कृषि विश्वविद्यालय पालमपुर की जमीन पर टूरिस्ट विलेज पार्क बनाए जाने का विरोध, भाजपा ने राज्यपाल को SDM के माध्यम से ज्ञापन सौंपा

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पालमपुर, हिमाचल प्रदेश – 20 अगस्त, 2024: पालमपुर कृषि विश्वविद्यालय की जमीन पर टूरिस्ट विलेज पार्क बनाए जाने के फैसले का व्यापक विरोध हो रहा है, जिससे राजनीतिक और सामाजिक हलकों में हलचल मच गई है। इस विवादित मुद्दे के खिलाफ, भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने आज एक आक्रोश रैली का आयोजन किया, जो राज्यपाल को ज्ञापन सौंपने के साथ संपन्न हुई। यह ज्ञापन उपमंडल अधिकारी (SDM) के माध्यम से दिया गया।

विश्वविद्यालय की जमीन पर टूरिस्ट विलेज पार्क बनाने के प्रस्ताव ने किसानों, राजनीतिक दलों और शैक्षिक समुदाय के बीच चिंता बढ़ा दी है। भाजपा, इस निर्णय के खिलाफ नेतृत्व कर रही है, और दावा कर रही है कि यह कृषि भूमि अनुसंधान और विकास गतिविधियों के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है, जिससे क्षेत्र के किसानों को प्रत्यक्ष लाभ होता है। पार्टी को डर है कि इस भूमि का गैर-कृषि उपयोग में परिवर्तन करने से राज्य के कृषि क्षेत्र पर दीर्घकालिक नकारात्मक प्रभाव पड़ सकता है।

प्रदर्शन के दौरान, भाजपा नेता और समर्थक बड़ी संख्या में पालमपुर की सड़कों पर उतरे, अपने असंतोष को व्यक्त करते हुए। इस रैली में नारों और भाषणों के माध्यम से पार्टी की प्रतिबद्धता को उजागर किया गया, जिसमें उन्होंने कृषि समुदाय के हितों की रक्षा करने और जमीन को उसके मूल उद्देश्य के लिए समर्पित रखने की मांग की।

राज्यपाल को सौंपे गए ज्ञापन में, भाजपा ने कई महत्वपूर्ण चिंताओं को उजागर किया। उन्होंने कृषि भूमि को अनुसंधान और नवाचार के लिए संरक्षित रखने के महत्व पर जोर दिया, जो राज्य की कृषि उत्पादकता को बनाए रखने और बढ़ाने के लिए महत्वपूर्ण है। ज्ञापन में सरकार से इस फैसले पर पुनर्विचार करने और प्रस्तावित टूरिस्ट विलेज पार्क के लिए वैकल्पिक स्थानों की खोज करने का आग्रह किया गया, जो विश्वविद्यालय की जमीन से अलग हो।

“पालमपुर कृषि विश्वविद्यालय की जमीन एक राष्ट्रीय संपत्ति है, जो हमारे किसानों के लाभ के लिए अनुसंधान का आधार है। हम इसे उस परियोजना के लिए पुन:निर्देशित नहीं होने दे सकते, जो विश्वविद्यालय के मुख्य उद्देश्य से मेल नहीं खाती,” भाजपा के एक प्रवक्ता ने रैली के दौरान कहा।

प्रदर्शन को महत्वपूर्ण समर्थन मिला है, जिसमें विभिन्न किसान संगठन और सामुदायिक नेता भाजपा के इस मुद्दे पर समर्थन में खड़े हैं। उनका मानना ​​है कि राज्य का कृषि क्षेत्र, जो पहले से ही कई चुनौतियों का सामना कर रहा है, इस महत्वपूर्ण अनुसंधान भूमि को गैर-कृषि विकास के लिए खोने का जोखिम नहीं उठा सकता।

प्रदर्शन के समापन के बाद, ज्ञापन को SDM को सौंपा गया, जिन्होंने प्रदर्शनकारियों को आश्वासन दिया कि उनकी चिंताओं को राज्यपाल तक पहुंचाया जाएगा। भाजपा ने इस निर्णय को पलटने तक अपने विरोध को जारी रखने की प्रतिज्ञा की है, और हिमाचल प्रदेश में कृषि समुदाय के हितों की रक्षा करने की अपनी प्रतिबद्धता को दोहराया है।

इस विरोध के परिणाम और राज्य सरकार द्वारा उठाए जाने वाले आगामी कदमों पर बारीकी से नजर रखी जाएगी, क्योंकि इससे राज्य में कृषि भूमि के प्रबंधन और संरक्षण के तरीके पर एक मिसाल कायम हो सकती है। इस विवाद ने विकास और महत्वपूर्ण कृषि संसाधनों के संरक्षण के बीच संतुलन पर भी एक व्यापक बहस छेड़ दी है।

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