हिमाचल को आत्मनिर्भर बनाने की दिशा में सरकार के कड़े फैसले: खेलों में पुरस्कार राशि में ऐतिहासिक बढ़ोतरी और आर्थिक विकास पर जोर

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आयुष एवं युवा खेल सेवाएं मंत्री यादविंद्र गोमा ने कहा कि कांग्रेस सरकार ने राज्य की जनता को दी गई दस चुनावी गारंटियों में से पांच को सिर्फ 15 महीनों में पूरा करके दिखाया, जो साबित करता है कि हम केवल जन सेवा के लिए आए है, सत्ता का सुख भोगने नहीं। उन्होंने कहा कि बाकी गारंटियों को पूरा करने के लिए हम पूरी प्रबिद्धता के साथ कार्य कर रहे है। उन्होंने कहा कि हमारा संकल्प है कि हिमाचल प्रदेश वर्ष 2027 तक आत्मनिर्भर और 2031 तक देश का सबसे समृद्धशाली राज्य बने। उन्होंने कहा कि संसाधनों को बढ़ाने और फिजूलखर्ची को रोकने के लिए कड़े कदम उठा रहे है। आज जो कड़े फैसले सुख सरकार ने लिए है वो आने वाले समय में हिमाचल प्रदेश को समृद्धि और विकास की राह पर लेकर जाएंगे। उन्होंने कहा कि वर्तमान सरकार  सरकारी नीतियों में बदलाव लाकर अतिरिक्त राजस्व कमाने में सफल हो रही है। आबकारी नीति में बदलाव से पिछले वित्त वर्ष में 2631 करोड़ रुपये का राजस्व अर्जित किया गया। उन्होंने कहा कि शराब के ठेकों को विस्तार देने की प्रथा को समाप्त कर हमने ठेकों की नीलामी शुरू की, जिससे राज्य को पिछले साल 485 करोड़ रुपये का राजस्व प्राप्त हुआ। उन्होंने कहा कि प्रदेश में पहली बार तहसील और उप-तहसील स्तर पर विशेष राजस्व लोक अदालतों का आयोजन किया गया। अक्तूबर, 2023 से अब तक 2 लाख 09 हजार 334 इंतकाल, 11 लाख 416 तकसीम, 17 लाख 548 निशानदेही और 4504 दुरुस्ती के मामलों का निपटारा किया गया। यादविंद्र गोमा ने कहा कि हिमाचल दूध पर समर्थन मूल्य देने वाला पहला राज्य हिमाचल बना है इससे पशु पालकों की आमदनी में बढ़ोतरी होगी तथा ग्रामीण अर्थव्यवस्था को बल मिलेगा। उन्होंने कहा कि  गाय के दूध पर समर्थन मूल्य 32 से बढ़ाकर 45 रुपये एवं भैंस के दूध पर 47 रुपये से बढ़ाकर 55 रुपये प्रति किलो किया गया है।कहा कि राज्य सरकार खिलाड़ियों के संघर्ष को उचित मान-सम्मान दे रही है। राज्य सरकार ने पुरस्कार राशि में ऐतिहासिक बढ़ोतरी की है ताकि खिलाड़ी प्रोत्साहित हों और युवा खेलों के साथ जुड़ सकें। उन्होंने कहा कि राज्य सरकार खिलाड़ियों की भावनाओं का पूरा ध्यान रखेगी।
उन्होंने कहा कि व्यवस्था परिवर्तन से हिमाचल प्रदेश को आत्मनिर्भर बनाया जा रहा है। आज खिलाड़ियों का सम्मान उसी परिकल्पना को साकार कर रहा है क्योंकि पहले कोई खिलाड़ी कल्पना भी नहीं कर सकता था कि सम्मान राशि में इतनी बढ़ोतरी हो सकती है। शारीरिक बाधाओं को पार कर देश का नाम रोशन करने वाले खिलाड़ियों की पुरस्कार राशि को आम खिलाड़ियों के बराबर आठ गुना बढ़ाया गया है। उन्होंने कहा कि आज जब यह खिलाड़ी विदेशों में जाकर देश का नाम रोशन करते हैं तो हिमाचल प्रदेश भी विख्यात होता है।
उन्होंने कहा कि ओलंपिक, शीतकालीन ओलंपिक तथा पैरालंपिक प्रतियोगिताओं में स्वर्ण पदक विजेताओं के लिए पुरस्कार राशि 3 करोड़ रुपये से बढ़ाकर 5 करोड़ रुपये की गई है। रजत पदक विजेताओं को अब 2 करोड़ रुपये के स्थान पर 3 करोड़ रुपये तथा कांस्य पदक विजेताओं को 1 करोड़ रुपये के स्थान पर 2 करोड़ रुपये दिए जा रहे हैं। मुख्यमंत्री ने कहा कि एशियाई खेलों तथा पैरा एशियाई खेलों में उत्कृष्ट प्रदर्शन करने वाले खिलाड़ियों के लिए स्वर्ण पदक विजेताओं की पुरस्कार राशि में वृद्धि करते हुए इसे 50 लाख रुपये से बढ़ाकर 4 करोड़ रुपये किया गया है, जबकि रजत पदक विजेताओं को 30 लाख रुपये के स्थान पर 2.50 करोड़ रुपये तथा कांस्य पदक विजेताओं को 20 लाख रुपये के स्थान पर 1.50 करोड़ रुपये दिए जा रहे हैं।
उन्होंने कहा कि राष्ट्रमण्डल खेलों में स्वर्ण पदक विजेताओं को 50 लाख रुपये के स्थान पर 3 करोड़ रुपये, रजत पदक विजेताओं को 30 लाख रुपये के स्थान पर 2 करोड़ रुपये और कांस्य पदक विजेताओं को 20 लाख रुपये के स्थान पर 1 करोड़ रुपये की पुरस्कार राशि दी जा रही है। इसके अतिरिक्त डाइट मनी के साथ-साथ यात्रा भत्तों में भी बढ़ोतरी की गई है।

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