प्रदेश सरकार में उद्योग मंत्री हर्षवर्धन चौहान और लोक निर्माण मंत्री विक्रमादित्य सिंह ने भाजपा को आड़े हाथ लिया है। आज यहां जारी प्रेस वक्तव्य में दोनों मंत्रियों ने पूछा कि भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा और सांसद अनुराग सिंह ठाकुर केंद्र सरकार से हिमाचल प्रदेश को उसका हक कब दिलाएंगे। भाजपा प्रदेश विरोधी है, इसलिए हिमाचल को केंद्र से मिलने वाली राशि को रुकवा रही है। जब से प्रदेश की सुक्खू सरकार ने 1.36 लाख कर्मचारियों को ओल्ड पेंशन स्कीम का लाभ दिया है, तबसे भाजपा नेता कांग्रेस सरकार और मुख्यमंत्री ठाकुर सुखविंद्र सिंह सुक्खू के खिलाफ षड्यंत्र रचने में लगे हुए हैं। लेकिन, उनका ऑपरेशन लोटस जनबल की ताकत के आगे फेल हो चुका है। नड्डा भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष हैं, उन्हें हिमाचल में आकर सनसनी फैलाने के बजाय गरिमा में रहकर और तथ्यों पर आधारित बात करनी चाहिए।
हर्षवर्धन चौहान और विक्रमादित्य सिंह ने कहा कि एनपीएस कर्मचारियों के अंशदान और सरकार के हिस्से के लगभग 10 हजार करोड़ रुपये पर केंद्र सरकार कुंडली मारकर बैठी हुई है। जब 1.36 लाख कर्मचारियों को ओल्ड पेंशन स्कीम का लाभ मिल चुका है और रिटायर हो रहे कर्मचारियों को ओल्ड पेंशन मिल रही है तो केंद्र को हिमाचल सरकार व एनपीएस में शामिल रहे कर्मचारियों के 10 हजार करोड़ रुपये तुरंत वापस लौटने चाहिए। पुरानी पेंशन योजना लागू करने पर केन्द्र सरकार ने हिमाचल प्रदेश पर कई पाबंदियां लगाई हैं, जिसके तहत इस वित्त वर्ष में ऋण लेने की सीमा 6600 करोड़ रुपये तय की गई है। इसके साथ ही बाह्य सहायता प्राप्त परियोजनाओं के लिए तीन वर्ष में कुल 2900 करोड़ रुपये लेने की सीमा तय की है, जबकि पहले इसके लिए कोई सीमा तय नहीं थी। इसके अतिरिक्त वर्तमान राज्य सरकार को ओपीएस लागू करने पर 1780 करोड़ रुपये की ग्रांट भी नहीं मिल रही है। उन्होंने कहा कि जेपी नड्डा व अनुराग सिंह ठाकुर बताएं, केन्द्र सरकार से हिमाचल पर लगी इन पाबंदियों को हटाने के लिए उन्होंने क्या प्रयास किए। वर्तमान राज्य सरकार अपने संसाधनों से राजस्व में वृद्धि कर रही है। भाजपा नेता किस मुंह से कांग्रेस सरकार पर आरोप लगाते हैं, जबकि वे खुद हिमाचल के हक का पैसा रुकवाने में लगे हुए हैं। पूर्व भाजपा सरकार ने अपने कार्यकाल के अंतिम छह महीनों में 5000 करोड़ की मुफ्त रेवड़ियां बांटी, जिससे सरकारी खजाने पर अतिरिक्त वित्तीय बोझ पड़ा।
उन्होंने कहा कि हिमाचल प्रदेश में आई भयंकर आपदा में भाजपा ने सिर्फ राजनीति की, केंद्र सरकार ने प्रदेश को फूटी कौड़ी तक नहीं दी। पीडीएनए (पोस्ट डिजास्टर नीड असेसमेंट) के तहत मिलने वाले क्लेम की राशि हिमाचल को केंद्र सरकार ने नहीं दी। केंद्र की टीमें हिमाचल का दौरा कर गईं, राज्य सरकार ने 9900 करोड़ रुपये के संशोधित क्लेम केंद्र को भेजे, मगर आज तक कुछ नहीं मिला। प्रदेश सरकार ने अपने संसाधनों से आपदा प्रभावितों को 4500 करोड़ रुपये का राहत पैकेज दिया और 23000 आंशिक व पूरी तरह क्षतिग्रस्त घर फिर से बसाए। घर बनाने के लिए पहले केवल 1.30 लाख रुपये मिलते थे, राहत मैन्युअल में बदलाव कर सुक्खू सरकार ने 7 लाख रुपये प्रदान किए। भाजपा विधायक दल तो विधानसभा में हिमाचल की आपदा को राष्ट्रीय आपदा घोषित करने के प्रस्ताव का समर्थन करने के बजाय वाकआऊट कर गया।
वहीं उप-मुख्य सचेतक केवल सिंह पठानिया ने केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री जगत प्रकाश नड्डा के बयान पर पलटवार करते हुए कहा कि संघीय ढांचे में राज्यों को वित्तीय मदद देना केंद्र सरकार की जिम्मेदारी है। उन्होंने कहा कि ऐसा पहली बार नहीं हो रहा है कि केंद्र सरकार हिमाचल प्रदेश को पैसा दे रही है। उन्होंने कहा कि योजनागत और गैर योजनागत बजट जारी करना केंद्र सरकार का दायित्व है।
केवल सिंह पठानिया ने कहा कि लोकसभा चुनावों में प्रदेश की 62 प्रतिशत जनता ने भाजपा के पक्ष में मतदान कर भाजपा के चारों सांसदों को जिताकर संसद में भेजा है। इसके बाद केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री जगत प्रकाश नड्डा की जिम्मेदारी और बढ़ गई है। उन्होंने कहा कि जगत प्रकाश नड्डा केंद्र में राज्य का प्रतिनिधित्व कर रहे हैं और राज्य को बजट देना उनका नैतिक दायित्व है।
मंत्रियों ने कहा कि प्रदेश में कर्मचारियों को ओपीएस भी मिल रही है और पात्र महिलाओं को 1500 रुपये प्रतिमाह भी दिए जा रहे हैं। भाजपा इससे बौखलाकर कांग्रेस सरकार के खिलाफ कभी आर्थिक संकट तो कभी टॉयलेट शुल्क वसूलने की अफवाहें फैला रही है, लेकिन उसके मंसूबे पूरे होने वाले नहीं हैं, क्योंकि हिमाचल की जनता शिक्षित व समझदार है। हिमाचल में कोई आर्थिक तंगी नहीं है और राज्य सरकार व्यवस्था परिवर्तन से आत्मनिर्भरता की ओर तेजी से बढ़ रही है। वित्तीय रूप से आत्मनिर्भर बनने के लिए कई बार कड़े कदम उठाने पड़ते हैं। राज्य सरकार हिमाचल के हितों को लेकर लड़ाई लड़ रही है। उन्होंने कहा कि भाजपा सरकार के कार्यकाल में पुलिस भर्ती घोटाला हुआ, जिसकी जांच तक नहीं करवाई गई। हिमाचल प्रदेश कर्मचारी चयन आयोग में पेपर बेचे गए जिसे देखते हुए राज्य सरकार ने इसे भंग कर दिया। उन्होंने कहा कि पिछली सरकार के कार्यकाल में ही 100 करोड़ रुपये का खनन घोटाला तथा क्रिप्टो करंसी घोटाला भी हुआ है।
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