नाट्य अनुकृति शिमला द्वारा : “पोह की आखरी रात”कविता संग्रह है की पुस्तक भेंट कार्यक्रम एवं कवि सम्मेलन व समीक्षा कार्यक्रम का आयोजन

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शिमला 10 अक्तूबर : “पोह की आखरी रात”कविता संग्रह है की पुस्तक भेंट कार्यक्रम एवं कवि सम्मेलन व समीक्षा कार्यक्रम का आयोजन नाट्य अनुकृति शिमला द्वारा रोटरी टाउन हॉल में आयोजित किया गया। यह जानकारी संस्था के अध्यक्ष संजय सूद ने आज यहां दी।
उन्होंने बताया ककार्यक्रम की अध्यक्षता वरिष्ठ साहित्यकार के आर भारती ने की उन्होंने सविता बंटा की पुस्तक पोह की आखिरी रात की समीक्षा करते हुए कविता संकलन को भावनाओं का प्रकाश पुंज बताया। उन्होंने कहा कि काव्य संग्रह सभी अनिवार्य तत्व अपने में समेटे हुए है। उन्होंने कहा कि 27 कविताएं उपमाओं, अलंकारों और सुंदर प्रयोग के साथ आगे बढ़ने के लिए प्रेरित करती हैं। नारी विमर्श की यह कविताएं पुरुष से आगे बढ़ने की दौड़ की बजाए नारी को अपने गुणों को पहचानने और पुष्पित करने पर बल देती है। उन्होंने कहा कि सभी कविताएं पठनीय है जिनमें प्रतीक ,बिंब, रस और अलंकार भाषा को निखारतें हैं। भावनाएं और संवेदनाएं कविता में डालने की संभावनाएं सविता बंटा में है।
डॉ प्रियंका वैद्य ने संग्रह की समीक्षा करते हुए कहा कि भावनाओं की पराकाष्ठा कविताओं में झलकती है। अभिव्यक्ति की प्रखरता पोह की आखिरी रात कवित्री के अपने होने का भाव प्रस्तुत करती है। जीवन पर्यंत संघर्ष जो जीवन में रहता है वह इस किताब में झलकता है। सभी कविताओं में चाह है उड़ने की फिर भी कहीं ना कहीं कोई बंधन है जिस ने पकड़ रखा है यही मनुष्य का जीवन है विशेष रुप से स्त्री जीवन है। गुलामी से उन्मुक्तता की उड़ान कविता में नजर आती है।
प्रेरणा चतुर्वेदी ने कहा कि कविता में आह है जो कविताओं को पढ़ने के लिए मजबूर करती है। उन्होंने कवि सम्मेलन का शुभारंभ करते हुए कविता बनती कैसे है इस पर चंद पंक्तियां प्रस्तुत करते हुए अपनी कविता कही।
पूछा मुझसे मित्र ने कविवर यह बताइए
आती है कैसे कविता मानस मन में आज मुझे सिखाइए।
उन्होंने काशी के घाटों का जिक्र करते हुए एक और कविता प्रस्तुत की
चौरासी घाटों का चंद्रहार पहने इठलाता बनारस है।
गंगा की पावन लहरों से दिन-रात बतियाता बनारस। है। प्रस्तुत की। प्रख्यात कवि गुप्तेश्वर नाथ ने अलग अलग स्वाद की तीन कविताएं प्रस्तुत की। उन्होंने तिमिर बहुत गहरा है शीर्षक से प्रस्तुत कविता में कहा कि
हर तरफ टंगा राजनीति का पर्दा है
पर्दे का रंग कहीं लाल कहीं हरा है।
कोई उड़ गया कोई अभी तक कोई ठहरा है तिमिर बहुत गहरा है।
से श्रोताओं की उन्मुक्त प्रशंसा प्राप्त की।
प्रियंका वैद्य ने अपनी कविता छोड़ आया हूं मैं घर मकान की तलाश में प्रस्तुत कर वाहवाही लूटी। वरिष्ठ कथाकार एस आर हरनोट ने दो कविताओं को टिप्पणियों के तौर पर पंक्ति बंद करते हुए औरत और शिमला पर कविताएं प्रस्तुत की।
वह लड़की शीर्षक प्रस्तुत कविता में उन्होंने कहा
वह लड़की प्रेम होना चाहती है
कि लिख सके उस पर प्रेम कविता
पत्रिकाएं निकाले उस पर प्रेम विशेषांक
शिमला शिमला का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा कि बादलों के कंधों पर बैठा रहता है शिमला
सूरज चांद घाटियों की पीठ पर देवदार बेहद सतर्क बादल चुरा ना ले जाए लाल हरे टीम के घरों को।
कवित्री सविता बंटा ने अपनी कविता संग्रह की तीन कविताएं प्रस्तुत की।
नन्हे कवि विवेकानंद चतुर्वेदी की कविताओं में सभी का मन मोहा।
चंडीगढ़ से आई तारकेश्वरी ग्रोवर ने अपनी कविता
वह गुमसुम सी एक कोने में बैठी अपने ही विचारों की श्रृंखला को बुनते उधडते देख रही थी प्रस्तुत की जिसकी सभी ने सराहना की।
मोहाली मैक्स अस्पताल मैं कार्यरत डॉक्टर यामिनी बंटा ने प्रेम रस की कविता प्रस्तुत करते हुए कहा तेरा हाथ थाम कर यूं ही खो जाने को जी चाहता है
बारिश की बूंदों के साथ यूं ही गुनगुनाने को जी चाहता है।
मंच का कुशल संचालन करते हुए दीप्ति दो कविताएं प्रस्तुत की।
कार्यक्रम में विशेष अतिथि के रुप में पधारे वरिष्ठ निर्देशक, रंगकर्मी प्रवीण चांदला ने सविता बंटा के अभिनय पक्ष का जिक्र किया तथा लेखन के प्रति उनकी सक्रिय भागीदारी के लिए साधुवाद व्यक्त किया।
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