हिमाचल प्रदेश राज्य सहकारी बैंक लिमिटेड (एचपीएससीबी) द्वारा आज यहां आयोजित स्पार्क-2023 कार्यक्रम के दौरान मुख्यमंत्री ठाकुर सुखविंदर सिंह सुक्खू ने बैंक के नए चिन्ह् (लोगो) का अनावरण किया। इसके अलावा उन्होंने बैंक की इंटरनेट बैंकिंग सुविधा एकेडमी फॉर एग्रीकल्चर एंटरप्रिन्योरशिप डिवेलपमेंट फॉर ग्रोथ एंड एम्पावरमेंट (एग्री एज) और नई वेबसाइट का शुभारंभ किया। कार्यक्रम के दौरान मुख्यमंत्री ने बैंक का विजन डाक्यूमेंट भी जारी किया। उन्होंने बैंक के सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन करने वाले शाखा कार्यालयों को पुरस्कार भी प्रदान किए।
मुख्यमंत्री ने भविष्य की चुनौतियों के लिए एचपीएससीबी द्वारा तैयार रहने की आवश्यकता पर बल देते हुए कहा कि राज्य सरकार सहकारी बैंकों को हरसंभव सहायता प्रदान कर सुदृढ़ करेगी। उन्होंने कहा कि बैंक डिजिटल तकनीकयुक्त होने चाहिए और उपभोक्ताओं को आधुनिक तकनीक का उपयोग कर बैंंिकंग सुविधा प्रदान की जानी चााहिए। उन्होंने कहा कि सहकारी बैंकों की कार्यप्रणाली के विस्तार के लिए छह महीने के भीतर सुधारों को लागू किया जाएगा। उन्होंने आश्वासन दिया कि सहकारी बैंकों को भूमि खरीदने के लिए प्राथमिकता के आधार पर हिमाचल प्रदेश मुजारियत एवं भू-सुधार अधिनियम 1972 की धारा 118 के तहत अनुमतियां दी जाएंगी।
ठाकुर सुखविंदर सिंह सुक्खू ने कहा कि वर्तमान सरकार का पहला बजट व्यवस्था परिवर्तन का प्रतीक है, जिसमें ग्रामीण अर्थव्यवस्था को मजबूत करने का प्रयास किया गया है। उन्होंने कहा कि हिमाचल प्रदेश राज्य सहकारी बैंक को इन पहलों के क्रियान्वयन में अपनी सक्रिय भागीदारी सुनिश्चित करनी चाहिए। राज्य सरकार निर्धन परिवार के छात्रों को उच्च शिक्षा के लिए 20 लाख रुपए तक का ऋण एक प्रतिशत ब्याज की दर से उपलब्ध करवाने की योजना बना रही है ताकि संसाधनों के अभाव में कोई भी शिक्षा से वंचित न रहे। इसके साथ ही भविष्य में टैक्सी संचालकों को ई-टैक्सी चलाने के लिए परमिट जारी किए जाएंगे। राज्य सरकार ई-टैक्सी, ई-बस और ई-ट्रक की खरीद पर 50 प्रतिशत अनुदान देगी। राज्य सरकार 250 किलोवाट से 2 मेगावाट तक की सौर ऊर्जा परियोजनाओं की स्थापना के लिए 40 प्रतिशत वित्तीय सहायता प्रदान करेगी और उत्पादित बिजली हिमाचल प्रदेश विद्युत बोर्ड लिमिटेड द्वारा खरीदी जाएगी। उन्होंने कहा कि सहकारी बैंक इन योजनाओं के तहत ऋण प्रदान करें जिनकी संप्रभु गारंटी राज्य सरकार द्वारा प्रदान की जाएगी। उन्होंने कहा कि राज्य सरकार सौर ऊर्जा परियोजनाओं की स्थापना की योजना के लिए सहकारी बैंक को प्रमुख बैंक बनाएगी।
मुख्यमंत्री ने कहा कि हिमाचल प्रदेश अपने अधिकारों के लिए मजबूती से संघर्ष करेगा। उन्होंने कहा कि राज्य में 12000 मेगावाट बिजली का उत्पादन हो रहा है लेकिन हिमाचल प्रदेश को राज्य के हिस्से के रूप में केवल 12 प्रतिशत बिजली मिल रही है, जो राज्य के लोगों के साथ अन्याय है। पे-बैक अवधि पूरी कर चुकी जलविद्युत परियोजनाओं में रायल्टी बढ़ाने का मामला केंद्र सरकार के समक्ष उठाया गया है। निश्चित अवधि समाप्त होने के बाद केंद्रीय सार्वजनिक क्षेत्र उपक्रमों द्वारा बनाई गई पनबिजली परियोजनाएं हिमाचल को वापस मिलनी चाहिए। शानन परियोजना को वापस लेने के लिए बातचीत हो चुकी है और वर्तमान राज्य सरकार हिमाचल प्रदेश के हितों की लड़ाई लड़ने को तैयार है। उन्होंने कहा कि जल उपकर हिमाचल का अधिकार है और हम इसे लेकर रहेंगे। उन्होंने कहा कि वर्तमान राज्य सरकार आगामी चार वर्षों में हिमाचल प्रदेश की अर्थव्यवस्था को पटरी पर लाएगी। मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य सरकार हरित उद्योगों को बढ़ावा देगी, जिसमें पर्यटन, जल ऊर्जा, आईटी, डाटा सेंटर और खाद्य प्रसंस्करण क्षेत्र शामिल होंगे।
मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य सरकार नवाचार सोच के साथ आगे बढ़ रही है और मंत्रिमण्डल की पहली बैठक में राज्य सरकार ने कर्मचारियों के लिए पुरानी पेंशन योजना लागू की है। सरकार ने पहला वायदा पूरा किया है और सभी वायदे चरणबद्ध तरीके से पूरे किए जाएंगे। उन्होंने कहा कि वर्तमान सरकार को करोड़ों का कर्जा विरासत में मिला है लेकिन प्रदेश सरकार राज्य को आत्मनिर्भर बनाने और प्रदेश के वित्तीय संसाधन बढ़ाने की दिशा में काम कर रही है। उन्होंने कहा कि 90 फीसदी आबादी गांवों में रहती है और ग्रामीण आबादी की आर्थिक स्थिति को मजबूत करने के प्रयास किए जा रहे हैं। कृषि क्षेत्र को सुदृढ़ करने के लिए किसानों से गाय का दूध 80 रुपये प्रति लीटर और भैंस का दूध 100 रुपये प्रति लीटर की दर से खरीदने की योजना पर कार्य हो रहा है।
उप-मुख्यमंत्री मुकेश अग्निहोत्री ने हिमाचल प्रदेश में सहकारिता आंदोलन के महत्व पर प्रकाश डाला, जिसे देश भर में पहचान मिली है। उन्होंने बताया कि प्रथम सहकारी सभा की स्थापना वर्ष 1892 ऊना जिला के पंजावर में की गई थी जो उनके विधानसभा क्षेत्र हरोली के अंतर्गत आता है। उन्होंने कहा कि हिमाचल प्रदेश में सहाकारी सभा के माध्यम से शुरू किए गए सहकारी बैंक अब राज्य की अर्थव्यवस्था की रीढ़ के रूप में काम कर रहे हैं। व्यक्यिों द्वारा सहकारी समितियों की प्रतिष्ठा को धूमिल करने के उदाहरणों को स्वीकार करते हुए उन्होंने आश्वासन दिया कि राज्य सरकार सहकारी सभाओं को एक नए जन आंदोलन में बदलने के लिए सुधारात्मक उपाय कर रही है। अग्निहोत्री ने अधिकारियों से बैंक की प्रतिष्ठा को ध्यान में रखकर कार्य करने का आग्रह किया।
उप-मुख्यमंत्री ने कहा कि पिछली सरकार के वित्तीय कुप्रबंधन ने राज्य पर 75,000 करोड़ रुपये के कर्ज का बोझ डाला गया है। चुनौतीपूर्ण स्थिति के बावजूद मुख्यमंत्री के दृढ़ निश्चय के कारण सरकारी कर्मचारियों के लिए पुरानी पेंशन योजना बहाल कर दी गई है। उन्होंने कहा कि वर्तमान राज्य सरकार कर्मचारियों के कल्याण को प्राथमिकता दे रही है। उन्होंने राज्य के विकास में कर्मचारियों द्वारा सहयोग प्रदान करने का आग्रह किया। उन्होंने हिमाचल प्रदेश को आर्थिक रूप से अस्थिर करने के प्रयासों और राज्य को वित्तीय सहायता प्रदान करने में बाधाएं उत्पन्न करने पर भी चिंता व्यक्त की।
एचपीएससीबी के अध्यक्ष देवेंद्र श्याम ने मुख्यमंत्री का गर्मजोशी से स्वागत करते हुए राज्य के विकास में सहयोग देने के लिए बैंक की प्रतिबद्धता पर बल दिया। उन्होंने मुख्यमंत्री के मार्गदर्शन में बैंक की सफलता, नए कीर्तिमान स्थापित करने और जनता को लाभान्वित करने के लिए राज्य सरकार की योजनाओं को प्रभावी ढंग से लागू करने पर प्रकाश डाला। इसके अतिरिक्त बैंक राज्य सरकार के नेतृत्व में हरित पहल में सक्रिय रूप से भाग ले रहा है। देवेंद्र श्याम ने बैंक की विविध गतिविधियों के बारे में भी जानकारी साझा की। उन्होंने बैंक की ओर से ठाकुर सुखविंदर सिंह सुक्खू को मुख्यमंत्री राहत कोष के लिए 2 करोड़ रुपए का चेक भेंट किया।
इस अवसर पर मुख्य संसदीय सचिव मोहन लाल ब्राक्टा, विधायक नंद लाल, हरीश जनारथा, कुलदीप सिंह राठौर, अजय सोलंकी, चंद्रशेखर, मुख्यमंत्री के प्रधान सलाहकार (आईटी और नवाचार) गोकुल बुटेल, जोगिंद्रा केंद्रीय सहकारी बैंक के अध्यक्ष मुकेश शर्मा, हिमाचल प्रदेश राज्य सहकारी कृषि एवं ग्रामीण विकास बैंक के अध्यक्ष संजय चौहान, सचिव कृषि राकेश कंवर भी अन्य गणमान्य व्यक्तियों सहित उपस्थित थे।
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