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उन्होनें कहा कि आने वाले समय में आउटर सिराज से कुल्लू सिराज को जोड़ने के सभी प्रयास किए जा रहे हैं जिससे पर्यटन को विस्तार मिलेगा।
उन्होंने कहा कि अंग्रेजों के समय की सड़कों को बेहतर किया जा रहा है जिससे यहां आने वाले पर्यटकों को पर्यटन का सुखद अनुभव मिल सके तथा विश्व धरोहर के रुप में यहां वैश्विक पर्यटन विकसित हो सके।
उन्होनें कहा कि यह हमारे लिए अत्यंत गर्व का विषय है कि हम एसे महत्वपूर्ण धरोहर स्थलों की महिमा के प्रति सजग हैं और उन्हें सुरक्षित रखने के लिए प्रयास करते रहते हैं।
उन्होनें कहा विश्व में 227 प्राकृतिक स्थलों को विश्व धरोहर का दर्जा प्राप्त है और जिसमें एशिया में 72 स्थल है। भारत में केवल 7 प्राकृतिक स्थलों को यह गौरव प्राप्त है जिनमें से जी०एच०एन०पी० सी०ए० एक स्थल है। ग्रेट हिमालयन नेशनल पार्क संरक्षण क्षेत्र को दोहा में 25 जून 2014 को आयोजित विश्व धरोहर समिति की बैठक के 38 वें सत्र के दौरान यूनेस्को की विश्व धरोहर स्थलों की सूची में पश्चिमी हिमालय में जैव विविधता संरक्षण और असाधारण प्राकृतिक सुंदरता के लिए शामिल किया गया ।
सीपीएस ने कहा कि यह क्षेत्र प्राकृतिक रूप से उतरी, पूर्वी और दक्षिणी सीमाओं में बर्फीली पहाड़ियो द्वारा संरक्षित हैं। इस पार्क की प्राकृतिक सुंदरता अदभुत है। यहां के हिमनद, नदी, झरने, घने जंगल और उंची पर्वत चोटियां एक अद्वितीय दृश्य प्रस्तुत करते हैं। यहां का वातावरण शांति और सुकून प्रदान करता है और हमें प्रकृति के अदभुत चमत्कारों का अनुभव कराता है। इस में ट्रैकिंग, कैम्पिंग और बर्ड वाचिंग जैसे विभिन्न साहसिक गतिविधियां पर्यटकों के लिए आकर्षण का केंन्द्र हैं। यह धरोहर 1700 से 5600 मी0 तक की उचाई तक फैलां हुआ है इसमें 4 नदियों का उदगम क्षेत्र तीर्थन, सैज, जीवानाला, और पार्वती आते हैं।
उन्होनें कहा कि इसमें जैव विविधता शामिल है जैसे बान के सम शीतोष्ण क्षेत्र, उपोष्ण कटीबधीय चीड़, शकुधारी मिश्रित पतझड जंगल, देवदार और कैल के वन, भोजपत्र, बुराश के वन, अलपाईन क्षेत्र इत्यादि जिसमे कई प्रकार के छोटे फूल और जड़ी बूटिया पाई जाती है। नैशनल पार्क में स्थाई वर्फ का क्षेत्र और भी उचाई वाले क्षेत्र भी शामिल है।
मुख्यातिथि ने कहा जी०एच०एन०पी० विभिन्न वन्य जीवों का आवास स्थल है जैसे सीरो, हिमालयन थार, घोरल, नीली भेड़, भारतीय पिका, उड़ने वाली गिलहरी, कालाभालू, भूराभालू, हिमतेंदुआ, लाल लोमड़ी, कस्तूरी मृग आदि। पार्क में 200 से अधिक पक्षी प्रजातियो ‘को दर्ज किया गया है जैसे तीतर, ग्रैडला, हिममुर्गा, हिम कबूतर आदि। जी०एच०एन०पी० में अत्यंत दुलर्भ जुजुराना की लगभग 10 प्रतिशत जंगली आबादी है। विश्व में जुजुराना की सख्या 3500 से भी कम होने का अनुमान है।
पार्क की जैवविविधता पर दबावों को महसूस करते हुए आसपास के गांवों को एक बफरजोन (265.6 वर्गकिलोमीटर) के रूप में स्थापित किया गया। इस ईको जोन लगभग 90 प्रतिशत क्षेत्र, एक वन क्षेत्र है, जिसका उचित प्रबंधन होने पर स्थानी लोगों की वन आधारित आवश्यकताओं को पूरा किया जा सकता है। र्पाक प्रशासन ने ऐतिहासिक रूप से उन समुदायों को प्रोत्साहित किया है जिनकी पार्क निर्दिष्ट क्षेत्र पर आर्थिक निर्भरता रही हैं।
उन्होंने कहा कि स्थानीय ग्रामीणों ने खुद को (जैव विविधता, पर्यटन और सामुदायिक उन्नति) नामक एक सोसायटी में संगठित किया है। पार्क प्रबंधन के साथ काम करते हुए इसके सदस्य प्रकृति संरक्षण और ग्रामीण आजीविका से जुड़े जटिल मुददों को हल करने के लिए समुदाय आधारित इकोटूरिज्म, जैसे नवीन दृष्टिकोण विकसित कर रहे हैं। इकोटूरिज्म ग्राम समुदायों के लिए लाभकारी और प्रकृति संरक्षण एवं शिक्षा को प्रोत्साहित करता है।
इस अवसर पर एपीएमसी के अध्यक्ष राम सिंह मियां ने अपने विचार प्रस्तुत करते हुए मुख्य अतिथि का आभार प्रकट किया तथा इस क्षेत्र में पर्यटन विकसित करने के लिए तथा स्थानीय युवाओं को पर्यटन के कार्य से जुड़कर रोजगार व स्वरोजगार प्रदान करने के लिए मुख्य अतिथि के प्रयासों के लिए आभार प्रकट किया।
पीसीसीएफ वाइल्ड लाइफ अमिताभ गौतम ने सभी उपस्थित अतिथियों का स्वागत एवं अभिनंदन किया। इस अवसर पर अरन्यपाल कुल्लू एवं ग्रेट हिमालयन नेशनल पार्क संदीप शर्मा सहित कई अन्य गण मान्य व्यक्ति उपस्थित थे।
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