भरमौर-पांगी का नेतृत्व करने वाले नेताओं ने अगर सिर्फ ठेकेदारी प्रथा को बढ़ावा न देकर इन स्वाबलंबी रोजगार के साधनों को स्थापित करने के लिए काम किया होता तो शायद आज मुझे अपनी डॉक्टरी की सेवाओं को छोड़कर इस चुनावी जंग में न कूदना पड़ता-डॉ जनक राज

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साथियों, आज के दौर में सबसे ज्यादा जद्दोजहद का जीवन युवा जी रहे हैं जिसकी मुख्य वजह है दिन प्रतिदिन बढ़ रही बेरोजगारी। ऐसा नहीं है कि हमारे युवा सरकारी- गैर सरकारी रोजगार के लिए सक्षम नहीं है लेकिन दिन प्रतिदिन बढ़ रही जनसंख्या और तकनीकी में आ रही क्रांति के कारण मानव संसाधनों की आवश्यकता कम हो गई है।जिस कारण आज के युग में 1-1 मशीन सैकड़ों लोगों का काम अकेले कर लेती है। शिक्षा ग्रहण करने के बाद युवाओं का सबसे पहला प्रयास नौकरी होता है जिसकारण आज की अधिकतर युवा डिप्रेशन का जीवन जी रहे हैं जबकि हम यह भूल रहे हैं कि अगर हम स्वरोजगार के साधन अपनाएं तो अपने घर-गांव में रहकर भी हम अच्छी खासी आय प्राप्त कर सकते हैं ।
साथियों, अगर मैं हिमाचल प्रदेश की बात करूं तो मेरा व्यक्तिगत रुप से मानना है कि हिमाचल प्रदेश में रोजगार के लिए जल विद्युत परियोजनाएँ, पर्यटन और ट्रेडिंग तीन ऐसे बड़े क्षेत्र हैं जहां रोजगार की आपार संभावनाएं हैं। हालांकि आज के दौर में भरमौर विधानसभा में बहुत से युवा जल विद्युत परियोजना में काम कर रहै हैं लेकिन दुर्भाग्यवश यह क्षेत्र रोजगार का अस्थाई साधन है जबकि भरमौर-पांगी विधानसभा में पर्यटन और ट्रेडिंग के क्षेत्र में अत्याधिक संभावनाएं हैं।
साथियों,जरा सोचो अगर वर्षों से चली आ रही होली-उतराला सड़क का कार्य युद्ध स्तर पर शुरू किया जाए तो यह होली क्षेत्र के युवाओं के लिए और रोजगार के मार्ग खोल देगा, जहां पैराग्लाइडिंग और राफ्टिंग से जुड़े कई रोजगार के साधन पैदा होंगे। ऐसे ही भरमौर क्षेत्र की कुगति घाटी, बन्नी घाटी ,कुंर-छतराड़ी की घट वैली, बग्गा-सामरा का वासुकी नाग, पांगी का मिन्धल माता और अन्य कई मन्दिर,सुराल घाटी एवं पाँगी की प्रजामंडल व्यवस्था अपने आप में अनोखी है। और न जाने अनेकों ऐसे कई मनमोहक स्थल हमारी विधानसभा में हैं जहां इस क्षेत्र के सैकड़ों युवा साथियों को रोजगार के बड़े अवसर मिल सकते हैं । इन क्षेत्रों में हम सड़क मार्ग, हैलीटैक्सी जैसे साधनों को विकसित कर अपनी संस्कृति एवं खाद्य उत्पादों से जुड़ी कई वस्तुओं को यहां आने वाले पर्यटकों के लिए तैयार कर सकती हैं।
साथियों, इसी तरह भरमौर-पांगी में ट्रेडिंग के क्षेत्र में भी आपार संभावनाएं हैं। घाटी में उत्पन्न होने वाले सेब, गुछ्छी अखरोट,राजमाह, ज्वार, बाजरा और पाँगी घाटी में उत्पन्न होने वाले न्योजा, ठाँगी, कालाजीरा ,शिलाजीत जैसे कई उत्पाद हैं जिन्हें हम ट्रेडिंग के माध्यम से देश विदेश तक पहुंचा सकते हैं ।
रोजगार की इन दो साधनों को धरातल पर उतारने के लिए मेरे पास पूरा ब्लूप्रिंट है जिसे मैं फेसबुक पर शब्दों के माध्यम से बयां नहीं कर सकता लेकिन मैं इतना जरूर कहूंगा भरमौर-पांगी का नेतृत्व करने वाले नेताओं ने अगर सिर्फ ठेकेदारी प्रथा को बढ़ावा न देकर इन स्वाबलंबी रोजगार के साधनों को स्थापित करने के लिए काम किया होता तो शायद आज मुझे अपनी डॉक्टरी की सेवाओं को छोड़कर इस चुनावी जंग में न कूदना पड़ता।
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