Read Time:5 Minute, 0 Second
शिमला, 26 अक्टूबर
उत्तर क्षेत्र सांस्कृतिक केंद्र पटियाला, संस्कृति मंत्रालय भारत सरकार एवं भाषा एवं संस्कृति विभाग जिला शिमला के संयुक्त तत्वावधान में आज ऐतिहासिक गेयटी थियेटर परिसर के मुक्ताकाश रंगमंच द रिज शिमला में लोक विरासत विलुप्त होती लोक कलाओं के उत्सव का आयोजन करवाया गया। कार्यक्रम में संयुक्त निदेशक भाषा एवं संस्कृति विभाग हिमाचल प्रदेश मंजीत शर्मा ने बतौर मुख्य अतिथि शिरकत की तथा पद्म श्री विद्यानंद सरैक ने कार्यक्रम की अध्यक्षता की ।
इस अवसर पर जिला किन्नौर के वीणा वादक कृष्ण लाल ने किन्नौरी वीणा की मनमोहक प्रस्तुति दी। डॉ जोगिंद्र सिंह हाब्बी एवं साथियों ने जिला सिरमौर के पारंपरिक भडाल्टू लोक नृत्य की प्रस्तुति से दर्शकों को मंत्रमुग्ध किया। सोलन से जिया लाल व साथियों ने चांदनियां राता रा नजारा व अनेकों पारंपरिक लोक गीतों की प्रस्तुति दी।
शिमला के मनोज तोमर और साथियों ने जिला शिमला,सोलन मंडी चम्बा के पारंपरिक लोक गीतों की प्रस्तुति दी। सिरमौर से आए कैलाश और साथियों ने जिला सिरमौर के पारंपरिक लोक गीत रेणुका माईए महामाई से प्रस्तुति का आगाज़ किया उन्होंने दीपक, परात ,माला, रासा, मुजरा नाटी की शानदार प्रस्तुति से दर्शकों को झूमने पर मजबूर किया। इस अवसर पर जिला शिमला के दूर दराज क्षेत्र कुपवी के गोपाल सिंह मानटा और साथियों ने दिवाली के अवसर पर गाए जाने वाले पारंपरिक लोक वाद्य हुड़क, दमामा, टंकरा की थाप पर हारूल गायन के साथ बुड़ियात लोकनृत्य की पारंपरिक वेशभूषा मे दमदार प्रस्तुति दी। इनके दल के कलाकारों ने पारंपरिक झुरी गायन की भी मनमोहक प्रस्तुति दी जिसे दर्शकों ने खूब सराहा।
इस अवसर पर जिला किन्नौर के वीणा वादक कृष्ण लाल ने किन्नौरी वीणा की मनमोहक प्रस्तुति दी। डॉ जोगिंद्र सिंह हाब्बी एवं साथियों ने जिला सिरमौर के पारंपरिक भडाल्टू लोक नृत्य की प्रस्तुति से दर्शकों को मंत्रमुग्ध किया। सोलन से जिया लाल व साथियों ने चांदनियां राता रा नजारा व अनेकों पारंपरिक लोक गीतों की प्रस्तुति दी।
शिमला के मनोज तोमर और साथियों ने जिला शिमला,सोलन मंडी चम्बा के पारंपरिक लोक गीतों की प्रस्तुति दी। सिरमौर से आए कैलाश और साथियों ने जिला सिरमौर के पारंपरिक लोक गीत रेणुका माईए महामाई से प्रस्तुति का आगाज़ किया उन्होंने दीपक, परात ,माला, रासा, मुजरा नाटी की शानदार प्रस्तुति से दर्शकों को झूमने पर मजबूर किया। इस अवसर पर जिला शिमला के दूर दराज क्षेत्र कुपवी के गोपाल सिंह मानटा और साथियों ने दिवाली के अवसर पर गाए जाने वाले पारंपरिक लोक वाद्य हुड़क, दमामा, टंकरा की थाप पर हारूल गायन के साथ बुड़ियात लोकनृत्य की पारंपरिक वेशभूषा मे दमदार प्रस्तुति दी। इनके दल के कलाकारों ने पारंपरिक झुरी गायन की भी मनमोहक प्रस्तुति दी जिसे दर्शकों ने खूब सराहा।
लोक संस्कृति का संरक्षण आवश्यक : पद्म श्री विद्यानंद सरैक
इस अवसर पर पद्म श्री विद्यानंद सरैक ने अपने विचार साझा करते हुए कलाकारों व दर्शकों से संवाद स्थापित किया और लोक नृत्य, लोक वाद्य एवं लोक संस्कृति पर महत्वपूर्ण जानकारी साझा की। उन्होंने युवाओं एवं जन सामान्य से लोक संस्कृति को संरक्षित करने हेतु आवाहन किया।
इस अवसर पर पद्म श्री विद्यानंद सरैक ने अपने विचार साझा करते हुए कलाकारों व दर्शकों से संवाद स्थापित किया और लोक नृत्य, लोक वाद्य एवं लोक संस्कृति पर महत्वपूर्ण जानकारी साझा की। उन्होंने युवाओं एवं जन सामान्य से लोक संस्कृति को संरक्षित करने हेतु आवाहन किया।
उन्होंने कहा कि लोक संस्कृति के संरक्षण के लिए सभी लोगों को आगे आने की आवश्यकता है लोक संस्कृति केवल नाच गाने से नहीं है अपितु हमारे खान पान एवं रेहान सेहन से भी जुड़ा हुआ विषय है।
प्राचीन संस्कृति संरक्षण का बेहतरीन प्रयास : दर्शक देव ठाकुर
दर्शक दीर्घा में बैठे वन विभाग से सेवानिवृत अधिकारी एवं दलाश आनी के निवासी देव ठाकुर ने कहा कि उत्तर क्षेत्र सांस्कृतिक केन्द्र पटियाला, संस्कृति मंत्रालय भारत सरकार एवं भाषा एवं संस्कृति विभाग हिमाचल प्रदेश द्वारा प्राचीन संस्कृति के संरक्षण के लिए अत्यंत सरहानीय प्रयास है। इस तरह के आयोजन से हमारी पीढ़ियों को भी प्राचीन संस्कृति की जानकारी हासिल होती है।
कार्यक्रम का संचालन विनोद शर्मा ने किया।
इस अवसर पर कार्य अधिकारी एनजेसीसी राजेश बख्शी, जिला भाषा अधिकारी शिमला अनिल हारटा, सहायक लोक संपर्क अधिकारी नीतीश पोजटा, नाट्य निरीक्षक किशोर कुमार, देवेंद्र कुमार देव, शिवम् ठाकुर, भूपेश शर्मा, अशोक कुमार उपस्थित रहे।
इस अवसर पर कार्य अधिकारी एनजेसीसी राजेश बख्शी, जिला भाषा अधिकारी शिमला अनिल हारटा, सहायक लोक संपर्क अधिकारी नीतीश पोजटा, नाट्य निरीक्षक किशोर कुमार, देवेंद्र कुमार देव, शिवम् ठाकुर, भूपेश शर्मा, अशोक कुमार उपस्थित रहे।
Average Rating