उप-मुख्यमंत्री ने केंद्रीय जल शक्ति मंत्री से जल संसाधन ढांचों के पुनर्निर्माण के लिए आवश्यक निधि प्रदान करने का आग्रह किया

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उप-मुख्यमंत्री मुकेश अग्निहोत्री ने आज नई दिल्ली में केन्द्रीय जल शक्ति मंत्री गजेन्द्र सिंह शेखावत से भेंट की तथा इस अवसर पर आयोजित बैठक में प्रदेश हित के विभिन्न विषयों पर चर्चा की।
उप-मुख्यमंत्री ने हिमाचल प्रदेश में भारी बारिश एवं भू-स्खलन इत्यादि से हुए नुकसान के बारे में केन्द्रीय मंत्री को अवगत करवाया। उन्हांेने कहा कि राज्य के कुछ भागों में पिछले सौ वर्षों की अवधि में सर्वाधिक बाढ़ का प्रकोप इस वर्ष झेलना पड़ा है। उन्होंने प्राकृतिक आपदा से क्षतिग्रस्त पेयजल योजनाओं, सिंचाई योजनाओं और जल संसाधन ढांचों के पुनर्निर्माण में केन्द्र सरकार से आवश्यक निधि प्रदान करने का आग्रह किया।
श्री अग्निहोत्री ने कहा कि अभी तक जल शक्ति विभाग को लगभग 1630 करोड़ रुपये के नुकसान का आकलन किया जा चुका है। उन्होंने केन्द्रीय मंत्री से प्रदेश में जलापूर्ति ढांचे की बहाली के लिए उदारतापूर्वक त्वरित सहायता उपलब्ध करवाने का आग्रह किया। उन्होंने केन्द्र सरकार से प्रारम्भिक तौर पर जल जीवन मिशन के अंतर्गत क्षतिग्रस्त योजनाओं की बहाली तथा रेट्रोफिटिंग के लिए 500 करोड़ रुपये की राशि तुरन्त जारी करने का आग्रह किया। उन्होंने जल जीवन मिशन की शत प्रतिशत क्षतिग्रस्त योजनाओं को नए तरीके से स्थापित करने और इसके लिए आवश्यक निधि जारी करने का भी आग्रह किया।
केन्द्रीय मंत्री ने कहा कि इस त्रासदी में प्रदेश में भारी नुकसान हुआ है और वह केन्द्रीय वित्त मंत्रालय तथा केन्द्रीय मंत्रिमण्डल के समक्ष मामला उठाएंगे ताकि अपेक्षित सहायता प्रदान की जा सके।
श्री अग्निहोत्री ने कहा कि प्रदेश के लगभग सभी क्षेत्रों में बारिश से भारी क्षति हुई है लेकिन ब्यास नदी के किनारों पर सर्वाधिक नुकसान आंका गया है। उन्होंने कहा कि इस नदी बेसिन में इस तरह की आपदाओं का इतिहास रहा है और जल शक्ति विभाग ने इसके तटीयकरण के लिए 1699 करोड़ रुपये की विस्तृत परियोजना रिपोर्ट तैयार की है, इसके लिए केन्द्रीय जल एवं विद्युत अनुसंधान केन्द्र पुणे (सीडब्ल्यूपीआरएस) के सहयोग से मानक अध्ययन किया गया है। वर्तमान में यह प्रस्ताव केन्द्रीय जल आयोग के समीक्षाधीन है।
उप-मुख्यमंत्री ने केन्द्रीय मंत्री से इसे शीघ्र स्वीकृत करने का आग्रह किया ताकि कुल्लू-मनाली सहित इस नदी घाटी के आसपास बसे लोगों के बहुमूल्य जीवन और सम्पदा की सुरक्षा सुनिश्चित की जा सके। उन्होंने ब्यास नदी के तटीयकरण पर बल देते हुए कहा कि यह कुल्लू-मनाली हवाई अड्डे के सामरिक उपयोग के दृष्टिगत भी आवश्यक है तथा चण्डीगढ़ लेह राष्ट्रीय राजमार्ग भी ब्यास नदी के किनारे से होकर गुजरता है। उन्होंने यह भी कहा कि ब्यास के तटीयकरण से पर्यटकों को आवाजाही की सुगमता होगी और कुल्लू तथा लाहौल घाटी से बागवानी उत्पादों को बाहर की मंडियों तक ले जाने में भी बेहतर व सुरक्षित परिवहन सुविधा उपलब्ध हो सकेगी।
मुकेश अग्निहोत्री ने कांगड़ा जिला में 643 करोड़ रुपये की फिन्ना सिंह सिंचाई परियोजना और ऊना जिला में ब्यास नदी बेसिन की स्वां नदी के 339 करोड़ रुपये के तटीयकरण के लिए निवेश मंजूरी प्रदान करने के लिए केन्द्रीय मंत्री का आभार व्यक्त करते हुए कहा कि यह दोनों परियोजनाएं काफी समय से लंबित थी। उन्होंने केन्द्र सरकार से इनके लिए आवश्यक धनराशि जारी करने का भी आग्रह किया ताकि इन पर कार्य शुरू किया जा सके। उन्होंने प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना के अंतर्गत जारी सिंचाई परियोजनाओं के वित्तीय सहायता प्रदान करने का भी आग्रह किया तथा ऊना जिला के बीत और कुटलैहड़ क्षेत्र में नई सिंचाई परियोजनाओं को स्वीकृत करने का भी आग्रह किया। उन्होंने कहा कि इन परियोजनाओं के प्रस्ताव केन्द्र सरकार के पास स्वीकृति के लिए लम्बित हैं।
उप-मुख्यमंत्री ने कहा कि वाइब्रेंट विलेज योजना के तहत केन्द्रीय जल शक्ति मंत्री के हिमाचल दौरे के दौरान निर्धारित प्राथमिकताओं पर प्रदेश ने तीव्रता से कार्य किया है। इसके अंतर्गत जलशक्ति विभाग के वरिष्ठ अधिकारियों के एक दल ने लेह और लद्दाख का दौरा कर वहां एंटी फ्रीज जलापूर्ति प्रणाली का अध्ययन किया है और विभाग ने प्रदेश के जनजातीय क्षेत्रों के लिए ऐसी 17 योजनाओं के लिए 101.58 करोड़ रुपये के प्रस्ताव तैयार किए हैं। उन्होंने इन योजनाओं को जल जीवन मिशन के तहत स्वीकृत करने का आग्रह भी किया। इसके अतिरिक्त राज्य में जल की कमी वाले क्षेत्रों को स्रोतों का पुनर्भरण करने के लिए जल जीवन मिशन के तहत 452.60 करोड़ रुपये के 45 प्रस्तावों को भी स्वीकृति प्रदान करने का आग्रह किया, जिससे इन जलापूर्ति योजनाओं की निरंतरता बनाए रखने के लिए सीधे भूमिगत जल स्रोतों का पुनर्भरण सुनिश्चित हो सकेगा।
मुकेश अग्निहोत्री ने किन्नौर जिला के चांगों क्षेत्र के लिए सिंचाई योजना से संबंधित विस्तृत परियोजना रिपोर्ट से भी केन्द्रीय मंत्री को अवगत करवाया और कहा कि इसे समीक्षा के लिए केन्द्रीय जल आयोग को भेजा गया है और आयोग से टिप्पणी प्राप्त होने के उपरान्त लगभग 61 करोड़ रुपये के ऐसी 20 सिंचाई योजनाओं के प्रस्ताव स्वीकृति के लिए तैयार हैं। उन्होंने केन्द्रीय मंत्री से इन परियोजनाओं के लिए प्राथमिकता के आधार पर धनराशि स्वीकृत करने का भी आग्रह किया।
केन्द्रीय मंत्री ने संबंधित अधिकारियों को बैठक के दौरान उप-मुख्यमंत्री द्वारा उठाए गए विभिन्न मुद्दों पर प्राथमिकता के आधार पर कार्य करने के निर्देश दिए। केन्द्रीय मंत्री ने किशाऊ बांध परियोजना का मुद्दा उठाते हुए राज्य से बिजली की कीमतों से संबंधित मामले को सुलझाने और केन्द्रीय वित्त मंत्रालय द्वारा दिए गए लम्बी अवधि के विशेष ऋण प्रस्ताव को स्वीकृत करने का आग्रह किया ताकि इस महत्वपूर्ण परियोजना को शीघ्र शुरू किया जा सके। उप मुख्यमंत्री ने आश्वस्त किया कि हिमाचल इस बारे में प्रदेश हित को ध्यान में रखते हुए उचित कदम उठाएगा।

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