हिमाचल: देहरा और ज्वालामुखी सीट पर BJP की राह आसान नहीं, प्रत्याशियों में बदलाव बना मुसीबत

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हिमाचल: देहरा और ज्वालामुखी सीट पर BJP की राह आसान नहीं, प्रत्याशियों में बदलाव बना मुसीबत। भारतीय जनता पार्टी (BJP) का दांव कांगड़ा जिले की दोहरा और ज्वालामुखी सीट पर उल्टा पड़ता नजर आ रहा है। भाजपा ने यहां सीटों की अदला-बदली कर भले ही चुनाव जीतने की रणनीति बनाई हो, लेकिन जमीनी हकीकत यह है कि दोनों ही सीटों पर बगावत की वजह से भाजपा उम्मीदवार चुनावी फेर में फंस गए हैं और उन्हें अपनों को मनाने के लिए खूब पसीना बहाना पड़ रहा है।दरअसल, कुछ माह पहले देहरा और जोगिंदर नगर में पिछली बार निर्दलीय चुनाव जीते दो विधायकों की भाजपा में एंट्री हुई, तो स्थानीय स्तर पर इसका व्यापक विरोध हुआ। व्यापक विरोध के बावजूद भी जोगिंदर नगर में निर्दलीय विधायक प्रकाश राणा तो भाजपा का टिकट लेने में सफल हो गये। लेकिन, देहरा में मंडल की ओर से विरोध को देखते हुए भाजपा ने अपने कदम पीछे हटा लिए। सारे विवाद में अगर देहरा में निर्दलीय विधायक को टिकट मिला, तो पिछली बार चुनाव हारे भाजपा नेता रविंद्र सिंह रवि का पत्ता कट जाता। इसी के चलते रवि भी अड गए और उन्होंने कांग्रेस पार्टी के प्रभारी राजीव शुक्ला से संपर्क कर सुजह से अपना टिकट पक्का करा लिया।

अगर रवि कांग्रेस में जाते तो कांगड़ा जिला में भाजपा को इसका नुकसान हो सकता था। खासकर हमीरपुर संसदीय चुनाव क्षेत्र में भी 2024 के चुनावों पर प्रतिकूल असर पडता। यही वजह थी कि केंद्रीय मंत्री अनुराग ठाकुर हरकत में आये और उन्होंने रवि को कांग्रेस में जाने से रोक लिया। इस कवायद में अनुराग ठाकुर एक नया फार्मूला लेकर आए। इस फार्मूले में ज्वालामुखी से भाजपा के विधायक रमेश धवाला को देहरा भेजा गया और रविंद्र सिंह रवि को देहरा से ज्वालामुखी का टिकट दिया गया। इसके पीछे कारण यह रहा है कि डिलिमिटेशन के दौरान रविंद्र सिंह रवि के पुराने चुनाव क्षेत्र थुरल की सात पंचायतें ज्वालामुखी में शामिल हुईं हैं और ज्वालामुखी की कुछ पंचायतें और देहरा शहर नए बने देहरा विधानसभा क्षेत्र में शामिल हुआ है।

लेकिन, इस निर्णय को दोनों ही चुनाव क्षेत्रों में भाजपा के ही लोग अब आसानी से पचा नहीं पा रहे हैं। देहरा में निर्दलीय विधायक होशियार सिंह ने बगावत करते हुए एक बार फिर निर्दलीय ही अपना नामांकन भर दिया है। जिससे भाजपा प्रत्याशी की राहों में कांटे बिछते नजर आ रहे हैं। बगावत के चलते यहां भाजपा दो गुटों में बंटती नजर आ रही है। वहीं, जातिवाद भी अपना रंग दिखाने लगा है। इलाके का राजपूत समुदाय होशियार सिंह के साथ लामबंद होने लगा है। जिससे रमेश धवाला की मुश्किलें बढ़ने लगी है। इसी तरह हाल ही में कांग्रेस छोड़ भाजपा में आये पूर्व विधायक योग राज ने भी भाजपा से अपना मुंह फुला लिया है। योग राज ने भाजपा के कार्यक्रमों से किनारा कर लिया है। जिससे यहां भाजपा का चुनाव प्रचार अभी गति नहीं पकड़ पा रहा है।

रमेश धवाला बीच मझधार में फंस गये हैं। योग राज की वजह से ढलियारा बैल्ट और होशियार सिंह की वजह से हरिपुर बेल्ट में भाजपा को नुकसान होने का अंदेशा जताया जा रहा है। हालांकि, भाजपा प्रत्याशी रमेश घवाला देहरा शहर और सनोट से लेकर रैंटा धवाला तक मजबूत स्थिती में हैं। उनके राजनीतिक भविष्य का सारा दारोमदार उनकी अपनी बिरादरी पर है। यही हाल, ज्वालामुखी में है। यहां भाजपा प्रत्याशी रविंद्र सिंह रवि की राहें भाजपा के बागी अतुल चौधरी ने मुश्किल कर दी हैं। रवि के लिए चुनाव क्षेत्र नया है और यहां अतुल चौधरी ने बिरादरी वाद का झंडा बुलंद कर दिया है, जिससे रवि की मुश्किलें बढती जा रही है।

हिमाचल चुनाव के लिए कांग्रेस नहीं बना पा रही रणनीति, हर दिन पार्टी में पड़ रही फूट

भाजपा के बागी अतुल चौधरी के साथ भाजपा का बड़ा वोट बैंक चला गया है, जिससे चुनावी महौल में जातिवाद अपना रंग दिखाने लगा है। जिससे मुकाबला त्रिकोणीय होने लगा है। ज्वालामुखी चंगर और बलिहार दो इलाकों में बंटा है। अतुल चौधरी की बगावत बलिहार में अपना रंग दिखाने लगी है। रवि के सामने सबसे बडी चुनौती सबको साथ लेकर चलने की है। भाजपा की सबसे बड़ी कमजोरी ज्वालामुखी शहर है। यहां हर बार भाजपा पिछडती रही है। रवि के खिलाफ बाहरी होने का आरोप भी लग रहा है। मतदान के लिए कम समय बचा है। हर बूथ तक पहुंचना रवि के लिए आसान नहीं है। कुल मिलाकर देहरा और ज्वालामुखी में केंद्रीय मंत्री अनुराग ठाकुर की प्रतिष्ठा भी दांव पर है।

http://dhunt.in/EcXPP?s=a&uu=0x5f088b84e733753e&ss=pd Source : “OneIndia”

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