“सेवा” और इसका आपके जीवन में प्रभाव।

Read Time:1 Minute, 34 Second

मनुष्य एक सामाजिक जीव है। समाज ही उसका कर्मक्षेत्र है। अतः उसे स्वयं को समाज के लिए उपयोगी बनाना पड़ता है। वास्तव में परोपकार और सहानुभूति पर ही समाज स्थापित है। सब अपने-अपने स्वार्थ का थोड़ा-बहुत त्याग करके ही समाज को स्थिर रखते हैं।


यदि ऐसा न हो तो सबकी आवश्यकताओं की पूर्ति नहीं हो सकती। अपनी मनमानी करते हुए भी हमें समाज के नैतिक आदर्शों के सामने सिर झुकाना पड़ता है।

लोक सेवा से समाज में जहां अपना स्वार्थ सिद्ध होता है, वहीं समाज में प्रधानता प्राप्त होती है। वस्तुतः सेवा निःस्वार्थ भाव से होनी चाहिए। जो व्यक्ति निःस्वार्थ भाव से दुखियों की सेवा करता है, वह लोकप्रिय बन जाता है।

ईसा ने कहा है- ‘जो तुम में सबसे बड़ा होगा वह तुम्हारा सेवक होगा।’

समाज की प्रवृत्ति ऐसी है कि यदि आप दूसरों के काम आएंगे तो समय पड़ने पर दूसरे भी आपका साथ देंगे। जो व्यक्ति समाज के लिए आत्म-बलिदान देता है, समाज उसे अमर बना देता है। अतः लोक सेवा से मनुष्य की एक सबसे बड़ी आकांक्षा पूर्ण होती है, वह है यश पाने की कामना।

Happy
Happy
0 %
Sad
Sad
0 %
Excited
Excited
0 %
Sleepy
Sleepy
0 %
Angry
Angry
0 %
Surprise
Surprise
0 %

Average Rating

5 Star
0%
4 Star
0%
3 Star
0%
2 Star
0%
1 Star
0%

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Previous post आज का आपका राशिफल। जानिए कैसा रहेगा आपका दिन।
Next post चुनावी वायदों में बढ़ता ,”मुफ्त”रेवड़ी कल्चर।
error: Content is protected !!