मंडी, 3 सितम्बर । जिला मंडी में पालतू पशुओं में ढ़ेलेदार त्वचा रोग के संक्रमण की रोकथाम के लिए पशु पालन विभाग द्वारा जरूरी कदम उठाए जा रहे हैं, जिसमें रोग उपचार, निषेध व निवारण संबंधी कार्य युद्ध स्तर पर किए जा रहे हैं। यह जानकारी उप निदेशक, पशु स्वास्थ्य एवं प्रजनन, डॉ. संजीव नड्डा ने दी ।
उन्होंने बताया कि जिला मंडी में अगस्त माह में इस रोग से कुल 1111 पशु संक्रमित हुए, जिनमें से 26 मवेशियों की मौत होने की सूचना प्राप्त हुई है तथा 49 पशु उपचार उपरांत स्वस्थ हो गए हैं, जबकि 1036 पशु अभी भी इस मक्खी-मछर जनित पशु बीमारी से ग्रस्त हैं, जिनका निरंतर इलाज किसानों के घर द्वार पर ही पशु चिकित्सकों व अन्य अर्धपशु चिकित्सा कर्मियों के माध्यम से सुनिश्चित किया जा रहा है । इसके अतिरिक्त पशु रोग निदान प्रयोगशाला खलियार के द्वारा जिले के विभिन्न स्थानों से 16 पशुओं के रक्त व त्वचा के 67 जांच नमूने परीक्षण के लिए राष्ट्रीय उच्च सुरक्षा पशु रोग संस्थान भोपाल को भेजे गए हैं, जिसकी जांच रिपोर्ट में समस्त पशुधन ढ़ेलेदार त्वचा रोग से संक्रमित पाये गये हैं ।
उन्होंने बताया कि समूचे जिला में पशु पालन विभाग द्वारा गौसदनों तथा अधिक पशु घनत्व स्थलों पर फागिंग मशीनों के जरिये मक्खी-मच्छर पर नियंत्रण हेतु छिडकाव करवाया जा रहा है और योजनाबद्ध क्रम में उत्पादन आर्थिकी के लिए घातक इस पशु रोग से बचाव व निदान बारे पशु पालकों को जागरूकता अभियान से भी जागरूक किया जा रहा है । जिसमें रोग के आरम्भिक लक्षणों की जानकारी व उससे बचाव तथा उन्मूलन बारे साहित्य वितरण व शिविर आयोजन शामिल है ।
उन्होंने बताया कि मंडी जिला में पशु पालन विभाग द्वारा सभी पशु चिकित्सा संस्थानों व पंचायतों के माध्यम से लगभग 20 हजार पोस्टर का वितरण किया गया है । बड़ी संख्या में पालतू पशु रखने वाले किसानों, गौसदनों और संस्थानों में इस बीमारी के लिए अंगूठी रोग प्रतिरोधक टीकाकरण अभियान भी चलाया जा रहा है, जिसके तहत बकरी चेचक नामक बचाव टीकों से अब तक 6700 स्वस्थ पशुओं का टीकाकरण सुनिश्चित किया गया है ।
उप निदेशक ने बताया कि जिले के विभिन्न पशु चिकित्सा संस्थानों में तैनात अधिकारियों व कर्मचारियों का अवकाश रद्द करते हुए उन्हें अपने-अपने सेवा क्षेत्रों में किसी भी स्थिति से निपटने के लिए तैयार रहने को कहा गया है। ढ़ेलेदार त्वचा रोग से निपटने के लिए पशु पालन विभाग जिला मंडी ने सभी पशु चिकित्सा संस्थानों को आवश्यक पशु औषधियों की खेप रवाना कर दी है तथा पशु चिकित्सकों को जरूरत पड़ने पर पूल स्टोर या अन्य संस्थानों से भी औषधियाँ प्राप्त करने बारे निर्देश दिये गए है ।
उन्होंने बताया कि जिला प्रशासन की हिदायतों अनुसार प्रसार सामग्री से लैस एक वाहन पर पूरे जिला में किसानों को पशु रोग बारे संवेदनशील करने के लिए रथ यात्रा भी प्रस्तावित है जिसकी रूपरेखा तैयार कर ली गयी है ।
उन्होंने पशु पालकों को संक्रमित/रोगग्रस्त पशुओं के दूध को ऊबालकर ही प्रयोग करने की सलाह दी है। ढ़ेलेदार त्वचा रोग पालतू पशुओं का एक संक्रामक जरासीम आधारित रोग है जो कि मक्खी-मच्छर से फैलता है और जिसमें मवेशियों की त्वचा पर चक्कते होने के साथ-साथ पशुओं में बुखार के लक्षण पाये जाते हैं।
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