29 सितंबर 1968 को मंडी में जन्मीं प्रो. सिम्मी अग्निहोत्री का नाम शिक्षा के आकाश में एक नक्षत्र की तरह चमकता रहेगा। वे 9 फरवरी 2024 को अपनी सांसारिक यात्रा पूरी करके माता श्री चिंतपूर्णी की दिव्य ज्योति में विलीन हो गईं। लेकिन अपने छोटे से जीवन काल में उनकी अनगिनत अकादमिक उपलब्धियां अंतरराष्ट्रीय शैक्षणिक मंचों पर भारतीय शिक्षा का प्रतिनिधित्व करती हैं। हरोली कॉलेज का नामकरण प्रो. सिम्मी अग्निहोत्री के नाम पर करना यहां पढ़ने वाले हर विद्यार्थी के लिए ज्ञान की वृहद परंपरा से जुड़ने और असाधारण शैक्षणिक कर्तृत्व संपन्न व्यक्तित्व से जुड़ने का गौरव प्रदान करता है।
उत्कृष्ट शिक्षा केंद्र की तरह विकसित किया जा रहे प्रो. सिम्मी अग्निहोत्री कॉलेज हरोली में मानविकी, विज्ञान और वाणिज्य स्ट्रीम के सभी विषयों के साथ साथ बीबीए और बीसीए जैसे व्यवसायिक कोर्स और ललित कलाओं में म्यूजिक समेत अन्य विधाओं में भी डिग्री कोर्सज उपलब्ध हैं।
प्रो. सिम्मी का जन्म मंडी नगर का है, बचपन से ही अध्ययनशील, विलक्षण मेधा सम्पन्न सिम्मी ने वहां राजकीय कन्या विद्यालय से स्कूली पढ़ाई और वल्लभ डिग्री कॉलेज मंडी से ग्रेजुएशन के बाद हिमाचल प्रदेश विश्वविद्यालय से पब्लिक एडमिनिस्ट्रेशन में एमफिल और पीएचडी की। स्कूली दिनों से ही पढ़ाई में अव्वल रहने पर उन्हें स्कॉलरशिप मिलने का जो सिलसिला आरंभ हुआ वो पीएचडी पर्यंत जारी रहा।
वे छोटी ही आयु में वर्ष 1998 में हिमाचल प्रदेश विश्वविद्यालय में पढ़ाने लगीं । बहुआयामी प्रतिभा की धनी प्रो0 सिम्मी विद्यालय, महाविद्यालय, विश्वविद्यालय सभी जगह विभिन्न क्षेत्रों में अपनी विलक्षण प्रतिभा के सशक्त हस्ताक्षर दर्ज करवाती रहीं ।
उनकी असाधारण अकादमिक यात्रा ने उन्हें एक आदर्श शिक्षाविद के रूप में स्थापित किया। विद्यार्थियों की चहेती, पसंदीदा टीचर, उत्कृष्ट शिक्षाविद, प्रो. सिम्मी ने अनेकों विद्यार्थियों को पीएचडी और एमफिल की रिसर्च में गाइड किया। प्रो. सिम्मी के विद्वतापूर्ण लेख और शोध पत्र न केवल शिक्षा की दुनिया में महत्वपूर्ण स्थान रखते हैं, बल्कि सामाजिक मुद्दों पर भी बहुत मजबूत और गहन विचार प्रस्तुत करते हैं।
हिमाचल प्रदेश विश्वविद्यालय में पब्लिक एडमिनिस्ट्रेशन की प्रोफेसर के रूप में अपने ज्ञान और अनुभव से उन्होंने अनगिनत जीवनों को रोशन किया। विभाग की 3 बार चेयरपर्सन रहते हुए उन्होंने न केवल अपने विषय में गहराई से योगदान दिया, बल्कि अपने विद्यार्थियों को भी एक नई दिशा दिखाने का काम किया, उन्होंने ज्ञान का ऐसा दीप जलाया, जो आने वाली पीढ़ियों को प्रेरित करता रहेगा।
प्रो. सिम्मी जी के विशद ज्ञान और अनुभव की अनुगूंज केवल विश्वविद्यालय तक या प्रदेश तक ही सीमित नहीं थी, उन्होंने यूजीसी के कितने ही सम्मेलनों में भाग लेकर और अंतरराष्ट्रीय शैक्षणिक मंचों पर अनेक बार भारतीय शिक्षा का प्रतिनिधित्व कर, भारत का नाम रोशन किया।
पिछले साल उन्हें शिक्षा और शोध के क्षेत्र में विशिष्ट योगदान के लिए वियतनाम इंटरनेशनल अचीवर्स अवार्ड से भी अलंकृत किया गया था। उन्हें देश की नामी संस्थाओं ने अंतरराष्ट्रीय बेस्ट टीचर अवार्ड, वूमन अचीवर अवॉर्ड और नारी शक्ति अवार्ड समेत न जाने कितने अलंकरणों से नवाजा। उनकी लिखी एक पुस्तक का विमोचन उनके निधन से कुछ दिन पहले ही माननीय राज्यपाल के कर कमलों द्वारा सम्पन्न हुआ था।
ये शिक्षा क्षेत्र में उनके अतुलनीय योगदान की ही तस्दीक है कि उनकी मृत्यु के बाद भी कई विश्वविद्यालयों द्वारा उनके लिए मानद डिग्रियां प्रदान की गईं।
वे एक ऐसी सामाजिक कार्यकर्ता थीं, जिन्होंने समाज में जागरूकता की लहर पैदा की। वे आस्था फाउंडेशन के नाम से एक एनजीओ का संचालन कर रही थीं । नशे के खिलाफ आंदोलन, सड़क सुरक्षा अभियान, सामाजिक कार्य में सहभागिता तथा हर क्षेत्र में उनकी सहभागिता समाज सेवा के कार्य में उनकी लगातार सक्रियता की बानगी रहे।
धर्मपत्नी के रूप में उपमुख्यमंत्री मुकेश अग्निहोत्री का संबल बनीं प्रो. सिम्मी सबके लिए स्नेह, समझदारी व सीख का भंडार थीं । इरादों की ऐसी अटल कि लगातार 5 बार विधायक के रूप में रिकॉर्ड मतों से विजयी रहे श्री अग्निहोत्री की पांचों जीत में निर्णायक भूमिका निभाने वाली प्रो. सिम्मी नंगे पांव माता चिंतपूर्णी, माता ज्वालामुखी, बगलामुखी जी, शीश नवाने घर से पैदल पहुंचतीं।
प्रो. सिम्मी ने अपनी इकलौती बेटी डॉ. आस्था अग्निहोत्री को जो समृद्ध संस्कार दिए, ऊंची शिक्षा दी उनका सुफल है कि वे हिमाचल प्रदेश विश्वविद्यालय से ह्यूमन राइट्स में पीएचडी तथा हेग एकेडमी ऑफ इंटरनेशनल लॉ से उच्चतर शिक्षा प्राप्त करके अपनी मां प्रो. सिम्मी अग्निहोत्री की शिक्षा, ज्ञान और समाज विकास की महान परंपरा को आगे बढ़ा रही हैं। हिमाचल प्रदेश विश्वविद्यालय में सहायक प्रोफेसर डॉ. आस्था प्रो. सिम्मी की तरह ही स्पष्ट सोच की एक दृढ़ व्यक्तित्व और उन्हीं की तरह मददगार हैं।
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