रूस भारत के साथ अपने ट्रेड को बढ़ाने के पूरे प्रयास कर रहा है.
यह कोशिश पिछले साल से जारी है जब अमेरिका और यूरोप ने प्रतिबंध लगा दिया था और भारत को सस्ता तेल देने को राजी हुआ था. इसका यह असर हुआ कि बीते वित्त वर्ष में भारत और रूस का ट्रेड 40 बिलियन डॉलर पर पहुंच गया है, वैसे यह ट्रेड भारत-अमेरिका ट्रेड से करीब 70 फीसदी कम है.
इसी अंतर को पाटने के लिए रूस का सबसे बड़ा डेलीगेशन भारत आ रहा है. जिसमें डिप्टी पीएम के अलावा देश के कई मंत्री और कंपनियों के सीईओ भी शामिल होंगे. रूस चाहता है कि दोनों देशों के बीच यह रिश्ता मौजूदा वित्त वर्ष 50 अरब डॉलर यानी 4 लाख करोड़ के पार पहुंच जाए. अगिर ऐसा होता है तो दोनों देशों के बीच यह कारोबारी एतिहासिक लेवल पर पहुंच जाएगा.
विदेश मंत्री और एनएसए भी होगी बात
रूस के डिप्टी प्रधानमंत्री डेनिस मंटुरोव बिजनेस-इंडस्ट्री पार्टनरशिप को नई गति के बीच सोमवार-मंगलवार को भारत में हाल के वर्षों में सबसे बड़े बिजनेस-इंडस्ट्री प्रतिनिधिमंडल का नेतृत्व करेंगे, जिसमें 25 डिप्टी मंत्री और प्राइवेट कंपनियों के सीईओ शामिल होंगे. अधिकारियों ने कहा कि मंटुरोव विदेश मंत्री एस जयशंकर, राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार (एनएसए) अजीत डोभाल और वाणिज्य मंत्री पीयूष गोयल के साथ कई बैठकें करेंगे, जिसमें संसाधन संपन्न देश में भारतीय निवेश का बड़ा हिस्सा शामिल है.
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उन्होंने कहा कि वह अपने प्रवास के दौरान वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण से भी मिल सकते हैं और जयशंकर के साथ व्यापार से संबंधित और इंटर-गवर्नमेंटल कमीशन बना सकते हैं. जयशंकर और मंटुरोव ने पिछले नवंबर में मास्को में एक ब्रेन स्टोर्मिंग सेशन आयोजित किया था, जिसके बाद इस मार्च में एक वीडियो बैठक हुई थी.
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50 बिलियन डॉलर तक पहुंच सकता है ट्रेड
वित्त वर्ष 2022-23 में दोनों देशों के बीच बाइलेटरल ट्रेड लगभग 40 बिलियन डॉलर तक पहुंच गया, जो अब तक का हाई है. इससे पहले भारत-रूस आर्थिक साझेदारी पहले के राजनीतिक संबंधों से मैच नहीं कर रही थी. कुछ अनुमानों के अनुसार, रूस के भारत के टॉप ट्रेडिंग पार्टनर्स में से एक के रूप में उभरने के साथ, बाइलेटरल ट्रेड 2023-24 में 50 बिलियन डॉलर यानी 4 लाख करोड़ रुपये तक को छू सकता है, जोकि ऐतिहासिल लेवल पर होगा.
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रूस को क्या हैं भारत से उम्मीदें
जानकारों की मानें तो दोनों पक्षों का ध्यान स्मॉल मीडियम इंडस्ट्री को एक-दूसरे के बाजारों का पता लगाने के लिए प्रोत्साहित करना है. ट्रेड और बिजनेस रिलेशंस को मार्च के अंत में और अप्रैल की शुरुआत में दिल्ली में दो मेगा बैठकों और रूसी चैंबर ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री द्वारा एक भारत कार्यालय खोलने के साथ एक बड़ा बढ़ावा मिला. भारत-रूस संबंधों से परिचित लोगों ने कहा कि जहां भारतीय निर्यात में वृद्धि हुई है, वहीं कई सेक्टर्स में अधिक मांग देखने को मिल रही हैं. रूस सुदूर पूर्व में बड़ा भारतीय निवेश चाहता है. मंटुरोव की बैठक में द्विपक्षीय व्यापार के लिए राष्ट्रीय मुद्राओं में भुगतान पर भी ध्यान केंद्रित किए जाने की उम्मीद है. कई रूसी क्षेत्र भारतीय राज्यों के साथ व्यापारिक साझेदारी करने की मांग कर रहे हैं.
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