हमीरपुर 15 अक्तूबर। उपायुक्त अमरजीत सिंह ने प्रधानमंत्री आदर्श ग्राम योजना के अंतर्गत मंजूर किए गए सभी विकास कार्यों को अतिशीघ्र पूरा करने के निर्देश दिए हैं। मंगलवार को इस योजना की जिला स्तरीय अभिसरण समिति की बैठक की अध्यक्षता करते हुए अमरजीत सिंह ने कहा कि खंड विकास अधिकारी और तहसील कल्याण अधिकारी इन कार्यों की नियमित रूप से समीक्षा करें तथा संबंधित पंचायत सचिवों और प्रधानों के साथ समन्वय स्थापित करें।
उपायुक्त ने कहा कि वर्ष 2022-23 में जिला हमीरपुर के 5 गांवों दरोगण, दड़ूही, धीरड़, महारल और मालग को प्रधानमंत्री आदर्श ग्राम योजना में शामिल किया गया था और इन गांवों के लिए ग्राम विकास योजनाएं तैयार की गई थीं। इन गांवों के लिए कुल 167 विकास कार्य मंजूर किए गए हैं और इनमें से 38 कार्य पूरे कर लिए गए हैं। उपायुक्त ने कहा कि अगर किसी कार्य को लेकर कोई विवाद है या कोई अन्य अड़चन आ रही है या फिर वह कार्य संभव ही नहीं हो पा रहा है तो उसकी जगह अन्य कार्य का प्रस्ताव तैयार किया जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि सभी संबंधित पंचायतें इन कार्यों में कनवर्जेंस का विशेष ध्यान रखें। कार्य पूर्ण होते ही उसकी ऑनलाइन रिपोर्टिंग एवं अपलोडिंग भी तुरंत करें।
उपायुक्त ने कहा कि पिछली बार जिला हमीरपुर ने इस योजना के क्रियान्वयन में पूरे देश में पहला स्थान हासिल किया था। इस स्थान को बरकरार रखने के लिए सभी अधिकारी और पंचायत जनप्रतिनिधि तत्परता के साथ कार्य करें। बैठक में कार्यकारी जिला कल्याण अधिकारी बलदेव सिंह चंदेल ने विभिन्न विकास कार्यों की प्रगति का विस्तृत ब्यौरा प्रस्तुत किया।
4 दिव्यांगजनों के लिए कानूनी संरक्षकों की नियुक्ति को दी मंजूरी
प्रधानमंत्री आदर्श ग्राम योजना की समीक्षा केे बाद उपायुक्त अमरजीत सिंह ने मानसिक मंदता, ऑटिज्म, सेरीब्रल पाल्सी और बहु-विकलांगता के शिकार व्यक्तियों के कल्याण के लिए बनाए गए राष्ट्रीय न्यास अधिनियम 1999 के अंतर्गत स्थानीय समिति की त्रैमासिक बैठक की अध्यक्षता भी की। बैठक के दौरान समिति ने उक्त विकलांगताओं के शिकार 4 व्यक्तियों के लिए कानूनी संरक्षकों की नियुक्ति को मंजूरी प्रदान की।
उपायुक्त ने बताया कि इस तरह की विकलांगताओं के शिकार 18 वर्ष तक की आयु के बच्चों के माता-पिता स्वभाविक रूप से ही उनके संरक्षक होते हैं। लेकिन, 18 वर्ष की आयु पूर्ण होने के बाद ऐसे लोगों के लिए कानूनी संरक्षकों की नियुक्ति आवश्यक होती है, ताकि ये अधिकृत संरक्षक दिव्यांगजनों की ओर से सभी आवश्यक औपचारिकताएं को पूर्ण कर सकें।
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