भारत में जायका द्वारा वित्त पोषित वानिकी और एनआरएम परियोजनाओं की तीन दिवसीय 24 से 26 मई, 2023तक 12 वीं वार्षिक कार्यशाला का शुभारम्भ

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भारत में जायका द्वारा वित्त पोषित वानिकी और एनआरएम परियोजनाओं की तीन दिवसीय 24 से 26 मई, 2023तक 12 वीं वार्षिक कार्यशाला का शुभारम्भ आज पीटरहॉफ शिमला में सुखविंदर सिंह ठाकुर, माननीय मुख्यमंत्री हिमाचल प्रदेश ने वर्चुअली किया।
कार्यशाला का शुभारम्भ सुंदर सिंह ठाकुर ,माननीय मुख्य संसदीय सचिव (वन), साइटो मित्सोनोरि, मुख्य प्रतिनिधि जाइका भारत, वातनाबे जुन, वरिष्ठ प्रतिनिधि जाइका भारत, विनीत सरीन, मुख्य विकास विशेषज्ञ जाइका भारत, रघु प्रसाद आई जी वन, भारत सरकार, राजीव कुमार प्रधान मुख्य अरण्यपाल (वन बल प्रमुख ) हिमाचल प्रदेश की उपस्थिति में किया गया।
इस अवसर पर माननीय मुख्यमंत्री ने कहा कि हमारी सरकार का उद्देश्य हिमाचल प्रदेश को एक हरित राज्य बनाने का है। हिमाचल प्रदेश की नब्बे प्रतिशत आबादी गांव में रहती है और किसी न किसी रूप में वनों पर निर्भर करती है। उन्होंने कहा कि जाइका वित्तपोषित हिमाचल प्रदेश जाइका वानिकी परियोजना के माध्यम से पारिस्थितिकी तंत्र की बहाली साथ वन आश्रित समाज की आजीविका में सुधार व वृद्धि हो रही है। जाइका परियोजना में लगभग 900 से अधिक स्वयं सहायता समूह कार्य कर रहे हैं जिनसे ग्रामीण महिलाओं का सशक्तिकरण हो रहा है। आज इस
अवसर पर उन्होंने जाइका वानिकी परियोजना के अंतर्गत वानिकी व आजीविका में उत्कृष्ट कार्य करने के लिए प्रदेश की सात ग्राम वन विकास समितियों को पुरस्कृत किया व प्रशस्ति पत्र भी प्रदान किए।
नागेश कुमार गुलेरिया ,अतिरिक्त प्रधान मुख्य अरण्यपाल एवं मुख्य परियोजना निदेशक ने 12 वीं वार्षिक कार्यशाला के विषय;सतत वन प्रबंधन के बीच तालमेल सुधारना ,जैव विविधता संरक्षण, पारिस्थितिकी तंत्र सेवाएं ,आजीविका विकास और जलवायु परिवर्तन की दिशा में योगदान के लिए डिजिटल परिवर्तन ; के बारे में जानकारी साझा की। उन्होंने बताया कि तीन दिवसीय कार्यशाला के दौरान सतत वन प्रबंधन ,जैव विविधता संरक्षण और पारिस्थितिकी तंत्र सेवाएं तथा डिजिटल परिवर्तन और आजीविका विकास पर चर्चा की जाएगी।
सुंदर सिंह ठाकुर ,मुख्य संसदीय सचिव (वन) ने कहा कि सुखविंदर सिंह सुक्खू माननीय मुख्यमंत्री हिमाचल प्रदेश के कुशल नेतृत्व में प्रदेश में चहुमुखी विकास किया जा रहा है। इस समय हमें जलवायु परिवर्तन जैसे मुद्दों पर ध्यान केंद्रित करने आवश्यकता है। जाइका परियोजना इस दिशा में कार्य कर रही है। परियोजना के अंतर्गत लगभग 45000 हेक्टेयर भूमि पर पौधरोपण जैसे कार्य किये जा रहे हैं। इसके अतिरिक्त हिमाचल प्रदेश एक सुंदर प्राकृतिक स्थल होने के कारण यहां इकोटूरिज्म की अपार संभावना है। जाइका परियोजना ईकोटूरिज्म के दृष्टिकोण से योगदान देने में सहायक सिद्ध हो सकती है। उन्होंने यह भी कहा कि जाइका परियोजना में ग्रामीण महिलाओं की भागीदारी सराहनीय है और वे पर्यावरण संरक्षण में महत्वपूर्ण योगदान दे रही हैं।
भारत में जाइका के मुख्य प्रतिनिधि साइटो मित्सुनोरि ने कहा कि विकासशील देशों में अनेक परियोजनाओं में वित्तीय सहायता प्रदान कर रही है। उन्होंने भारत की वानिकी परियोजनाओं की
प्रशंसा करते हुए कहा कि यह परियोजनाएँ वन संरक्षण, पारिस्थितिकी तंत्र सेवाओं की बहाली और आजीविका सुधार में सराहनीय कार्य कर रही है। भारत में हरित आवरण में भी वृद्धि देखी जा रही है।
राजीव कुमार प्रधान मुख्य अरण्यपाल (वन बल प्रमुख) ने कहा कि हिमाचल प्रदेश वानिकी कार्यों के साथ साथ अन्य कार्यो जैसे बर्फानी तेंदुए की निगरानी, जुजुराणा, चैहड़ पक्षियों के सफल प्रजनन व उनके प्राकृतिक आवास में छोड़ने में सफल रहा है, बंदरो की नसबंदी में भी हिमाचल प्रदेश अग्रणी रहा है। इन कार्यों के अतिरिक्त हिमाचल प्रदेश तेंदुओं की गणना करने वाला पहला राज्य बनने जा रहा है।
कार्यशाला के शुभारंभ के अवसर पर जाइका परियोजना की स्मारिका, वार्षिक गतिविधियों की रिपोर्ट, परियोजना संवाद पत्र, परियोजना की सफलता की कहानियों की पत्रिका का विमोचन माननीय मुख्यमंत्री ने वर्चुअली किया।

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