स्वरोजगार, संस्कृति और पर्यटन को बढ़ावा दे रहे होमस्टे

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हिमाचल प्रदेश पर्यटन राज्य है जहां हर जिला में पर्यटन की अपार संभावनाएं हैं। प्रदेश में निरंतर पर्यटन विकास हो रहा है तथा ऐसे में पर्यटन को और बढ़ावा देने के लिए होमस्टे की महत्वपूर्ण भूमिका है। आज के समय में होमस्टे स्वरोजगार, संस्कृति और पर्यटन को बढ़ावा देने में अहम किरदार निभा रहे हैं। होमस्टे यानि अपने घर पर ही पर्यटकों को रहने और खाने-पीने की सुविधा उपलब्ध करवाना। हिमाचल प्रदेश की प्राकृतिक सुंदरता को निहारने के लिए पर्यटक देश ही नहीं बल्कि विदेश के कोने-कोने से यहाँ आते हैं और अपने साथ यहाँ की संस्कृति तथा प्रकृति की छवि को लेकर जाते हैं। हिमाचल प्रदेश की भौगोलिक स्थिति ऐसी नहीं है जहाँ हर स्थान पर होटल उपलब्ध हो खासकर ग्रामीण क्षेत्रों में। ऐसे में होमस्टे एक ऐसा विकल्प है जो न केवल पर्यटकों के लिए सुविधाजनक है अपितु होमस्टे संचालकों को भी स्वरोजगार उपलब्ध करवाने में कारगर है। 

रिकांगपिओ का माउ किम होमस्टे

जिला किन्नौर के मुख्यालय रिकांगपिओ के बाजार के समीप स्थित माउ किम होमस्टे अर्थात अपना घर में पर्यटकों को मिलता है अपने घर का एहसास। माउ किम के मालिक तारा चाँद ठाकुर ने बताया कि कुछ वर्ष पूर्व उनकी बेटी ने होमस्टे योजना के बारे में पता चलने पर अपने घर में कमरों को किराये पर देने की बजाय होमस्टे संचालन करने का विचार किया। बेटी की सोच का समर्थन करते हुए उन्होंने अपने घर के चार कमरों में होमस्टे सुविधा शुरू की जिसका उन्हें बेहद लाभ मिला। तारा चाँद ठाकुर ने बताया कि माउ किम में पर्यटक डेस्क के कोने कोने से तो आते ही हैं बल्कि विदेशों से भी पर्यटक उनके होमस्टे में ठहरते हैं। उन्होंने बताया कि माउ किम के हर कमरे में रसोई की सुविधा उपलब्ध है जिसमें पर्यटक चाहें तो खुद अपनी पसंद का खाना बना सकते हैं। इसके अतिरिक्त पर्यटक उनके साथ भी भोजन कर सकते हैं। पर्यटकों को उनकी पसंद के हिसाब से शाकाहारी व मांसाहारी खाना परोसा जाता है। इसके साथ ही पर्यटकों को स्थानीय पकवान और व्यंजन भी परोसे जाते हैं। उन्होंने बताया कि उन्होंने माउ किम में हर आधुनिक सुविधा पर्यटकों के लिए उपलब्ध है जिसमें वाई-फाई इंटरनेट, टीवी आदि शामिल हैं। 

तारा चाँद ठाकुर ने कहा कि होमस्टे के माध्यम से युवा स्वरोजगार स्थापित कर सकते हैं क्योंकि इसमें अच्छी आमदनी होती है और यह पूरी तरह कर मुक्त भी है। होमस्टे से जहाँ एक ओर बेरोजगार युवाओं को रोजगार उपलब्ध हो रहा है वहीं दूसरी ओर जिला किन्नौर की संस्कृति से दूर दराज के लोगों को भी रूबरू होने का अवसर मिल रहा है जोकि जिला की संस्कृति के संरक्षण में बेहद लाभदायक है। 

होटल से कम नहीं है अक्षित होमस्टे

अक्षित होमस्टे कल्पा की मालकिन किरण प्रानस बताती हैं कि उन्होंने पिछले साल ही होमस्टे शुरू किया है जिसका उन्हें बेहद लाभ मिला है। उन्होंने बताया कि जिला  किन्नौर में कल्पा अपनी प्राकृतिक सुंदरता के लिए मशहूर है जिसको देखने के लिए लोग विभिन्न राज्यों से आते हैं। अक्षित होमस्टे रिकांगपिओ-कल्पा मार्ग पर स्थित है जहाँ से पर्यटकों को सामने किन्नर कैलाश पर्वत के दर्शन होते हैं और होमस्टे के बगल में सेब का बगीचा है जोकि पर्यटकों के लिए आकर्षण का केंद्र रहता है। किरण ने बताया कि आज के आधुनिक युग में वर्क फ्रॉम होम भी आम बात है इसलिए उन्होंने अपने होमस्टे में पर्यटकों के लिए हर आधुनिक सुविधा उपलब्ध करवा राखी जिसमें वाई-फाई इंटरनेट, मनोरंजन के लिए स्मार्ट एलईडी टीवी, सुरक्षा के लिए सीसीटीवी कैमरा आदि शामिल हैं। 

किरण ने बताया कि अक्षित होमस्टे में पर्यटकों को उनकी पसंद अनुसार ही शाकाहारी भोजन परोसा जाता है और मांसाहारी भोजन मांग पर ही बनाया जाता है। इसके अतिरिक्त, स्थानीय पकवान और व्यंजन भी पर्यटकों को परोसे जाते हैं जिन्हे सभी बेहद पसंद करते हैं। उन्होंने बताया कि उनके होमस्टे में पर्यटकों के लिए तंदूर की सुविधा भी है। 

उन्होंने कहा कि होमस्टे योजना स्वरोजगार स्थापित करने, पर्यटन को बढ़ावा देने तथा संस्कृति के संरक्षण में बेहद कारगर साबित हो रही हैं। उन्होंने कहा कि आज के समय में जब हर किसी को नौकरी मिल पाना कठिन है तो युवा को होमस्टे के माध्यम से स्वरोजगार स्थापित कर अच्छी आमदनी प्राप्त कर सकते हैं। 

होमस्टे से बसंत को मिला रोजगार

कल्पा स्थित होमस्टे कल्पा इन में कार्यरत बसंत ने बताया कि वह पिछले एक साल से होमस्टे में काम कर रहे हैं। सेब के बगीचों से घिरा कल्पा इन होमस्टे प्राकृतिक सुंदरता का अलग ही नजारा प्रदान करता हैं। पर्यटक यहाँ कई दिनों तक रुकते हैं और प्राकृतिक सुंदरता का आनंद लेते हैं। बसंत ने बताया कि कल्पा इन में भी पर्यटक भारी संख्या में आकर रुकते हैं और होमस्टे में उन्हें सभी सुविधाएं उपलब्ध करवाई जाती हैं। 

बसंत ने बताया कि कल्पा इन होमस्टे में काम मिलने से उनका और उनके परिवार का गुजारा अच्छे से हो रहा है। उन्होंने कहा कि कल्पा जैसे अन्य खूबसूरत स्थानों पर होमस्टे स्थापित होने से कई बेरोजगार युवाओं को रोजगार मिलेगा और उनके परिवार भी खुशी-खुशी अपना जीवन व्यतीत करेंगे। 

होटल के मुकाबले होमस्टे है बेहतर

कोलकाता से हिमाचल प्रदेश घूमने आये चार दोस्तों में से गौरब रुद्रा और रौनित चक्रवर्ती ने बताया कि वह 09 दिनों के लिए हिमाचल प्रदेश घूमने आये हैं। कल्पा आने से पहले वह काजा और फिर किब्बर में होमस्टे में ही रुके और अब कल्पा में वह अक्षित होमस्टे में रुके हैं। उन्होंने बताया कि सर्दी के मौसम में ज्यादा बर्फबारी वाले इलाकों में होटल बंद हो जाते हैं और ऐसे में केवल होमस्टे ही एकमात्र विकल्प है जो हिमाचल प्रदेश में पर्यटन की गति को बनाए रखते हैं। उन्होंने बताया कि अपने सफर में उन्हें होमस्टे में भी होटल की तरह ही सभी सुविधाएं उपलब्ध हुई हैं।  इसके अतिरिक्त होमस्टे में रहकर उन्होंने स्थानीय व्यंजन का स्वाद भी चखा और स्थानीय संस्कृति से भी रुबरु होने का मौका मिला। उन्होंने बताया कि कल्पा के बाद वह छितकुल जाएंगे और वहां भी उन्होंने होमस्टे बुक किया हुआ है। 

गौरब और रौनित ने बताया कि होमस्टे बुक करना बेहद आसान है। ऑनलाइन ढूंढ़ने पर हर जगह में उपलब्ध होमस्टे की सूचि में से पसंदीदा होमस्टे को कुछ ही मिनटों में बुक किया जा सकता है। उन्होंने कहा कि होमस्टे से जहां स्थानीय लोगों को रोजगार मिल रहा है वहीँ पर्यटन को बढ़ावा मिल रहा है और साथ ही दूर राज्यों से आने वाले पर्यटकों को स्थानीय संस्कृति को जानने का मौका मिल रहा है। इसके अतिरिक्त, ग्रामीण क्षेत्रों में होमस्टे के माध्यम से लोगों को रोजगार उपलब्ध हो रहा है जिससे उनकी आर्थिकी भी सुदृढ़ हो रही है।

जिला किन्नौर में होटल से अधिक हैं होमस्टे

जिला पर्यटन विकास अधिकारी एवं उपमण्डल दण्डाधिकारी कल्पा डॉ मेजर शशांक गुप्ता ने बताया कि जिला किन्नौर में होमस्टे योजना को बेहतर परिणाम रहा है। जिला में होटल की संख्या से अधिक होमस्टे की संख्या है। जिला किन्नौर में 155 होटल पंजीकृत हैं जबकि पंजीकृत होमस्टे की संख्या 175 है। उन्होंने बताया कि कोई भी व्यक्ति अपने घर के 04 कमरों में सभी बुनियादी सुविधाओं के साथ होमस्टे बना सकता है। उन्होंने बताया कि होमस्टे की पंजीकरण प्रक्रिया भी बेहद सरल है और पंजीकरण शुल्क भी बेहद मामूली है। उन्होंने बताया कि होमस्टे संचालकों को बुकिंग का रजिस्टर बना कर रखना होता है और उसमें पर्यटकों को पूर्ण ब्यौरा दर्ज करना होता है। इसके अतिरिक्त विभाग द्वारा समय-समय पर होमस्टे में दी जा रही सुविधाओं की जांच की जाती है। 

डॉ शशांक गुप्ता ने कहा कि होमस्टे योजना बेहद कारगर है और जिला किन्नौर में इस योजना को बेहद पसंद किया जा रहे। इसी के स्वरूप जिला में पिछले साल 2022 में 57 होमस्टे पंजीकृत हुए थे। उन्होंने कहा कि पर्यटन को नई ऊंचाइयों की ओर ले जाने में अहम भूमिका निभा रहे हैं होमस्टे।

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