जिला में 12 स्थानों में 8वीं मैगा मॉक ड्रिल अभ्यास सम्पन्न

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मंडी, 14 जून

मंडी जिला में आपदा से बचाव के लिए जिला आपदा प्रबंधन प्राधिकरण द्वारा तैयार आपदा प्रबंधन प्लान को धरातल पर परखने के लिए 8वीं मेगा मॉक ड्रिल आयोजित की गई। शुक्रवार को प्रातः नौ बजे मॉक ड्रिल अलर्ट मिलते ही सभी उपमण्डलों में आपदा प्रबंधन से संबंधित तैनात सभी दल अपने निर्धारित स्थान पर स्थापित स्टैजिंग एरिया में डट गए।

बाढ़ और भूस्खलन जैसी प्राकृतिक आपदाओं के दौरान बचाव एवं राहत कार्यों को सुनियोजित एवं कारगर तरीके से अंजाम देने के अभ्यास के लिए मंडी जिला में 12 स्थानों पर मेगा मॉक ड्रिल आयोजित की गई। 

जिला में पधर के कोटरूपी, जोगिन्दर नगर के दुल, करसोग के बाईपास सड़क बारल, गोहर के दाण, कोटली के बस अड्डा, बॉलीचौकी के कुकलाह, सदर के पंचवक्त्र मन्दिर, थुनाग के बाजार, बल्ह के कन्सा मैदान, धर्मपुर के बस अड्डा, सुन्दरनगर के नागरिक अस्पताल जबकि सरकाघाट के ज्वाली पटड़ीघाट में इस मॉक ड्रिल का अभ्यास किया गया। 

मॉक ड्रिल के लिए दी गई परिस्थितियों के अनुसार सुबह करीब नौ बजे जिला आपदा प्रबंधन प्राधिकरण के जिला आपातकालीन संचालन केंद्र में 12 स्थानों में बाढ़ और भूस्खलन में लोगों के फंसने की सूचना दी गई।

पंचवक्त्र मन्दिर, थुनाग बाज़ार, कन्सा चौक, धर्मपुर बस अड्डा, नागरिक अस्पताल सुन्दरनगर व कुकलाह में बाढ़ जबकि कोटरूपी, दुल, बारल, दाण, कोटली बस अड्डा व ज्वाली में भूस्खलन में कई लोगों के दबे होने की सूचना मिलते ही पूरी जिले में आईआरएस यानि इंसीडेंट रिस्पांस सिस्टम सक्रिय हो गया।

मॉक ड्रिल के लिए जिला इंसीडेंट कमांडर उपायुक्त अपूर्व देवगन के निर्देशानुसार स्टेजिंग एरिया स्थापित करके बचाव दलों को आवश्यक मशीनरी के साथ घटनास्थलों के लिए रवाना कर दिया।

उपायुक्त मण्डी एवं जिला आपदा प्रबंधन प्राधिकरण के अध्यक्ष अपूर्व देवगन ने 

बताया कि जिला में 8वीं मेगा मॉक ड्रिल का अभ्यास सफल रहा। उन्होंने कहा कि यह मेगा मॉकड्रिल प्रभावी आपदा, घटना प्रतिक्रिया योजना और कमियों को दर्शाने व उनके समाधान में बहुत प्रभावी होगी।

उन्होंने कहा कि इस मैगा मॉक अभ्यास के आयोजन का उद्देश्य भूस्खलन, बाढ़ व बादल फटने से आई अचानक बाढ़ जैसी आपदा के दौरान निर्धारित तैयारियों को जांचना तथा विभिन्न राहत व बचाव कार्यों का अभ्यास करना था।

उन्होंने कहा कि इस पूरे मैगा मॉक ड्रिल के दौरान राहत, बचाव एवं पुनर्वास कार्यों के प्रति विभिन्न विभागों के बीच आपसी समन्वय भी स्थापित करना रहा।

इसके अलावा विभिन्न विभागों के पास उपलब्ध मशीनों व उपकरणों की जांच भी इस अभ्यास का अहम हिस्सा रहा, जिनका इस तरह की आपदा के दौरान इस्तेमाल किया जा सके। उन्होंने कहा कि ऐसी किसी प्राकृतिक आपदा में स्थानीय प्रशासन, पंचायती राज संस्थाओं के प्रतिनिधि एवं स्थानीय लोग मिलकर न केवल जान माल के नुकसान को कम कर सकते हैं बल्कि समयबद्ध राहत व बचाव कार्य शुरू करने में भी मददगार साबित हो सकते हैं। साथ ही कहा कि भविष्य में इस तरह की कोई भी आपदा घटित होती है तो इसकी सूचना तुरंत स्थानीय प्रशासन को देना सुनिश्चित बनाएं।

उपायुक्त एवं जिला आपदा प्रबंधन प्राधिकरण के अध्यक्ष अपूर्व देवगन ने रेस्क्यू ऑपरेशनों की निगरानी की और दोपहर तक सभी 12 स्थानों पर बचाव एवं राहत कार्यों को पूर्ण कर लिया गया।

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