महान कहानीकार और उपन्यासकार थे यशपाल : डॉ. पंकज ललित

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यशपाल जयंती पर भाषा एवं संस्कृति विभाग ने हमीरपुर कालेज में आयोजित किया राज्य स्तरीय कार्यक्रम

हमीरपुर 03 दिसंबर। हिमाचल प्रदेश के महान क्रांतिकारी एवं साहित्यकार यशपाल की जयंती के उपलक्ष्य पर भाषा एवं संस्कृति विभाग ने मंगलवार को यहां नेताजी सुभाष चंद्र बोस स्मारक राजकीय महाविद्यालय के सभागार में राज्य स्तरीय कार्यक्रम आयोजित किया। कार्यक्रम का शुभारंभ दीप प्रज्जवलन और महान क्रांतिकारी एवं साहित्यकार यशपाल को पुष्पांजलि अर्पित करके किया गया।
इस अवसर पर सभी वक्ताओं, अन्य अतिथियों, साहित्यकारों और साहित्यप्रेमियों का स्वागत करते हुए निदेशक डॉ. पंकज ललित ने कहा कि बहुमुखी प्रतिभा के धनी यशपाल एक बेहतरीन कहानीकार के साथ-साथ उम्दा उपन्यासकार भी थे। उनकी कहानियों और उपन्यासों के अनुवाद मराठी, गुजराती, तेलगु, मलयालम, अंग्रेजी, रूसी और फ्रेंच भाषाओं में भी प्रकाशित हुए हैं। इनके 50 से अधिक कहानी संग्रह, उपन्यास, लेख संग्रह, नाटक व जेल संस्मरण प्रकाशित हुए हैं। उन्होंने कहा कि उनकी ये अमूल्य धरोहर हमारी आने वाली पीढ़ियों तक भी पहुंचनी चाहिए।
डॉ. पंकज ललित ने कहा कि भाषा एवं संस्कृति विभाग हिमाचल प्रदेश की महान विभूतियों की जयंती और उनसे संबंधित अन्य कार्यक्रमों का आयोजन नियमित रूप से कर रहा है, ताकि उनके द्वारा समाज के पथ प्रदर्शक की दिशा में किए गए कार्यों का समाज व आने वाली पीढ़ी को स्मरण रहे तथा वे उनका अनुसरण करें।
कार्यक्रम के प्रथम सत्र में जवाहर लाल नेहरू विश्वविद्यालय नई दिल्ली के भूतपूर्व प्रोफेसर चमन लाल ने मुख्य वक्ता के रूप में ‘क्रांतिकारी साहित्यकार यशपाल के जीवन में क्रांति और साहित्य का सामंजस्य’ विषय पर शोधपत्र प्रस्तुत करते हुए कहा कि हिंदी साहित्य में उपन्यास के क्षेत्र में प्रेमचंद के बाद यशपाल का स्थान है। इसके बाद साहित्यकार विजय विशाल, डॉ. ओपी शर्मा, डॉ. प्रकाश चंद ठाकुर, त्रिलोक मेहरा, राजेंद्र राजन, रत्न चंद रत्नाकर और अन्य साहित्यकारों ने यशपाल से संबंधित विषयों पर विचार व्यक्त किए।
कार्यक्रम के मुख्य अतिथि वरिष्ठ साहित्यकार डॉ. सुशील कुमार फुल्ल ने अपने वक्तव्य में यशपाल से संबंधित प्रसंगों पर प्रकाश डालते हुए कहा कि यशपाल की कहानियां पाठकों के अंतःकरण को झकझोर देते हुए अपनी छाप छोड़ती हैं।
कार्यक्रम के अध्यक्ष डॉ. हेमराज कौशिक ने कहा कि यशपाल हमीरपुर से लेकर सोलन सहित समूचे हिमाचल के हैं। कार्यक्रम में विशिष्ट अतिथि के रूप में उपस्थित यशपाल के सुपुत्र आनंद यशपाल ने कहा कि भाषा एवं संस्कृति विभाग वर्ष 1977 से निरंतर प्रति वर्ष यशपाल जयंती का आयोजन कर रहा है जो हिमाचल का यशपाल के प्रति अपार स्नेह है। उन्होंने बताया कि यशपाल पर भारत के साथ-साथ विदेशों में भी शोध हो रहे हैं। कार्यक्रम में पद्मश्री करतार सिंह सौंखले भी विशिष्ट अतिथि के रूप में उपस्थित रहे। दूसरे सत्र में रूपी सिराज कला मंच, कुल्लू द्वारा यशपाल जी की कहानियों पर आधारित नाटक का मंचन किया गया।
कार्यक्रम में विभाग के संयुक्त निदेशक मनजीत शर्मा, सहायक निदेशक सुरेश राणा,   सुनीला ठाकुर एवं मोहन कुमार, अनुसंधान सहायक संतोष कुमार एवं दीपा, देवेंद्र, साहित्यकार गंगा राम राजी, दिलीप सिंह ठाकुर, केहर सिंह मित्र, होशियार सिंह, अशोक सोनी, कार्तिक, दिनाक्षी तथा महाविद्यालय के उपप्राचार्य सहित आयोजन समिति के सदस्य संजय शर्मा इत्यादि उपस्थित रहे। इस अवसर पर भाषा एवं संस्कृति विभाग की अभिलेखागार शाखा द्वारा हिमाचल के ऐतिहासिक एवं दुर्लभ अभिलेखों की प्रदर्शनी भी लगाई गई।

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