा है, कि “बीजेपी और आरएसएस के वरिष्ठ नेताओं के साथ साथ मेरी मुलाकात बीजेपी के कई आलोचकों के साथ भी हुई है। उनके साथ मैंने काफी गहन बैठकें की हैं और उसके बाद मैं ये विश्वास के साथ कह सकता हूं, कि अमेरिकियों को और यूरोपियन्स को, एक जटिल और शक्तिशाली आंदोलन (बीजेपी) के साथ और अधिक गहराई से जुड़ने की जरूरत है।”

‘दुनिया का सबसे शक्तिशाली संगठन बना RSS’

वाल स्ट्रीट जर्नल के ओपिनियन पीस में लिखा गया है, कि “ज्यादातर सीमांत बुद्धिजीवियों और धार्मिक उत्साही लोगों के एक समूह से, आरएसएस शायद “दुनिया का सबसे शक्तिशाली नागरिक-समाज संगठन” बन गया है”। आगे लिखा गया है, कि “आरएसएस ने ग्रामीण और शहरी विकास कार्यक्रम चलाए हैं, धार्मिक शिक्षा और पुनरुद्धार के प्रयास किए हैं, जिसमें नागरिक सक्रियता को बढ़ाया गया है और ये संगठन हजारों स्वयंसेवकों द्वारा संचालित होते हैं, जिसमें राजनीतिक चेतना बनाने की कोशिश की जाती है और ये संगठन सैकड़ों लाखों लोगों की ऊर्जा पर ध्यान केंद्रित करने में सफल रहा है।

योगी आदित्यनाथ और मोहन भागवत पर क्या लिखा?

उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ और आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत के साथ अपनी मुलाकात को याद करते हुए, मीड लिखते हैं, कि “ऐसा लगता है कि आंदोलन एक चौराहे पर पहुंच गया है। जब मैं योगी आदित्यनाथ से मिला, जो उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री के रूप में सेवा करने वाले एक हिंदू साधु हैं, जिन्हें इस आंदोलन का सबसे कट्टरपंथी आवाद माना जाता है और कभी कभी उन्हें 72 साल के हो चुके प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी का उत्तराधिकारी माना जाता है, तो उनसे हुई बातचीत में पता चलता है, कि वो राज्य में निवेश लाने और विकास के बारे में बात करते हैं। इसी तरह, आरएसएस के आध्यात्मिक नेता मोहन भागवत , मुझसे भारत के आर्थिक विकास में तेजी लाने की आवश्यकता के बारे में बात की, और इस विचार को खारिज कर दिया, कि धार्मिक अल्पसंख्यकों को भेदभाव या उनके नागरिक अधिकारों में किसी भी तरह की कोई कमी की जानी चाहिए।”

‘RSS और बीजेपी को समझने की जरूरत’

अमेरिकी जर्नलिस्ट ने लिखा है, कि “आरएसएएस और बीजेपी के शीर्ष नेताओं के बयान, जो उन्होंने एक विदेशी पत्रकार को दिए हैं, वो धरातल पर कैसे पहुंचेगे, इसका अनुमान लगाना तो असंभव है, लेकिन मुझे यह आभास हुआ, कि एक वक्त हाशिए पर रहने वाला ये आंदोलन, अब एक उभरती हुई शक्ति की स्थापना के लिए स्वाभाविक तौर पर खुद को स्थापित करना चाहता है। और अपने सामाजिक और राजनीतिक आधार से संपर्क को खोए बिना, बाहरी दुनिया के साथ गहराई से और उपयोगी रूप से जुड़ना चाहता है”। उन्होंने लिखा है, कि “भाजपा और आरएसएस के साथ जुड़ने का निमंत्रण ऐसा है, जिसे अमेरिकी अस्वीकार नहीं कर सकते। लेकिन, जैसे-जैसे चीन के साथ तनाव बढ़ रहा है, अमेरिका को आर्थिक और राजनीतिक दोनों भागीदारों के रूप में भारत की जरूरत है”। वॉल स्ट्रीट जर्नल ने कहा है, कि “हिंदू राष्ट्रवादी आंदोलन की विचारधारा और इसके ट्रेजेक्टरी को समझना व्यापारिक नेताओं और दुनिया के इन्वेस्टर्स के लिए भारत के साथ आर्थिक रूप से जुड़ने के लिए उतना ही जरूरी है, जितना की दुनिया के डिप्लोमेट्स और नीति निर्माताओं के लिए बीजेपी को समझना जरूरी है।”

Happy
Happy
0 %
Sad
Sad
0 %
Excited
Excited
0 %
Sleepy
Sleepy
0 %
Angry
Angry
0 %
Surprise
Surprise
0 %

Average Rating

5 Star
0%
4 Star
0%
3 Star
0%
2 Star
0%
1 Star
0%

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Previous post नवरात्रि व्रत में जरूर ट्राई करें फलाहारी आलू टिक्की, जानिए आसान रेसिपी
Next post 4 दिन में 102% का रिटर्न, अडानी के इस शेयर ने किया जबरदस्त कमबैक, निवेशक मालामाल
error: Content is protected !!