Himachal: चुनाव के बीच 886 करोड़ के ओवरड्राफ्ट में चली गई थी हिमाचल सरकार, वेतन भुगतान हो गया था मुश्किल

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Himachal: चुनाव के बीच 886 करोड़ के ओवरड्राफ्ट में चली गई थी हिमाचल सरकार, वेतन भुगतान हो गया था मुश्किल।

विधानसभा चुनाव के बीच हिमाचल सरकार 886 करोड़ रुपये के ओवरड्राफ्ट में चली गई थी। हालत यह थी कि कर्मचारियों को मासिक वेतन का भुगतान करना भी मुश्किल हो गया था।यदि नौ नवंबर को सरकार के खाते में दो हजार करोड़ रुपये का ऋण नहीं आता तो राज्य कोषागार पर ताला लग जाता। सरकार अब ओवरड्राफ्ट से बाहर तो निकल गई है, लेकिन आने वाले महीनों में खतरा टला नहीं है। वित्त विभाग लगातार केंद्र सरकार से आने वाले बजट का फालोअप कर रहा है, ताकि केंद्रीय मदों में आने वाली राशि में विलंब न हो।

अभी इस वित्त वर्ष के चार माह शेष बचे हैं। इस बीच अतिरिक्त मुख्य सचिव प्रबोध सक्सेना सोमवार सुबह साढ़े 11 बजे मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर से मिलने के लिए शिमला स्थित सरकारी निवास ओकओवर पहुंचे। यहां दोनों के बीच आधा घंटा मंत्रणा हुई। माना जा रहा है कि राज्य की वित्तीय स्थिति को लेकर मुख्यमंत्री को अवगत करवाया गया है।

वित्त वर्ष में दूसरी बार ओवरड्राफ्ट, यह रही वजह

इस वित्त वर्ष में सरकार दूसरी बार ओवरड्राफ्ट की स्थिति में पहुंची है। पहली तिमाही में 750 करोड़ रुपये का ओवरड्राफ्ट था। विधानसभा चुनाव से ठीक पहले सरकार दूसरी बार ओवरड्राफ्ट में चली गई। इस बार 886 करोड़ रुपये का ओवरड्राफ्ट हुआ। ऐसा इसलिए हुआ कि विभागों ने निर्धारित बजट प्रविधान से अधिक खर्च किया। सामान्य तौर पर ओवरड्राफ्ट की स्थिति अधिक समय तक नहीं रहनी चाहिए। सरकार के खाते में पैसा आता-जाता रहना चाहिए।

इसी माह किया था ऋण के लिए आवेदन

सरकार ने इस माह के पहले सप्ताह में रिजर्व बैंक आफ इंडिया से दो हजार करोड़ रुपये के ऋण के लिए आवेदन किया था। दूसरे सप्ताह में ऋण की राशि पहुंची। साथ ही हर माह 11 तारीख तक राजस्व घाटा अनुदान के तहत सरकार को 781 करोड़ रुपये की राशि प्राप्त होती है। इस वित्त वर्ष के दौरान राज्य को कुल राजस्व घाटा अनुदान के तहत 9372 करोड़ रुपये मिलने हैं। जिसकी आठवीं किश्त प्राप्त हो चुकी है।

कोरोनाकाल में 1200 करोड़ रुपये था ओवरड्राफ्ट

कोरोनाकाल के दो वर्ष के दौरान राज्य सरकार 1200 करोड़ रुपये के ओवरड्राफ्ट में पहुंच गई थी। अप्रैल 2020 में ओवरड्राफ्ट करीब 600 करोड़ रुपये था, जो लगातार बढ़ता चला गया। उस समय केंद्र ने राज्य को प्राप्त अल्पावधि ऋण लेने की 550 करोड़ रुपये की सुविधा को बढ़ाकर 880 करोड़ रुपये किया था। हालात सामान्य होने पर केंद्र ने अल्पावधि के लिए ऋण लेने की सुविधा खत्म कर दी।

।Source : “जागरण”

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