पिछले कुछ महीने से हिमाचल के चिकित्सक सरकार के सामने अपनी माँगों को रख रहे हैं परंतु सरकार आश्वासन के सहारे काम चला रही है। कुछ महीने पहले भी डॉ स्ट्राइक पे गये थे और तब सुखु जी नेआश्वासन दिया था कि काम हो जाएगा और डॉ अपने काम पे लौट आये थे। परंतु वह भी झूठी गारंटी निकली और उस के बाद फिर डॉ सीएम से मिले परंतु उस मीटिंग के अभी तक कोई नोटिफिकेशन नहीं निकली।
स्वाथ्य विभाग की बात करें तो पिछले 3 साल से डॉ की भर्ती नहीं हुई है और सरकार अपने नज़दीकियों वाले डाक्टरों को सेवाविस्तार दे रही है| कई हस्पताल डॉ के बिना हैं और कई जगा भारी कमी के कारण 24 घंटे सुविधाएँ नहीं हैं।
जिस महकमे में डायरेक्टर भी जुगाड़ से काम चला रहे हों तो आप समझ सकते हैं की धरातल में क्या होगा। काँगड़ा , हिमारपुर के सीएमओ रिटायर्ड हो के फिर भी डटे हैं और इन में से एक ने एमपी के टिकट के लिए भी अप्लाई कर दिया है।
डायरेक्टर स्वास्थ्य विभाग जिसके के तहत आप के आस पास के हॉस्पिटल आते हैं एवं डायरेक्टर मेडिकल एजुकेशन जिस के तहत मेडिकल कॉलेज आते हैं दोनों जुगाड़ से काम चलाया जा रहा है। जो सीनियर हैं वह अपनी बारी के इंतज़ार में निराश हो के काम में रुचि भी नहीं लेते हैं।
कई जगा से खबरें आ रही हैं की हिमकेयर कार्ड भी काम नहीं कर रहे हैं और इस की मार सीधी ग़रीबों पे पड़ रही है और अब कल से एक और मार ग़रीबों पे कल से पड़ने जा रही है। कल से डॉ सुबह 9.30 से ले के 12 बजे तक सिर्फ़ इमरजेंसी के मरीज़ ही देखेंगे । ओपीडी सर्विसेज़ 2.30 घंटे तक बंद रहेंगी।
हिमाचल मेडिकल ऑफ़िसर्स संघ का कहना है कि हम किसी को भी तंग नहीं करने चाहते परंतु सरकार से बार बार आग्रह के बाद भी हमे मुश्किल में यह कदम हिमाचल के लोगों के हितों के लिए उठाना पड़ रहा है क्योंकि जो नीतियों सरकार ले के आ रही है उस से व्यवस्था परिवर्तन नहीं बल्कि आम जनता को नुक़सान जायदा होगा।
जो डॉ हैं वह भी इसी सोसाइटी का हिस्सा हैं और उनके भी परिवार हैं। उन्होंने अपनी जवानी के सब से प्यारे कीमती साल किताबों के पीछे और सब से जायदा परीक्षाएँ दे के निकाल दिये होते हैं। एक सुपीपेशलिस्ट जैसे की दिल का डॉ बनने के लिए कम से कम 12 साल की पढ़ाई करनी पड़ती है और वह भी बिना ब्रेक लगाये आप सभी परीक्षाएँ समय पे पास करते जाये परंतु पास से पहले समय पे होनी भी चाहिए। सचाई यह है कि 12 साल में कोई एका दुका ही कर पाता है बाक़ी सब इसे जायदा साल ही लगाते हैं। अब आप ख़ुद ही सोच लीजिए जो डॉ इतने साल लगाएगा वह अगर हाथ जोड़ के अपनी नौकरी के लिए आगे पीछे भागता रहे तो क्या प्राइवेट में नहीं जाएगा?
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