चंबा, 29 जून
खरीफ मौसम में मक्की जिला चम्बा की एक प्रमुख फसल है I जिला चम्बा में लगभग 29 हजार हेक्टेयर क्षेत्र में मक्की की खेती की जाती है I इस फसल की पैदावार निकलने के बाद, हर वर्ष किसानों द्वारा लगभग 65 हजार क्विंटल मक्की की उपज पडोसी राज्य पंजाब में या प्रदेश के अन्य जिलों को बेची जाती है I यह जानकारी देते हुए उपनिदेशक कृषि डॉ० कुलदीप ने बताया कि जिला चम्बा के दो तिहाई क्षेत्रफल में स्थानीय मक्की की किस्में उगाई जाती हैं जबकि एक तिहाई क्षेत्र में हाइब्रिड मक्की की खेती की जाती है I
डॉ० धीमान ने कहा कि कृषि विभाग द्वारा इस वर्ष किसानों को लगभग 2000 क्विंटल मक्की का बीज उपदान पर उपलव्ध करवाया गया है I इसके अतिरिक्त निजी बीज विक्रेताओं से भी किसानों ने हाइब्रिड मक्की का बीज खरीद कर अपने खेतों में लगाया है I हाइब्रिड मक्की के बीज से 4 से 5 क्विंटल प्रति बीघा तक की पैदावार प्राप्त की जा सकती है I लेकिन अधिक पैदावार प्राप्त करने के लिए खेतों में खरपतवार नियंत्रण और खादों का उचित मात्रा में उपयोग करना पड़ता है I
हाइब्रिड मक्की से अधिक पैदावार प्राप्त करने के लिए, मक्की की बिजाई 60 सेंटीमीटर की दूरी पर पंक्तियों में तथा बीज से बीज के दूरी 20 सेंटीमीटर रखें I ताकि अचित दूरी के साथ उस खेत में अधिक पौधे उगा सकें I मक्की के खेतों में उगने वाले अन्य घास जिन्हें खरपतबार कहते हैं से मक्की की पैदावार को 30 से 50 प्रतिशत तक का नुकसान होता है I इसलिए मक्की के खेत में अन्य घासों (खरपतबार) का नियंत्रण बहुत अवश्यक होता है I मक्की के खेतों में रासायनिक विधि से खरपतवार नियंत्रण करने के लिए बिजाई के समय खरपतबार नाशी रसायन का प्रयोग करें I
इस वर्ष जिला चम्बा के अधिकतर क्षेत्रों में मक्की की बिजाई मई महीने में की गई है I यदि किसानों ने विजाई के समय अपनी हाइब्रिड मक्की के खेतों में खरपतबारनाशी रसायन का प्रयोग नहीं किया है तो बिजाई के एक से डेढ़ महीने के बाद अब गुडाई अवश्य करें I इस समय गुडाई करने से खरपतबार आसानी से नियंत्रित किये जा सकते हैं I इस प्रकार खरपतवार नियंत्रण करने से पैदावार बहुत अधिक बढ़ जाती है I
डॉ० कुलदीप धीमान ने कहा कि हाइब्रिड मक्की की खेती से 4 से 5 किबंटल प्रति बीघा पैदावार प्राप्त करने के लिए रासायनिक खादों का सही मात्रा में उपयोग करना भी बहुत आवश्यक है I विजाई के समय मक्की की फसल में यूरिया, 12:32:16 तथा एम०ओ०पी० का प्रयोग करते हैं I जिन किसानों ने मक्की की बिजाई एक महीना पहले कर दी है वह किसान इस समय 7 किलोग्राम यूरिया खाद प्रति बीघा की दर से डाल कर अपने खेतों में मक्की की गुडाई कर सकते हैं और इसके एक महीने बाद दोबारा 7 किलोग्राम यूरिया खाद प्रति बीघा की दर से डालें I
यह जानकारी देते हुए डॉ० धीमान ने कहा कि पिछले कुछ वर्षों से प्रदेश के कुछ भागों में मक्की की फसल में फॉल आर्मी वर्म नाम का कीट फसल को नुकसान पहुंचा रहा है I इसलिए किसान अपने खेतों का निरीक्षण करते रहें और यदि किसी भी कीट की वजह से खेत में मक्की की फसल को कोई नुकसान होता है तो कीट के नियंत्रण के लिए 30 मिलीलीटर क्लोरोपायरीफ़ॉस 20 ई०सी० रसायन को 15 लीटर पानी में घोल कर या 7 -8 ग्राम इमामेक्टिन बेंजोएट 5 एस०जी० रसायन को 15 लीटर पानी में घोल कर स्प्रे करें I यह स्प्रे करने से पहले किसान नजदीकी कृषि अधिकारी से अवश्य संपर्क करें I
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