केंद्रीय आयुष राज्य मंत्री ने क्षेत्रीय आयुर्वेद अनुसंधान संस्थान पंडोह के नवनिर्मित मुख्य भवन, योग व पंचकर्म भवन तथा 9 पंचकर्म संकुल का किया लोकार्पण

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मंडी, 2 मार्च। कंद्रीय आयुष राज्य मंत्री डॉ. मुंजपरा महेंद्रभाई कालूभाई ने शनिवार को क्षेत्रीय आयुर्वेद अनुसंधान संस्थान पंडोह के नवनिर्मित मुख्य भवन, योग व पंचकर्म भवन तथा 9 पंचकर्म संकुल का लोकार्पण किया। इनके निर्माण पर 22.5 करोड़ रुपये की राशि व्यय हुई है। उन्होंने कहा कि इस भवन के लोकार्पण से जहां स्थानीय लोगों के लिए उत्तम स्वास्थ्य सेवाएँ उपलब्ध होंगी वहीं अनेक प्रकार के अवसर भी उपलब्ध होंगे। आयुर्वेद के अनुसंधान के क्षेत्र में यह संस्थान उत्कृष्ट कार्य करेगा। इससे आयुर्वेद के महत्वपूर्ण सिद्धांतों को आधुनिकता और सुगमता के साथ जोड़ने का संकल्प पूरा होगा। हिमाचल प्रदेश के नागरिक आयुर्वेद चिकित्सा पद्धति, पंचकर्म चिकित्सा एवं योग द्वारा लाभान्वित होंगे। वहीं अन्य प्रदेशों  एवं  विदेशों से आने वाले पर्यटक भी मेडिकल वैल्यू ट्रैवल के माध्यम से पंचकर्म एवं योग के द्वारा स्वास्थ्य लाभ ले सकेंगे। 
 आयुष राज्य मंत्री ने इस मौके पर क्षेत्रीय आयुर्वेद अनुसंधान संस्थान, रानीखेत, उत्तराखंड में 7.87 करोड़ की लागत से बनने वाले स्टाफ क्वार्टर एवं गेस्ट हाउस का वर्चुअल शिलान्यास भी किया। आयुष मंत्री ने बताया कि रानीखेत संस्थान का गेस्ट हाउस विभिन्न सम्मेलनों, सेमिनारों और कार्यशालाओं आदि में भाग लेने वाले मेहमानों, आगंतुकों और संसाधन व्यक्तियों के लिए बोर्डिंग और आवास की सुविधाएं प्रदान करेगा। यह बुनियादी ढांचा निश्चित रूप से संस्थान की आगामी गतिविधियों पर एक बड़ा प्रभाव डालेगा। 
मंत्री ने बताया कि दोनों संस्थान केवल चिकित्सालय नहीं है, अपितु महत्वपूर्ण अनुसंधान केंद्र भी हैं, जहाँ आयुर्वेदीय चिकित्सा प्रक्रियाओं, औषधियों एवं विविध प्रकार के रोगों से सम्बंधित अनुसंधान कार्य किए जाते हैं। अनुसंधान कार्य में आयुष मंत्रालय, भारत सरकार द्वारा रोगियों को निरूशुल्क परीक्षणों एवं विशेष औषधियों का लाभ प्रदान किया जाता है। पंडोह संस्थान के द्वारा आसपास की पंचायतों में अनुसूचित जाति एवं जनजाति के लोगों को स्वास्थ्य सुविधाएँ प्रदान करने तथा उनकी सामाजिक परिस्थिति और जनसांख्यिकी का अध्ययन करने हेतु विविध बाह्य जन स्वास्थ्य अनुसंधान कार्यक्रम भी चलाए जा रहे हैं। इन दोनों संस्थानों की एक और विशेषता है बॉटनी अर्थात वनस्पतियों और जड़ी-बूटियों से सम्बंधित अनुसंधान अनुभाग। इस अनुभाग द्वारा पूरे हिमाचल एवं उत्तराखंड प्रदेश के दूर-दराज के अलग-अलग स्थानों का दौरा करके वहां स्थित विशेष जड़ी-बूटियों की पहचान एवं संग्रहण करके विशिष्ट अध्ययन एवं अनुसंधान कार्य किया जाता है।
  परिषद के महानिदेशक, प्रो. (वैद्य) रबिनारायण आचार्य और भूतपूर्व कुलपति, प्रो. (वैद्य) करतार सिंह धीमान ने कहा वर्ष 1970 में, सीसीआरएएस की एक छोटी सी सर्वेक्षण इकाई के रूप में जोगिंदरनगर में आरम्भ की गई। वर्ष 1999 मेँ इसे क्षेत्रीय आयुर्वेद अनुसंधान संस्थान का दर्जा प्राप्त हुआ। 
इस अवसर पर विधायक अनिल शर्मा, नगर परिषद मण्डी के महापौर विरेन्द्र भटट, श्री कृष्ण आयुष विश्वविद्यालय, कुरुक्षेत्र, हरियाणा के कुलपति प्रो. (वैद्य) करतार सिंह धीमान, महानिदेशक सीसीआरएएस, प्रो. (वैद्य) रबिनारायण आचार्य, उप निदेशक (प्रशासन), केन्द्रीय आयुर्वेदीय विज्ञान अनुसंधान परिषद, नई दिल्ली दीपक कोचर, सहायक निदेशक प्रभारी आरएआरआई पंडोह डॉ, राजेश संड, ग्राम पंचायत सियोगी की प्रधान बीना देवी सहित अन्य गणमान्य अतिथि उपस्थित रहे।

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