सेवा और सहयोग हमारी विरासत का हिस्सा हैं, हमारे संस्कार का अभिन्न अंग हैं; वे रेड क्रॉस सोसाइटी के आदर्श को भी परिभाषित करते हैं: डॉ. मनसुख मांडविया

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केन्द्रीय स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्री और आईआरसीएस के अध्यक्ष डॉ. मनसुख मांडविया ने आज कहा, सेवा और सहयोग हमारी विरासत का हिस्सा हैं और वे हमारे संस्कार का एक अभिन्न अंग हैं। ये भारतीय रेड क्रॉस सोसाइटी के आदर्श वाक्य को भी रेखांकित और परिभाषित करते हैं जो जरूरत और आपात स्थिति में मानवता की सेवा और सहायता के प्रति अपने काम के लिए जाना जाता है। वे इंडियन रेड क्रॉस सोसाइटी (आईआरसीएस) के राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों के लीडरशिप समिट का उद्घाटन कर रहे थे। इस दो दिवसीय चिंतन शिविर के आयोजन का उद्देश्य आईआरसीएस के कामकाज में सुधार के तरीकों और साधनों पर गहन विचार-विमर्श करना है। बैठक में राज्य रेड क्रॉस के अध्यक्षों, उपाध्यक्षों, सचिवों और आईआरसीएस के अन्य गणमान्य व्यक्तियों ने भाग लिया।

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आईआरसीएस को उसके सराहनीय कार्य के लिए बधाई देते हुए डॉ. मनसुख मांडविया ने कहा कि रेड क्रॉस लोगों के बीच उम्‍मीद और आशा की किरण के तौर पर पहचाना जाता है। यह भरोसे और सुनिश्चित उपस्थिति का प्रतीक है।” लेकिन उन्होंने आगाह किया कि अगर आईआरसीएस बदलते समय के साथ तालमेल नहीं बिठाता तो इसकी प्रासंगिकता और पहचान खो सकती है। उन्‍होंने कहा, “आईआरसीएस को अपनी ताकत और कमजोरियों पर आत्मनिरीक्षण करने और समय के साथ बदलती भूमिका को अपनाने तथा इसके लिए खुद को फिर से परिभाषित करने की एक कार्य योजना तैयार करने की आवश्यकता है। इसके लिए संरचनात्मक और संगठनात्मक संरचनाओं के बारे में गहरी समझ बनाने, आईआरसीएस क्षेत्रीय केंद्रों के कामकाज में अनुशासन पर ध्यान देने, नियुक्तियों में पारदर्शिता बरतने, बेहतर शिकायत निवारण तंत्र बनाने और अन्य बातों के साथ-साथ जन-केंद्रित गतिविधियों के लिए डिजिटल तकनीक का बेहतर उपयोग करने की आवश्यकता है।”

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भारत में हाल ही में कोविड महामारी के दौरान देखी गई स्वास्थ्य सुविधाओं में हुई प्रगति के बारे में केन्द्रीय मंत्री ने कहा, “हम हमेशा अन्य देशों के स्वास्थ्य सेवा मॉडल देखकर  रोमांचित होते रहे हैं, लेकिन कोविड ने हमारी व्‍यवस्‍था की ताकत दर्शायी और उन्नत देशों की इस संबंध में कमजोरियों को भी उजागर किया। भारत ने न सिर्फ कोविड का सफल क्षेत्रीय मॉडल के साथ प्रबंधन किया, बल्कि वैक्सीन मैत्री के तहत दवाओं और टीकों की आपूर्ति के रूप में कई देशों को अंतर्राष्ट्रीय सहायता भी प्रदान की। यह प्रशंसनीय है कि हमारी दवाएं गुणवत्ता में कम साबित नहीं हुई और न ही हमने उनकी कीमतें बढ़ाकर स्थिति का फायदा उठाया। यह वसुधैव कुटुम्बकम के दर्शन के प्रति हमारी गहरी आस्था दर्शाता है।”

श्री मांडविया ने अनूठे उद्यम अपनाने और आईआरसीएस के कामकाज के दायरे का विस्तार करने के लिए उपस्थित लोगों से सुझाव मांगे। प्रतिभागियों ने सर्वोत्तम प्रथाओं और नवीन प्रयासों पर अपने विचार खुलकर साझा किए।

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