आदर्श ग्राम में रूपांतरित होंगे जनजातीय जनसंख्या वाले गांव

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जिले के 7 गांवों के समग्र विकास पर खर्च होंगे 20 लाख: एडीएम

धर्मशाला, 10 दिसम्बर। प्रधानमंत्री आदि आदर्श ग्राम योजना के तहत जिला कांगड़ा के सात जनजातीय गांवों के समग्र विकास के लिए 20 लाख 38 हजार रूपये की राशि स्वीकृत की गई है। संबंधित विकास खंड कार्यालयों द्वारा मुल्यांकन और स्वीकृति के बाद इनपर कार्य शुरु कर दिया जाएगा। प्रधानमंत्री आदि आदर्श ग्राम योजना के विस्तारित कार्यक्रम धरती आबा जनजातीय ग्राम उत्कर्ष अभियान की समीक्षा को लेकर आयोजित बैठक की अध्यक्षता करते हुए अतिरिक्त जिला दंडाधिकारी डॉ. हरीश गज्जू ने यह बात कही। उपायुक्त कार्यालय में आज मंगलवार को आयोजित इस बैठक में जिला योजना अधिकारी आलोक धवन सहित विभिन्न विभागों के अधिकारियों ने भाग लिया।
50 प्रतिशत से अधिक जनजाति जनसंख्या वाले गांव होंगे पात्र
बैठक के बारे जानकारी देते हुए एडीएम ने बताया कि प्रधानमंत्री आदि आदर्श ग्राम योजना का उद्देश्य विशिष्ट जनजातीय जनसंख्या वाले गांवों को आदर्श ग्राम में रूपांतरित करना है। इसके तहत कम से कम 50 प्रतिशत अनुसूचित जनजाति और 500 से अधिक अनुसूचित जनजाति आबादी वाले गांवों को कवर किया जाएगा। योजना के तहत जनजातीय आबादी वाले गांवों में सड़क संपर्क, दूरसंचार संपर्क, विद्यालय, आंगनबाड़ी केंद्र, स्वास्थ्य उप-केंद्र, पेयजल सुविधा, जल निकासी और ठोस कचरा प्रबंधन जैसे 8 क्षेत्रों में प्रमुखता से कार्य किया जाएगा। एडीएम ने बताया कि जिला कांगड़ा के 6 विकास खंडों की 16 पंचायतों के 19 गांव इसके दायरे में आते हैं।
अभियान के तहत बनेंगे जनजातीय बहुउद्देशीय विपणन केंद्र
एडीएम ने बताया कि धरती आबा जनजातीय ग्राम उत्कर्ष अभियान के तहत जिले में जनजातीय बहुउद्देशीय विपणन केंद्र भी प्रस्तावित हैं, जिसके माध्यम से जनजातीय उत्पादों के विक्रय के लिए स्थान उपलब्ध करवाया जाएगा। उन्होंने बताया कि अभियान के तहत अगले 5 वर्षों में 17 मंत्रालयों के समन्वित प्रयासों से 25 योजनाओं पर ध्यान केंद्रित किया जाएगा। इसके लिए भारत सरकार द्वारा जनजातीय बहुल गांवों के विकास के लिए 79,156 करोड़ रुपये के बजट का प्रावधान किया गया है। इसका उद्देश्य जनजातीय क्षेत्रों और समुदायों के समग्र और सतत विकास को सुनिश्चित करना है।
जनजातीय छात्रावास के लिए मांगे प्रस्ताव
बैठक की अध्यक्षता करते हुए एडीएम ने जिला कांगड़ा के जनजातीय बहूल क्षेत्रों में चल रहे सरकारी महाविद्यालयों से जनजातीय छात्रावास बनवाने हेतु प्रस्ताव मांगे। उन्होंने इस दौरान धर्मशाला, पालमपुर और बैजनाथ कॉलेज से आए प्रतिनिधि प्रध्यापकों को अपने यहां जनजातीय छात्रावास के निर्माण और उन्नयन के लिए प्रस्ताव भेजने के निर्देश दिए। उन्होंने कहा कि अन्य जनजातीय आवासीय शिक्षण संस्थान भी योजना के तहत अपने यहां छात्रावास का निर्माण करवा सकते हैं। इसके अलावा संबंधित शिक्षण संस्थानों में क्लासरूम, शौचालय, फर्निचर और स्टाफ हॉस्टल तक का निर्माण इसके तहत किया जा सकता है।

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