दिल्ली के सिग्नेचर पुल की तर्ज पर बना हिमाचल का पहला केबल (स्टेड) पुल सोमवार को जनता को समर्पित कर दिया गया। हणोगी-खोलानाल के बीच ब्यास नदी पर बना यह पुल आकर्षण का केंद्र होगा।हणोगी-खोलानाल पुल पर एक तरफ स्टे केबल लगी है। इसमें खास बात यह होगी कि पुल ब्यास नदी पर हवा में होगा। पुल का निर्माण करीब 24.89 करोड़ से हुआ है। सीएम जयराम ठाकुर ने सोमवार को इसका शुभारंभ किया। मनाली-चंडीगढ़ राष्ट्रीय राजमार्ग के किनारे बन रहे पुल से पर्यटन को चार चांद लगेंगे।
पुल के साथ कई साल पहले बना पैदल चलने योग्य केबल आधारित पुल भी पर्यटकों के लिए आकर्षण का केंद्र रहा है। यहां से घोड़ों-खच्चरों से सामग्री पहुंचाई जाती थी। तार स्पेन से सामान एनएच तक पहुंचता था। पुराने पुल को रुपहले पर्दे पर भी कई दफा दिखाया गया है। इसके निर्माण से करीब 25 हजार की आबादी लाभान्वित होगी। पुल द्रंग और सराज हलके को जोड़ेगा। सराज हलके की खोलानाल, कशौड, नलबागी, कूण व खारी की पंचायतों को लाभ मिलेगा। पुल बनने के बाद सराज हलके की पांच पंचायतों के लोगों को कुल्लू जाने के लिए पंडोह नहीं आना पड़ेगा। सराज की इन पंचायतों के 50 किमी तक कुल्लू की दूरी कम होगी। इससे समय और पैसे की बचत होगी।
13 नवंबर 2018 को रखी थी आधारशिला
मुख्यमंत्री ने 13 नवंबर, 2018 को पुल की आधारशिला रखी थी। निर्माण कार्य दो साल में पूरा करने का लक्ष्य था। कोरोना और डिजाइन को अंतिम रूप देने में हुई देरी से काम समय पर पूरा नहीं हो पाया है। पुल का 85 प्रतिशत काम पूरा हो चुका है। निर्माण कार्य मई तक पूरा होने की उम्मीद है।
डबललेन के साथ दोनों तरफ फुटपाथ
केबल आधारित यह पुल डबललेन है। पुल का स्पैन 100 मीटर है। इसकी चौड़ाई 10 मीटर है। दोनों तरफ डेढ़ मीटर के फुटपाथ हैं। पुल में 10 केबल लगेंगे। इसका डिजाइन मुंबई की एक कंपनी ने तैयार किया है। फुटपाथ के दोनों किनारों पर स्टील की रेलिंग लगी है।
तार स्पैन के झंझट से मिलेगी राहत
खोलानाल, कशौड व कूण पंचायत में राशन, भवन निर्माण सामग्री आज भी दवाड़ा के तार स्पैन (ट्राली) व घोड़े-खच्चर से घर में पहुंचती है। तार स्पैन से एक क्लिंटल सामान ले जाने पर 200 रुपये किराया लगता है। घोड़े व खच्चर वाले मनमाने पैसे लेते हैं। स्पैन व घोड़े-खच्चर से सीमेंट का एक बैग इन पंचायतों तक पहुंचाने में 200 रुपये तक खर्च आता है।
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