नॉन-इनवेसिव कैंसर बायोमार्कर की खोज: शीघ्र निदान की नई उम्मीद

प्रविष्टि तिथि: 20 फरवरी 2025 | स्थान: नई दिल्ली

भारत के शोधकर्ताओं ने एक नई खोज में अग्नाशय और ग्लायोमा कैंसर के लिए संभावित सार्वभौमिक बायोमार्कर की पहचान की है, जिससे कैंसर के शीघ्र निदान और उपचार में नॉन-इनवेसिव (बिना सर्जरी या जटिल प्रक्रियाओं के) तरीकों की संभावना बढ़ गई है। यह अध्ययन कैंसर के शुरुआती पहचान के लिए एक महत्वपूर्ण कदम साबित हो सकता है।

क्या है यह नया बायोमार्कर?

वैज्ञानिकों की एक टीम ने कैंसर-प्रभावित कोशिकाओं से निकलने वाले कुछ विशेष मेटाबोलाइट्स की पहचान की, जो मस्तिष्क और रीढ़ की हड्डी की ग्लायल कोशिकाओं में विकसित होते हैं। ये मेटाबोलाइट्स अग्नाशय और ग्लायोमा जैसे आक्रामक कैंसरों में देखे गए, जो इस बात का संकेत देते हैं कि वे एक सार्वभौमिक कैंसर बायोमार्कर के रूप में इस्तेमाल किए जा सकते हैं।

क्यों जरूरी है यह खोज?

अग्नाशय और ग्लायोमा कैंसर का आमतौर पर देर से निदान होता है, जिससे उपचार कठिन हो जाता है। वर्तमान में, कैंसर की पहचान और उपचार के लिए जटिल और कष्टदायक प्रक्रियाओं का सहारा लिया जाता है। ऐसे में, नॉन-इनवेसिव कैंसर बायोमार्कर की खोज से एक नई उम्मीद जगी है, जो कैंसर निदान में क्रांतिकारी बदलाव ला सकती है।

कैसे हुआ शोध?

यह अध्ययन विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग (डीएसटी) के स्वायत्त संस्थान नैनो विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी संस्थान (आईएनएसटी), मोहाली के वैज्ञानिकों द्वारा किया गया। टीम में सुश्री नंदिनी बजाज और डॉ. दीपिका शर्मा शामिल थीं। उन्होंने अग्नाशय, फेफड़े और ग्लायोमा कैंसर सेल लाइनों से प्राप्त एक्सोसोम (नैनो मैसेंजर) में मेटाबोलाइट्स की पहचान की।

तकनीकी दृष्टिकोण

शोधकर्ताओं ने इस अध्ययन के लिए उन्नत वैज्ञानिक तकनीकों का उपयोग किया, जिसमें शामिल हैं:
✔ नैनोपार्टिकल ट्रैकिंग एनालिसिस (एनटीए)
✔ इलेक्ट्रॉन माइक्रोस्कोपी (ईएम)
✔ फूरियर ट्रांसफॉर्मेड इंफ्रारेड स्पेक्ट्रोस्कोपी (एफटीआईआर)
✔ लिक्विड क्रोमैटोग्राफी-टेंडेम मास स्पेक्ट्रोमेट्री (एलसी-एमएस/एमएस)
✔ न्यूक्लियर मैग्नेटिक रेजोनेंस (एनएमआर)

इन तकनीकों के संयोजन से एक्सोसोम के विस्तृत लक्षणों का अध्ययन किया गया, जिससे पारंपरिक एकल-विधि अध्ययनों की तुलना में अधिक व्यापक परिणाम प्राप्त हुए।

भविष्य की संभावनाएँ

इस शोध के निष्कर्ष नैनोस्केल पत्रिका में प्रकाशित किए गए हैं। यह कैंसर के लक्षित उपचारों की ओर एक महत्वपूर्ण कदम हो सकता है, जिससे ट्यूमर के अनियमित चयापचय मार्गों को बाधित किया जा सकता है। इससे न केवल उपचार की प्रभावकारिता बढ़ेगी, बल्कि संभावित दुष्प्रभाव भी कम होंगे।

यह खोज कैंसर निदान को सरल, त्वरित और अधिक प्रभावी बना सकती है, जिससे मरीजों को शुरुआती चरण में ही उचित उपचार मिल सकेगा।


🔹 डिस्क्लेमर: यह लेख एक शोध अध्ययन पर आधारित है और इसका उद्देश्य जानकारी प्रदान करना है। यह चिकित्सा परामर्श का विकल्प नहीं है। किसी भी स्वास्थ्य समस्या के लिए विशेषज्ञ डॉक्टर से परामर्श अवश्य लें।

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