एक नया घटक जो बैक्टीरिया की झिल्ली को कमजोर बना सकता है, इस तरह से एंटीबायोटिक दवाओं के वर्गों के लिए जीवाणु एंटीबायोटिक प्रतिरोध का मुकाबला कर सकता है, पुरानी एंटीबायोटिक दवाओं के प्रभाव को नया प्रभाव देने में सहायक हो सकता है।
यह रणनीति बैक्टीरिया के सबसे महत्वपूर्ण समूह का मुकाबला कर सकती है ताकि व्याप्त एंटीबायोटिक आर्सेनल का इस्तेमाल फिर से जटिल संक्रमणों के लिए जा सके। यह एंटी-माइक्रोबियल प्रतिरोध के बढ़ते खतरे का मुकाबला करने में सहायक हो सकता है।
विश्व स्वास्थ्य संगठन ने एसिनेटोबैक्टर बाउमनी, स्यूडोमोनास एरुगिनोसा तथा एंटरोबैक्टीरियासी की सीमा का निर्धारण किया है जो सभी कार्बापेनम के लिए सर्वोच्च प्राथमिकता वाले महत्वपूर्ण रोगाणु के रूप में प्रतिरोधी हैं। ऐसे जटिल संक्रमणों के उपचार के लिए तरह-तरह की एंटीबायोटिक दवाओं के मिश्रण के उपयोग को सक्रिय करने वाले इन जीवाणुओं के लिए कुछ उपचार विकल्प हैं। इस प्रकार इन रोगाणुओं से निपटने के लिए नवीन गैर-पारंपरिक चिकित्सीय रणनीति का विकास उचित है।
विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग के स्वायत्त संस्थान, जेएनसीएएसआर के वैज्ञानिक वर्तमान एंटीबायोटिक दवाओं के संयोजन में उनका उपयोग करके इन दवाओं की प्रभाव शक्ति को फिर से प्रभावी करने के दृष्टिकोण से आए हैं- ऐसे अवयव जो मौजूदा एंटीबायोटिक दवाओं के प्रतिरोध में सहायता कर सकते हैं। इस नए विचार से पुरानी एंटीबायोटिक दवाओं की सक्रियता को मजबूत करने और जटिल संक्रमणों के इलाज में उन्हें फिर से उपयोग में लाने में मदद कर सकते है।
सुश्री गीतिका ढांडा और प्रो. जयंत हलदर ने एक ट्रायमाइन युक्त यौगिक में चक्रीय हाइड्रोफोबिक मौएट्स (एक अणु का भाग) को शामिल किया, इस तरह बैक्टीरिया की झिल्ली को कमजोर रूप से विकसित किया गया। इसके परिणामस्वरूप झिल्ली से जुड़े प्रतिरोध तत्वों जैसे प्रवेश अवरोध और इफ्लक्स पंपों द्वारा एंटीबायोटिक दवाओं के निष्कासन का मुकाबला किया गया। जब इन सहायक पदार्थों का उपयोग एंटीबायोटिक दवाओं के संयोजन में किया जाता है, जो ऐसी झिल्ली से जुड़े प्रतिरोध तत्वों के कारण अप्रभावी हो गए थे, तो एंटीबायोटिक्स शक्तिशाली हो गए और मिश्रण बैक्टीरिया को मारने में प्रभावी रहा।
फ्यूसिडिक एसिड, मिनोसाइक्लिन और रिफैम्पिसिन जैसे एंटीबायोटिक दवाओं के साथ सहायक का मिश्रण बहुऔषधि-प्रतिरोधी ग्राम-निगेटिव बैक्टीरिया को निष्क्रिय करता है। इनमें एसिनेटोबैक्टर बॉमनी, स्यूडोमोनास एरुगिनोसा और एंटरोबैक्टीरियासी शामिल हैं। यह अध्ययन एसीएस इंफेक्ट जर्नल में प्रकाशित हुआ है। गैर-सक्रिय और गैर-विषैले सहायक के डिजाइन के लिए रोग आवश्यक रासायनिक अनुभव और झिल्ली व्यग्रता की सीमा दिखाते हैं। गैर-सक्रिय सहायक का चुनाव भी बैक्टीरिया पर प्रतिरोध विकसित करने के लिए कम दबाव डालेगा। इसके अलावा, कमजोर झिल्ली गड़बड़ी के परिणामस्वरूप विषाक्तता कम होगी।
इस कार्य के लिए इन-विवो मॉडल सिस्टम में उचित सत्यापन की आवश्यकता होती है, इसके बाद प्रीक्लिनिकल अध्ययन किया जाता है, जो आगे काम में मूल्य संवर्धन करेगा।
प्रकाशन का लिंक: 10.1021/acsinfecdis.2c00092
अधिक जानकारी के लिए, कृपया गीतिका ढांडा, जयंत हलदर से संपर्क करें; ईमेल आईडी: [email protected], [email protected]
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