हमीरपुर 22 दिसंबर। सहकारिता विभाग के सहायक पंजीयक प्रत्यूष चौहान ने बताया कि ग्रामीण इलाकों की अर्थवयवस्था की रीढ़ माने जाने वाली सहकारी समितियों की दशा बदलने की कवायद शुरू हो चुकी है। उन्होंने बताया कि केंद्रीय सहकारिता मंत्रालय द्वारा देश भर में कृषि सेवा सहकारी समितियों के कंप्यूटरीकरण की परियोजना पर कार्य शुरू कर दिया गया है, जिसे नाबार्ड की देखरेख में क्रियान्वित किया जा रहा है। इस परियोजना की लागत लगभग 2516 करोड़ रुपये है। सहायक पंजीयक ने बताया कि हिमाचल में इस प्रोजेक्ट पर राज्य सरकार 10 प्रतिशत खर्च वहन करेगी। इसके अंतर्गत प्रत्येक सहकारी सभा को लगभग 4 लाख रुपये का सहयोग मिलेगा। इसमें कंप्यूटर, उद्यम संसाधन योजना, सॉफ्टवेयर तथा सभा कर्मचारियों को प्रशिक्षण आदि शामिल होगा।
सभाओं के कंप्यूटरीकरण हेतु सिस्टम इंटीग्रेटर्स नियुक्त करने के लिए नाबार्ड ने राष्ट्रीय स्तर पर तकनीकी एवं वित्तीय निविदाएं आमंत्रित कर ली हैं। प्रत्यूष चौहान ने बताया कि सहकारिता विभाग ने जिला हमीरपुर की 125 सहकारी समितियों का अनुमोदन करके आगामी कार्रवाई हेतु राज्य स्तरीय कमेटी को भेज दिया है। सिस्टम इंटीग्रेटर्स की नियुक्ति होते ही जिला हमीरपुर में भी परियोजना पर कार्य शुरू हो जाएगा।
सहायक पंजीयक ने बताया कि सहकारी सभाओं में गबन एवं जमाराशि के दुरुपयोग के बढ़ते मामलों के कारण सहकारिता में लोगों का विश्वास घटने लगा था। कंप्यूटरीकरण के बाद सहकारी सभाओं की कार्यप्रणाली में पारदर्शिता आएगी। उन्होंने बताया कि सहकारिता विभाग ने जिला हमीरपुर में सहकारिता के क्षेत्र में सुधार के लिए कई सराहनीय कदम उठाए हैं। इनमें सहकारी सभाओं में कर्मचारियों के भर्ती नियम लागू करना, ऋण के मामलों में अनियमितताएं पाए जाने पर सभा सचिव और प्रबंधक समिति की जवाबदेही तय करना, ऋण वापस न करने वालों को 30 दिन का कारावास तथा जमीन कुर्की एवं नीलामी जैसे सख्त कदम उठाना शामिल हैं। सहायक पंजीयक ने बताया कि अनियमितताओं के मामलों को सामने न लाने वाले प्रमाणित अंकेक्षकों और विभागीय कर्मचारियों पर भी कार्रवाई की गई है।
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