इस राज्य में हर 5 साल में सरकार बदलने का ट्रेंड, क्या ‘बागी’ बनेंगे किंगमेकर?

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इस राज्य में हर 5 साल में सरकार बदलने का ट्रेंड, क्या ‘बागी’ बनेंगे किंगमेकर?।Himachal Pradesh Assembly Election 2022: हिमाचल प्रदेश विधानसभा चुनाव में वैसे तो भाजपा और कांग्रेस दोनों को अपने-अपने नेताओं-कार्यकर्ताओं की बगावत का सामना करना पड़ रहा है, मगर कांग्रेस की तुलना में भाजपा की परेशानी बड़ी है।दरअसल, हिमाचल प्रदेश में यह ट्रेंड रहा है कि पांच साल पर सरकार बदल जाती है। अभी भाजपा सत्ता में है और पार्टी चाहती है कि इस ट्रेंड को बदला जाए। ऐसे में खुद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी काफी मेहनत कर रहे हैं, जिससे जयराम ठाकुर दोबारा मुख्यमंत्री बन सकें। वहीं, कांग्रेस को जहां 10 सीट पर बगावत का सामना करना पड़ रहा है, वहीं भाजपा के लिए 18 सीट पर बागी मुसीबत बने हुए हैं।

कांग्रेस और भाजपा में जो लोग इस बार टिकट की उम्मीद लगाए थे बैठे थे, जब उनका नाम लिस्ट में शामिल नहीं हुआ तो उन्होंने भी बतौर निर्दलीय प्रत्याशी ताल ठोंक दी। अब यही बागी रूपी निर्दलीय भाजपा और कांग्रेस दोनों के लिए परेशानी का सबब बने हुए हैं और माना जा रहा है कि इससे आम आदमी पार्टी को फायदा हो सकता है। वैसे दोनों ही दलों ने अभी उम्मीद नहीं छोड़ी है। नामांकन का दौर भले ही बीत गया है, मगर पार्टी को उम्मीद है पर्चा वापसी कराने में सफल रहेगी।

एक सीट पर भाजपा विधायक और उनके बेटे भी पार्टी के खिलाफ खड़े हो गए
भाजपा सूत्रों के मुताबिक, इस बार प्रत्याशी सूची में 11 मौजूदा विधायकों को टिकट नहीं दिया गया। इसके अलावा, सुरेश भारद्वाज समेत दो मंत्रियों की विधानसभा सीट को बदल दिया गया। सुरेश भारद्वाज शिमला सदर सीट से चार बार से विधायक हैं। इस बार उन्हें कसुम्पटी से टिकट दिया गया और शिमला सदर सीट पर संजय सूद को टिकट दिया गया। यही नहीं, चंबा सीट पर इंदिरा कपूर की जगह नीलम नैयर को टिकट दिया गया और कुल्लू सदर सीट पर महेश्वर सिंह की जगह नरोत्तम ठाकुर को मैदान में उतारा गया है। इससे नाराज महेश्वर और उनके बेटे हितेश्वर भी कुल्लू सदर सीट पर निर्दलीय प्रत्याशी के तौर पर मैदान में उतर गए हैं। इसके अलावा, एक अन्य भाजपा नेता राम सिंह भी इस बार कुल्लू सदर सीट से टिकट की उम्मीद लगाए बैठे थे, मगर जब लिस्ट में नाम नहीं आया, तो वे निर्दलीय मैदान में उतर गए।

सीएम जयराम ठाकुर के लिए उनका गृह जिला कांगड़ा बन गया मुसीबत
बहरहाल, भाजपा को कांगड़ा जिले में भी बगावती तेवर देखने को मिल रहे हैं। कांगड़ा मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर का गृह जिला है। ऐसे में यह जिला ठाकुर के लिए और पार्टी के लिए प्रतिष्ठा का प्रश्न बन गया है। यहां 10 विधानसभा सीट में 5 और मंडी की 10 विधानसभा सीट में करीब आधी सीट पर भाजपा नेता और कार्यकर्ता पार्टी के प्रति बगावती तेवर अपनाए हुए हैं। राज्य में विधानसभा चुनाव के लिए नामांकन की तारीख खत्म हो चुकी है। यहां 68 सीटों पर कुल 561 उम्मीदवार मैदान में हैं। इस बार एक चरण में वोटिंग होगी। मतदान 10 नवंबर को है, जबकि मतगणना 8 दिसंबर को होगी।इसमें भाजपा और कांग्रेस के साथ-साथ इस बार आम आदमी पार्टी ने भी सभी 68 सीटों पर उम्मीदवार खड़े किए हैं। वैसे, हिमाचल प्रदेश में बहुत सी सीट ऐसी हैं, जहां हार-जीत का अंतर बहुत मामूली होता है। ऐसे में भाजपा और कांग्रेस को इस बार बागी और फिर आम आदमी पार्टी दोनों से चुनौती मिल रही है, मगर ज्यादा काम इन दोनों पार्टी में बागी बिगाड़ रहे हैं।

http://dhunt.in/EduIS?s=a&uu=0x5f088b84e733753e&ss=pd Source : “Asianet news हिंदी”

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