Himachal Assembly Election 2022: दिवाली के बहाने रूठों को मनाने की कोशिश, नाराज नेताओं के घर पहुंचे प्रत्याशी।दिवाली के बहाने चुनावी सीजन के दौरान नाराज चल रहे नेताओं को मनाने उनके घर पहुंचे। भाजपा के प्रत्याशी संजय सूद सुबह आठ बजे ही शहरी विकास मंत्री सुरेश भारद्वाज के सरकारी आवास पर पहुंचे।इस दौरान उनके साथ भाजपा के अन्य नेता भी थे। इन्होंने दिवाली की बधाई के साथ राजनीतिक चर्चा करते हुए मनाने का प्रयास भी किया। नाराजगी कहीं किसी कारण से हो तो इसे दूर करने के लिए कोई कसर नहीं छोड़ी।
वहीं कांग्रेस प्रत्याशी हरीश जनार्था खुद नाराज नेताओं को मनाने में जुट गए हैं। मंगलवार सुबह 9:30 बजे वह कांग्रेस जिला अध्यक्ष जितेंद्र चौधरी के घर पहुंचे। उनसे लंबी मंत्रणा की और प्रचार में शामिल होने का आग्रह किया। टिकट की दौड़ में शामिल अन्य नेताओं आदर्श सूद, नरेश चौहान व अन्य वरिष्ठ नेताओं के घर पहुंचे तो कइयों से फोन पर बात की है। हरीश जनार्था के समक्ष पहली चुनौती कांग्रेस नेताओं को एकजुट करने की है।
सूत्रों की माने तो नेताओं की नाराजगी अभी भी बरकरार है। अब बड़े नेता खुद इनसे बात करेंगे। कांग्रेस पार्टी के प्रत्याशी हरीश जनार्था के नामांकन के दिन जिला कांग्रेस कमेटी शिमला शहरी सहित सभी पाषर्दों ने दूरी बनाई थी। नामांकन के बाद प्रचार में भी शहरी इकाई अभी तक नजर नहीं आ रही है। मामला पार्टी हाईकमान तक पहुंच गया है। इसके लिए बड़े नेताओं को डैमेज कंट्रोल का जिम्मा दिया गया है।
कांग्रेस पार्टी में शिमला शहरी सीट से 40 नेताओं ने टिकट के लिए आवेदन किया था। पार्टी हाईकमान ने पार्टी उपाध्यक्ष हरीश जनार्था को चुनावी मैदान में उतारा है। जनार्था ने पिछली बार आजाद प्रत्याशी के रूप में चुनाव लड़ा था। शहरी कमेटी जो पिछले तीन सालों से सबसे एक्टिव थी। पार्टी के हर कार्यक्रम चाहे पार्टी की बैठकें हो या धरने प्रदर्शन सबमें उनकी भूमिका सबसे ज्यादा रहती थी। चुनाव प्रचार से दूरी बनाने को लेकर कई तरह के सवाल खड़े हो गए हैं।
कांग्रेस में इसलिए है कमेटी की नाराजगी
हरीश जनार्था पूर्व मुख्यमंत्री स्व. वीरभद्र सिंह के करीबी माने जाते हैं। वर्ष 2012 के चुनाव में उन्हें पार्टी से टिकट मिला था। चुनाव में उन्हें हार का सामना करना पड़ा था। इसके 2017 के चुनाव में उनका टिकट कटा तो वह आजाद प्रत्याशी के तौर पर चुनावी मैदान में उतरे। कोरोना काल में शहरी कमेटी काफी सक्रियता से फील्ड में काम करती रही। इसलिए वह टिकट का दावा ठोक रही थी। लेकिन टिकट हरीश जनार्था को ही मिला। इसलिए ये नेता नाराज है।
भाजपा का रहा है दबदबा
शिमला शहरी सीट पर भाजपा का दबदबा शुरू से ही रहा है। 1967, 1972, 1977, 1982 में पहले जनता दल ने यह सीट जीती। इसके बाद भाजपा से दौलत राम चौहान यहां पर चुनाव जीते थे। 1985 में हुए विधानसभा चुनावों में कांग्रेस प्रत्याशी हरभजन सिंह भज्जी ने यह सीट जीताकर शिमला शहर में कांग्रेस का खाता खोला था। 1990 में भपजा के सुरेश भारद्वाज ने जीत हासिल की। 1993 में माकपा के प्रतयाशी राकेश सिंघा ने चुनाव जीता। यह पहला मौका था जब कांग्रेस भाजपा के अलावा कोई तीसरे दल का प्रत्याशी जीता था। 1996 में कांग्रेस के आदर्श सूद, 1998 में भाजपा के नरेंद्र बरागटा ने जीत हासिल की। 2003 में हरभजन सिंह भज्जी जीते। इसके बाद यह सीट लगातार भाजपा जीतती आ रही है। इस सीट से भाजपा ने इस बार मंत्री सुरेश भारदाज का टिकट बदलकर संजय सूद को दिया है। मंत्री कुसुम्पटी से भाजपा के प्रत्याशी है।
बगावत से कांग्रेस हार रही सीट
कांग्रेस में आपसी गुटबाजी व बगावत से शिमला शहर की सीट पर हार का सामना करना पड़ रहा है। वर्ष 2017 के विधानसभा चुनावों में भाजपा ने यह सीट अच्छे मार्जन से जीती थी। सुरेश भारद्वाज को 14012 वोट मिले थे। कांग्रेस से बागी होकर हरीष जनार्था ने चुनाव लड़ा था उन्हें चुनाव में 12109 मत मिले थे। सीपीआई के संजय चौहान को 3047 वोट मिले थे जबकि कांग्रेस हरभजन सिंह भज्जी की 2680 मत मिले थे।
ठियोग और चौपाल में भी मुश्किल में कांग्रेस
शिमला जिला कांग्रेस का गढ़ माना जाता है। इस बार शिमला शहरी के अलावा ठियोग और चौपाल में भी कांग्रेस में गुटबाजी देखने को मिल रही है। ठियोग में विजयपाल सिंह खाची और चौपाल में डॉ. सुभाष मंगलेट ने आजाद प्रत्याशी के तौर पर नामांकन किया है। यह दोनों कांग्रेस की मुशिकलें बढ़ा सकते हैं।
किमटा की चेतावनी, परिणाम भुगतने को रहे तैयार
हिमाचल विधानसभा चुनाव के दौरान कांग्रेस पार्टी में लगभग एक महीने तक टिकटों को लेकर सियासी घमासान मचा रहा और अब टिकट बंटने के बाद नेताओं की आपसी लड़ाई खुलकर देखने को मिल रही है। शिमला जिले की चौपाल सीट से कांग्रेस प्रत्याशी रजनीश किमटा तो एक सभा में खुलेआम धमकी देते नजर आए। चौपाल सीट पर कांग्रेस के ही पूर्व विधायक सुभाष मंगलेट की बगावत से परेशान दिख रहे किमटा ने अपनी एक सभा में किसी का नाम लिए बगैर कहा कि पहले समझाओ, फिर आगाह करो और न माने तो परिणाम भुगतने को तैयार रहे। उधर रजनीश किमटा की इस धमकी पर दो बार के विधायक डॉ. सुभाष मंगलेट ने कहा कि वह परिणाम भुगतने को तैयार है। दरअसल किमटा अपनी हार देखकर बौखला गए हैं और ये धमकी उनकी बौखलाहट को ही दिखाती है। इंटरनेट मीडिया पर नेताओं के साथ साथ समर्थक भी भिड़ रहे हैं।
http://dhunt.in/E7iyj?s=a&uu=0x5f088b84e733753e&ss=pd Source : “जागरण”
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