देश में मेडिकल की पढ़ाई का क्रेज ऐसा है कि लाखों स्टूडेंट्स हर साल मेडिकल एंट्रेंस एग्जाम NEET में हिस्सा लेते हैं. पिछले साल नीट यूजी एग्जाम देने वाले छात्रों की संख्या 18 लाख के करीब थी, जो ये दिखाता है कि Medical की पढ़ाई का क्रेज किस हद तक है.
हालांकि, बहुत ही कम स्टूडेंट्स को सरकारी और प्राइवेट मेडिकल कॉलेजों में दाखिला मिल पाता है. इस वजह से वे कई बार कुछ फर्जी मेडिकल कॉलेजों के जाल में फंस जाते हैं. इसकी वजह से कई बार उनका भविष्य भी बर्बाद हो जाता है.
यूनिवर्सिटी ग्रांट्स कमीशन (UGC) की तरफ से ऐसी ही फर्जी यूनिवर्सिटीज को लेकर सावधान किया गया है. दरअसल, यूजीसी ने बताया है कि ‘ओपन इंटरनेशनल यूनिवर्सिटी फॉर अल्टरनेटिव मेडिसिन’ और ‘नेशनल बोर्ड ऑफ अल्टरनेटिव मेडिसिन, कुट्टलम’ को लेकर चेतावनी जारी है. कमीशन ने स्टूडेंट्स से कहा है कि वे इन सेल्फ-स्टाइल्ड इंस्टीट्यूशन्स में एडमिशन नहीं लें. यहां दाखिला लेने पर छात्रों का भविष्य बर्बाद हो सकता है.
UGC ने क्या कहा?
यूजीसी ने कहा कि यूनिवर्सिटी और बोर्ड दोनों ही के पास छात्रों को डिग्री देने का अधिकार नहीं है. ऐसा इसलिए क्योंकि उन्हें यूजीसी एक्ट के सेक्शन के तहत स्थापित नहीं किया गया है. कमीशन ने कहा कि डिग्री देने का अधिकार केवल एक सेंट्रल एक्ट, प्रोविंशियल एक्ट या स्टेट एक्ट द्वारा स्थापित या निगमित यूनिवर्सिटी को है. इसके अलावा सेक्शन 3 के तहत एक यूनिवर्सिटी के तौर पर माना जाने वाला संस्थान या डिग्री प्रदान करने के लिए संसद एक अधिनियम द्वारा विशेष रूप से सशक्त संस्थान ही डिग्री दे सकता है.
कमीशन ने कहा कि ‘ओपन इंटरनेशनल यूनिवर्सिटी फॉर अल्टरनेटिव मेडिसिन’ और ‘नेशनल बोर्ड ऑफ अल्टरनेटिव मेडिसिन को न तो यूनिवर्सिटी की लिस्ट में सेक्शन 2 (एफ) या सेक्शन 3 के तहत लिस्टेड हैं. न ही इन्हें यूजीसी एक्ट, 1956 के सेक्शन 22 के मुताबिक किसी तरह की कोई डिग्री प्रदान करने का अधिकार दिया गया है.
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यूजीसी ने आगे कहा कि इन संस्थानों को अपने नाम के साथ यूनिवर्सिटी शब्द का इस्तेमाल करने की इजाजत भी नहीं है. ऐसा इसलिए क्योंकि इन्हें सेंट्रल, प्रोविंशियल या स्टेट एक्ट के तहत स्थापित नहीं किया गया है.
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