अमरीका के नौसेना सचिव श्री कार्लोस डेल टोरो 17-21 नवंबर 2022 तक पांच दिवसीय आधिकारिक यात्रा परभारत आये हुए हैं। इस दौरान वे नई दिल्ली में नौसेनाध्यक्षएडमिरल आर हरि कुमार और भारत सरकार के उच्चपदस्थ अधिकारियों के साथ बैठक करेंगे। श्री कार्लोस डेलटोरो कोच्चि में भारतीय नौसेना के दक्षिणी नौसेना कमानका भ्रमण करेंगे, वे वहां पर दक्षिणी नौसेना कमान केकमांडर-इन-चीफ के साथ बातचीत करेंगे और कोचीनशिपयार्ड में भारत के पहले स्वदेशी विमान वाहकआईएनएस विक्रांत का दौरा भी करेंगे।
भारत और अमरीका ने परंपरागत रूप से घनिष्ठ एवंमैत्रीपूर्ण संबंध स्थापित किये हैं। दोनों देशों के बीच रक्षासंबंध आपसी विश्वास तथा भरोसे के रहे हैं, जो जून2016 में भारत को प्रमुख ‘रक्षा भागीदार का दर्जा’ देने केबाद काफी बदल चुके हैं। इसके अलावा, दोनों देशों ने2015 में हस्ताक्षर किए गए रक्षा ढांचा समझौता सहितकुछ अन्य मूलभूत समझौते भी किए हैं, जिनसे दोनों देशोंके रक्षा प्रतिष्ठानों के बीच आपसी सहयोग का खाकातैयार होता है। भारत और अमरीका ने वर्ष 2016 मेंलॉजिस्टिक्स एक्सचेंज मेमोरेंडम ऑफ एग्रीमेंट(एलईएमओए) पर हस्ताक्षर किये थे, जो दोनों देशों केसशस्त्र बलों के बीच पारस्परिक सैन्य तंत्र सहयोग कीसुविधा प्रदान करने वाला एक मूलभूत समझौता है। इसकेबाद, 06 सितंबर 2018 को कम्युनिकेशन कंपैटीबिलिटीएंड सिक्योरिटी एग्रीमेंट (सीओएमसीएएसए) पर हस्ताक्षरकिए गए, जिसके माध्यम दोनों देशों के सशस्त्र बलों केबीच सूचना-साझाकरण की सुविधा उपलब्ध हुई है। हालही में, भारत और अमरीका के बीच बेसिक एक्सचेंजकोऑपरेशन एग्रीमेंट (बीईसीए) भी किया गया है, जो रक्षामंत्रालय और अमरीका की नेशनल जिओ स्पेटियल एजेंसी(एनजीए) के बीच भू-स्थानिक जानकारी साझा करने मेंसक्षम बनाता है।
भारतीय नौसेना कई मामलों में अमरीकी नौसेना के साथघनिष्ठ सहयोग करती है, जिसमें मालाबार जैसे नौसैन्ययुद्धाभ्यास भी शामिल हैं। इसका पिछला संस्करण जापानके योकोसुका से 09 से 15 नवंबर 2022 तक आयोजितकिया गया था। इसके अतिरिक्त, रिमपैक 22 अभ्यासों कीश्रृंखला, प्रशिक्षण का आदान-प्रदान, व्हाइट शिपिंग(असैन्य माल वाहक पोत) सूचना का आदान-प्रदान औरऔर विभिन्न क्षेत्रों में विषय वस्तु विशेषज्ञ जैसे विभिन्नपरिचालन संबंधी मुद्दे भी सहयोग की इस परम्परा मेंशामिल हैं। इनमें से सभी का समन्वय वार्षिक रूप सेआयोजित कार्यकारी संचालन समूह (ईएसजी) की बैठकोंके माध्यम से किया जाता है। इसके अलावा, दोनोंनौसेनाओं के युद्धपोत नियमित रूप से एक-दूसरे केबंदरगाहों पर पोर्ट कॉल करते हैं। दोनों देशों की नौसेनाएं’मुक्त, खुले और समावेशी हिन्द-प्रशांत क्षेत्र’ के साझाउद्देश्य के साथ सहयोग के लिए नए विकल्प तलाशने कीदिशा में भी सहयोग कर रही हैं।
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