हिमाचल प्रदेश: कुल्लू सीट को लेकर शाही परिवार अड़ा. नड्डा व CM समझाने में जुटे। हिमाचल प्रदेश का कुल्लू विधानसभा सीट पिछले दिनों प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के दौरे की वजह से चर्चा में था. इस महीने यहां के दशहरे का आनंद लेने के लिए पीएम पहुंचे थे. लेकिन अब इस प्रतिष्ठित सीट के लिए एक शाही परिवार का ड्रामा चर्चा में आ गया है.।
भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा 12 नवंबर को होने वाले चुनाव से पहले इस मसले को सुलझाने के लिए आगे आए हैं. दरअसल, महेश्वर सिंह, जो कुल्लू से पूर्व विधायक हैं और पहले भी कई बार सांसद चुने जा चुके हैं, इन दिनों भाजपा का सिरदर्द बने हुए हैं. इस हफ्ते भाजपा से अपनी उम्मीदवारी निरस्त होने के बाद वह इस सीट पर निर्दलीय चुनाव लड़ रहे हैं. इस सीट पर कांग्रेस का कब्जा है और भगवा पार्टी इसे वापस पाने के लिए बेचैन है.
महेश्वर सिंह कुल्लू रियासत के वंशज और कुल्लू में भगवान रघुनाथ के छड़ीबरदार हैं. वह कुल्लू दशहरा में अहम भूमिका निभाते हैं. महेश्वर सिंह का कहना है कि उनका बेटा हितेश्वर शादी के बाद से उनकी नहीं सुनता है और वह उन्हें कुल्लू से लगी बंजार सीट से निर्दलीय उम्मीदवार के तौर पर नाम वापस लेने के लिए मनाने में असमर्थ हैं. भाजपा ने महेश्वर सिंह से नाराज होकर इस हफ्ते उनका टिकट रद्द कर दिया था. हालांकि,जेपी नड्डा गुरुवार को शिमला पहुंचे और उन्होंने महेश्वर सिंह को उनसे मिलने के लिए कुल्लू से बुलाया था. बताया जा रहा है कि भाजपा अध्यक्ष ने उन्हें निर्दलीय उम्मीदवार के तौर पर नाम वापस लेने के लिए गुजारिश की है ताकि कुल्लू सीट पर भाजपा के प्रत्याशी नरोत्तम ठाकुर को जीत हासिल हो सके.
महेश्वर सिंह का काफी लंबी बातचीत का दौर चला. पहले जेपी नड्डा के साथ और फिर हिमाचल के मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर के साथ उनकी बात हुई. लेकिन इस बात का अब तक कोई परिणाम नहीं निकला है. महेश्वर सिंह का कहना था कि उनके समर्थक इस फैसले से बहुत नाराज हैं और वह कुल्लू में उनके बीच जाकर बात करने के बाद ही कोई फैसला लेंगे. नाम वापस लेने की अंतिम तारीख 29 अक्टूबर है.
हिमाचल प्रदेश को देख रहे एक वरिष्ठ भाजपा नेता ने न्यूज18 को बताया कि कुल्लू और बंजार सीट पर बहुत टक्कर की लड़ाई है और सिंह पिता-पुत्र की जोड़ी भाजपा की संभावनाओं को खराब कर सकती है. लेकिन हमें भरोसा है कि हम कुल्लू सीट के मसले को सुलझा लेंगे. हिमाचल में इस बार भाजपा और कांग्रेस दोनों ही पार्टियां निर्दलीय के रूप में चुनाव लड़ने वाले बागियों की समस्या से जूझ रही हैं, जो हिमाचल प्रदेश चुनाव में समीकरण बदल सकते हैं.
http://dhunt.in/EhN4Y?s=a&uu=0x5f088b84e733753e&ss=pd Source : “News18”
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