राज्यपाल शिव प्रताप शुक्ल ने आज दिल्ली विश्वविद्यालय के विधि संकाय के सौ वर्ष पूरे होने और भारतीय संविधान के 75 वर्ष पूरे होने के अवसर पर विधि संकाय द्वारा नई दिल्ली में आयोजित ‘युवा संसद कार्यक्रम’ को संबोधित किया।
इस अवसर पर विधि संकाय के छात्रों को संबोधित करते हुए उन्होंने राष्ट्र को मज़बूत बनाने के लिए सकारात्मक सोच और रचनात्मक दृष्टिकोण विकसित करने की आवश्यकता पर बल दिया। उन्होंने कहा कि युवा देश का भविष्य हैं और ऐसे में युवाओं को मानसिक दृढ़ता का विकास कर देश का एक प्रबुद्ध नागरिक बनना चाहिए।
राज्यपाल ने विविधता में एकता के सिद्धांत को समझने की आवश्यकता पर बल दिया और कहा कि यह हमारे देश की अनूठी विशेषता है। विद्यार्थी एकता के महत्व को समझें और राष्ट्र निर्माण में जुट जाएं तथा देश की एकता और अखंडता को बनाए रखने में अपनी भूमिका निभाएं।
उन्होंने कानून के छात्रों को किताबें पढ़ने की आदत विकसित करने का परामर्श देते हुए कहा कि यह केवल अभ्यास मात्र तक सीमिति नहीं होना चाहिए बल्कि उन्हें सामग्री के बारे में अपने विचारों एवं भावनाओं का परीक्षण कर गहरी अवधारणाओं की समझ विकसित करनी चाहिए।
उन्होंने कहा कि देश को प्रभावित करने वाले मुद्दों के बारे में युवाओं को जागरूक होना चाहिए और निडर होकर अपनी राय भी देनी चाहिए।
राज्यपाल ने संसद के महत्व और इसकी गौरवशाली परंपराओं के बारे में भी चर्चा की और कहा कि देश की प्रतिष्ठित हस्तियां और कानूनविद हमारे लिए प्रेरणा स्रोत रहे हैं।
दिल्ली विश्वविद्यालय के कुलपति प्रोफेसर योगेश सिंह ने भी छात्रों को संबोधित किया।
विधि संकाय की डीन प्रोफेसर अंजू वली टिकू ने राज्यपाल का स्वागत किया।
युवा संसद के संयोजक डॉ. विकेश राम त्रिपाठी ने धन्यवाद प्रस्ताव प्रस्तुत किया।
इस अवसर पर विधि संकाय के विद्यार्थी व शिक्षक उपस्थित थे।
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