प्रासंगिक सूचनाएं आज के समय की जरूरतः उपायुक्त

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मंडी, 16 नवम्बर। प्रेस दिवस के अवसर पर डीआरडीए सभागार में आयोजित जिला स्तरीय कार्यक्रम में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के युग में मीडिया विषय पर चर्चा की गई। स्वतंत्र और निष्पक्ष प्रेस के महत्व पर चर्चा करने और उसे बढ़ावा देने के लिए कार्यक्रम का आयोजन किया गया था। कार्यक्रम में उपायुक्त मंडी अरिंदम चौधरी, एडीएम डॉ मदन कुमार, उप निदेशक सूचना एवं सम्पर्क मंडी जोन मंजुला सहित जिला स्तर के पत्रकार उपस्थित रहे। इस वर्ष भारतीय प्रेस परिषद ने चर्चा के लिए आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के युग में मीडिया विषय दिया था।
उपायुक्त ने इस अवसर पर अपने संबोधन में  कहा कि आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस का स्पेस सहित कृषि तक में प्रभाव पड़ रहा है। मीडिया भी इससे अछूता नहीं रह पाया हैं। इसके कुछ बुरे तो कुछ सकारात्मक प्रभाव पडे़ हैं। वर्तमान दौर में सूचनाओं के अत्यधिक प्रवाह के कारण प्रासंगिक सूचनाएं आज के समय की जरूरत हैं। फेक सूचनाओं की पड़ताल एआई के माध्यम से की जा रही है। उन्होंने कहा कि समय के साथ कुछ काम खत्म हो जाते हैं परन्तु इससे नई संभावनाएं भी पैदा होती हैं। उन्होंने पत्रकारों से आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस को अपनाने पर बल देते हुए कहा कि इससे नुकसान कम और फायदे ज्यादा हैं। पत्रकारिता के लिए यह प्रासंगिक है।
वहीं एडीएम मदन कुमार ने कहा कि मानवीय बुद्धिमत्ता का कृत्रिम बुद्धिमत्ता कभी 100 प्रतिशत स्थान नहीं ले सकती है। उन्होंने इसके सकारात्मक उपयोग करने पर बल दिया। चर्चा में वरिष्ठ पत्रकार बीरबल शर्मा, मुरारी शर्मा, मुनीष सूद, खेम चंद शास्त्री, डीसी वर्मा, डीपी गुप्ता, पुरषोतम शर्मा और रूप उपाध्याय ने भाग लिया।
उप-निदेशक, सूचना एवं जन सम्पर्क, क्षेत्रीय कार्यालय मंडी मंजुला कुमारी ने उपायुक्त तथा मीडिया से जुड़े कर्मियों का प्रेस दिवस के इस जिला स्तरीय समारोह में भाग लेने पर स्वागत किया । उन्होंने बताया कि जीवन के सभी पहलुओं सहित पत्रकारिता का क्षेत्र भी आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के प्रभाव से अछूता नहीं रहा है।
मीडिया जगत में लेखन, संपादन, एंकरिंग, प्रस्तुतीकरण तक के सभी कार्यों में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस का सहारा लिया जा रहा है।
उन्होंने बताया कि पत्रकारिता के क्षेत्र में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के अनेकों फायदों के साथ  काफी चुनौतियां भी सामने आई हैं। । आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के इस्तेमाल से समय की बचत, दर्शकों को जोड़ने की क्षमता में वृद्धि, गलतियों की गुंजाइश कम, डाटा उपलब्धता, पूर्वाग्रह की समस्या की समाप्ति आदि कई फायदे हैं लेकिन इस तकनीक के प्रयोग से प्राकृतिक मानवीय स्पर्श का अभाव,  पत्रकारिता के क्षेत्र में नौकरियों की कमी, सृजनात्मकता का आभाव,  गहन रिपोर्टिंग की कमी आदि अनेक खामियां भी हैं। । उन्होंने बताया कि आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के युग में एक संतुलन बना कर आगे बढ़ने की जरूरत है।

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