Himachal Election2022:दोनों तरफ है आग बराबर लगी हुई

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Himachal Election2022:दोनों तरफ है आग बराबर लगी हुई।एक चित्र मंगलवार को सामने आया। अवसर तब का था जब चुनावी राजनीति और हिमाचल में उपलब्ध लगभग हर राजनीतिक दल में रहने के व्यापक अनुभव से लैस सेवानिवृत्त मेजर विजय सिंह मनकोटिया अंतत: भाजपा में आए।तस्वीर के फ्रेम में मेजर साहब भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जगत प्रकाश नड्डा के साथ गले मिल रहे हैं। जाहिर है, विश्व की सबसे बड़ी पार्टी के अध्यक्ष के साथ गले मिलने के लिए लंबे कद के मेजर साहब को उचित समायोजन के लिए थोड़ा झुकना पड़ा। समायोजन की अनिवार्य शर्त यही होती है कि अपना कद छोटा किया जाए। उसी तस्वीर में इन दोनों को हर्ष महाजन विजयी मुस्कान के साथ देख रहे हैं। गगरेट से कांग्रेस के पूर्व विधायक और चिंतपूर्णी मंदिर के पुराहितों के प्रभाव वाले राकेश कालिया भी भाजपा में आ गए हैं।

राजनीति उचित समय पर उचित निर्णय लेने की कला

राजनीति उचित समय पर उचित निर्णय लेने की कला है जिसे यह कला आती है, वह किसी न किसी की हानि और किसी का भला अवश्य करता है। जहां तक विचारधारा की बात है, वह खाने का नहीं दिखाने का पक्ष होता है। पूर्व सैनिक लीग में व्यापक प्रभाव रखने वाले मेजर मनकोटिया स्वच्छ छवि रखते हैं, बेबाक हैं किंतु जनता दल से लेकर भाजपा में इसीलिए आए हैं क्योंकि स्थिरता नहीं रही। राजनीतिक व्यक्ति इसे यूं कहता है कि समझौता नहीं किया। राकेश कालिया का या मेजर मनकोटिया का कितना लाभ भाजपा को मिलेगा, यह मतगणना के बाद ही पता चलेगा किंतु अभी तक भाजपा के पास एक मनोवैज्ञानिक बढ़त है कि हर्ष भी हमारे, विजय सिंह भी हमारे और कालिया भी। यह देखना दिलचस्प होगा कि मनकोटिया जिन नेता के भूमि खरीद के दस्तावेज दिखाकर जांच की मांग करते थे, उनके लिए मतयाचना कैसे करेंगे। कांग्रेस के पास भाजपा से आया हुआ गिनाने को कुल्लू जिले के बंजार वाले पंडित खीमी राम हैं।

भाजपा को बिलासपुर और मंडी सीटों के अलावा कुल्लू और कांगड़ा में बहुत श्रम की आवश्यकता

क्योंकि नामांकन वापसी 29 अक्टूबर को होनी है, इसी वातावरण के बीच दोनों दल अभी तक अग्निशमन दस्ते की तरह सक्रिय हैं। कुल 68 में से 14 क्षेत्र ऐसे हैं जहां भाजपा को अपने असंतुष्टों को मनाना है, करसोग से असंतुष्ट को जयराम ने मना लिया है। 13 क्षेत्र ऐसे हैं जहां कांग्रेस को देखना है कि बागी खड़े रहे तो पार्टी की जीत की संभावना बैठ जाएगी। यह तब है जब, भाजपा ने तो सत्ता विरोधी रुझान पर पानी फेरने के लिए 11 विधायकों के टिकट काट दिए हैं और कुछ मंत्री इधर उधर किए हैं। भाजपा को बिलासपुर और मंडी सीटों के अलावा कुल्लू और कांगड़ा में बहुत श्रम की आवश्यकता है। कुल्लू में राज परिवार से जुड़े महेश्वर सिंह को मार्गदर्शक मंडल में आने में दो वर्ष शेष हैं, तब भी पार्टी ने अपने इस पूर्व प्रदेशाध्यक्ष और पूर्व लोकसभा सदस्य को टिकट दिया पर अंतिम समय में इसलिए काटा क्योंकि उनके पुत्र हितेश्वर सिंह साथ लगती सीट बंजार से निर्दलीय खड़े हुए हैं कि बैठने में नहीं आ रहे। अब कुल्लू में नरोत्तम ठाकुर भाजपा प्रत्याशी हैं। अब कुल्लू में भाजपा इसलिए तनाव में है क्योंकि इस उठापटक का प्रभाव बंजार, कूल्लू और मनाली पर भी हो सकता है। भारतीय जनता पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जगत प्रकाश नड्डा पांच दिन से बिलासपुर में हैं। भाजपा वालों का कहना है कि वह दल का उत्साहवर्धन कर रहे हैं, रणनीति बनाने में दिशा निर्देशन कर रहे हैं। कांग्रेस का कहना है कि बिलासपुर सदर सीट से लेकर पूरे हिमाचल प्रदेश में जिस तरह टिकट बांटे जाने के प्रति असंतोष है, उसे वह शांत कर रहे हैं। असंतोष केवल भाजपा में ही नहीं, कांग्रेस में भी है और यहां तक कि आम आदमी पार्टी में भी है। इसीलिए उसके नेता भी आम आदमी नहीं रहे।

जयसिंहपुर में यादवेंद्र गोमा पर सुशील कौल का साया

कांग्रेस ने जोखिम नहीं उठाया है। वहां प्रत्याशी इतने भी अप्रत्याशित नहीं हैं किंतु असंतोष अप्रत्याशित है। कांग्रेस के दो बड़े उदाहरण यह हैं कि पच्छाद में पुराने नेता गंगू राम भी मुसाफिर हो चुके हैं, चिंतपूर्णी में कुलदीप से अंधेरे की आशंका है। जयसिंहपुर में यादवेंद्र गोमा पर सुशील कौल का साया है। कांग्रेस में टिकट देने की प्रक्रिया को उसके वरिष्ठ नेता राम लाल ठाकुर और कांग्रेस से भाजपा में आने वाले हर्ष महाजन पहले ही प्रश्नांकित कर चुके हैं। शिमला जिले के चौपाल में कांग्रेस के टिकट से वंचित रखे गए, राजीव शुक्ल के विरुद्ध नारे लगा रहे हैं। हमीरपुर सदर जैसे क्षेत्र में कांग्रेस नामांकन के अंतिम दिन उम्मीदवार निश्चित कर पाई।

सभी चुनें सही चुनें

दल कोई भी हो, जीत की संभावना, बार-बार की सर्वेक्षण रपटें…. ऐसा प्रतीत होता है कि कई स्थानों पर दोनों दलों ने इन मानकों को गौण कर दिया है। नामांकन वापसी के बाद कुछ तस्वीर बनेगी कि युद्ध में कौन किसके सामने हैं। भाजपा रिवाज बदल पाएगी या कांग्रेस पुरानी परंपरा की वाहक बनेगी, यह कहना कठिन है। अभी तो हर ओर के स्टार प्रचारकों की सभाएं होंगी। अच्छी बात यह है कि अब तक किसी नेता ने कोई ऐसा शब्द नहीं कहा है जिसका चुनाव आयोग को संज्ञान लेना पड़े। ऊना के हरोली में नामांकन के अवसर पर नेता प्रतिपक्ष मुकेश अग्निहोत्री का मंच ही ढह गया था। किसी को चोट नहीं आई थी। मुख्यमंत्री ने दो ट्वीट किए। एक यह कि कांग्रेस कहती थी, भाजपा के तंबू उखड़ेंगे, उनके स्वयं के मंच ढह रहे हैं। किंतु दूसरा ट्वीट यह था कि हरोली में मंच टूटने की घटना के बाद फोन पर मुकेश जी का कुशलक्षेम जाना। इस वातावरण के बीच इतना ही कहा जा सकता है कि सभी चुनें, सही चुनें।

http://dhunt.in/Ed2vL?s=a&uu=0x5f088b84e733753e&ss=pd Source : “जागरण”

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