अनुशासित होने का दम भरने वाली बीजेपी अपने अध्यक्ष के राज्य में ही बगावत से हारी?

Read Time:6 Minute, 28 Second

अनुशासित होने का दम भरने वाली बीजेपी अपने अध्यक्ष के राज्य में ही बगावत से हारी?।हिमाचल प्रदेश (Himachal Election Result) की जनता ने एक बार फिर पहाड़ की परंपरा जारी रखी और सरकार बदल दी है.

कांग्रेस हिमाचल में पूर्ण बहुमत की सरकार बनाने जा रही है. सवाल है कि बीजेपी अध्यक्ष जेपी नड्डा (JP Nadda) के गृह राज्य और पीएम मोदी (PM Modi) के दूसरे घर कहे जाने वाले हिमाचल में आखिर रिवाज क्यों नहीं बदला? 7 कारण समझ आ रहे हैं.

1. बागियों ने बिगाड़ा खेल?

आपको वो वीडियो याद होगा जो हिमाचल चुनाव में काफी वायरल हुआ था, जिसमें पीएम मोदी एक बागी को सीधे फोन करके बैठने के लिए बोल रहे थे लेकिन पीएम मोदी की बात नहीं मानी और चुनाव लड़ा. इसका मतलब है कि बीजेपी जानती थी कि बागी उसे नुकसान पहुंचा सकते हैं लेकिन बगावत सरकार गिरा देगी, ये अंदाजा शायद उसको नहीं था. अब जरा इसे ऐसे समझिये कि हिमाचल की 68 सीटों में से 21 सीटें ऐसी थी जहां बीजेपी के बागी उम्मीदवार मैदान में उतरे थे. इनमें से कुछ सीटों के उदाहरण से इसे और बारीकी से समझिए.

फतेहपुर सीट से बीजेपी ने कैंडिडेट बदला और कृपाल परमार की जगह मंत्री राकेश पठानिया को टिकट दिया, ये वही कृपाल परमार हैं जिन्हें पीएम मोदी का करीबी कहा जा रहा था और इन्हें ही पीएम समझा रहे थे, जिसका वीडियो वायरल हुआ था. लेकिन वो नहीं माने और पठानिया के सामने चुनाव लड़ा, अब वहां से जयराम ठाकुर के मंत्री राकेश पठानिया हार गए हैं और कांग्रेस के भवानी सिंह पठानिया जीते हैं. कृपाल परमार को करीब पांच फीसदी वोट मिले हैं.

अब जेपी नड्डा के गृह जिले की सीट हमीरपुर को देखिए वहां बीजेपी के बागी सुभाष शर्मा ने निर्दलीय चुनाव लड़ा है और ये सीट भी कांटे की टक्कर वाली साबित हुई.

ऐसा नहीं है कि बगावत सिर्फ बीजेपी में हुई, कांग्रेस में काफी बागी खड़े हो गए थे. बुधवार को ही कांग्रेस ने 30 बागियों को 6 साल के लिए पार्टी से निकाला है. लेकिन जहां तक नुकसान की बात है तो वो बीजेपी को ज्यादा होता दिखा है. वैसे भी अपने अनुशासन का दम भरने वाली बीजेपी अगर अपने अध्यक्ष के राज्य में ही बगावत से हार जाती है तो बड़ी बात है.

लेकिन हार के लिए ये कोई इकलौता कारण जिम्मेदार नहीं है. इसके अलावा भी कई कारण है, जैसे-

2. एंटी इनकंबेसी

इसी की वजह से बीजेपी ने अपने 11 उम्मीदवार बदले थे और 2 मंत्रियों के क्षेत्र बदल दिये थे. क्योंकि पार्टी को अंदाजा था कि जनता जयराम ठाकुर के काम से संतुष्ट नहीं है. जो नतीजों में साफ झलक भी रहा है.

3.पुरानी पेंशन स्कीम

कांग्रेस ने वादा किया था कि अगर उनकी सरकार आई तो वो पुरानी पेंशन स्कीम को लागू करेगी. इसका विश्वास जनता को इसलिए भी हो गया क्योंकि कांग्रेस नेताओं ने उन्हें राजस्थान और छत्तीसगढ़ का उदाहरण दिया कि देखिए हमने वहां पुरानी पेंशन लागू की है. ये हिमाचल में बड़ा मुद्दा इसलिए था क्योंकि वहां रिटायर्ड कर्मचारियों की बड़ी संख्या है. और करीब साढ़े चार लाख मौजूदा कर्मचारी भी ओपीएस की मांग पर अड़े थे. इन कर्मचारियों की संख्या को अगर औसत करके देखें तो करीब 3 हजार हर सीट पर होते हैं जो हिमाचल में एक सीट पर किसी का भी खेल बिगाड़ने के लिए काफी है.

4. हर पांच साल में सत्ता बलदने का रिवाज

बगावत के साथ बीजेपी के लिए रवायत भी भारी साबित हुई और ट्रेंड को बरकरार रखते हुए हिमाचल की जनता ने सरकार फिर से पांच साल में बदल दी.

5. सेब किसानों की नाराजगी

इसके अलावा हिमाचल में सेब किसानों की नाराजगी ने भी बड़ा रोल निभाया. सेब किसान हिमाचल में बड़ी संख्या में हैं और करीब 25 सीटों पर सीधा असर रखते हैं. वो सेब पैकेजिंग के सामान पर जीएसटी 12 से 18 प्रतिशत करने और कीटनाशक का रेट बढ़ने के साथ एपीएमसी के नियमों को लेकर भी नाराज थे.

6. बेरोजगारी

इसके अलावा हिमाचल चुनाव के नतीजों में बेरोजगारी और महंगाई भी बड़ा असर दिखता है. क्योंकि यहां के युवा बड़ी संख्या में सेना की नौकरी में जाते हैं और अग्निपथ स्कीम का विरोध यहां के युवाओं ने भी किया था. इसके अलावा बेरोजगारी का हाल यहां भी देश से कुछ अलग नहीं है.

7.महंगाई

महंगाई के तड़के ने यहां बीजेपी के खेमे में ऐसी सियासी गर्मी पैदा की कि, नतीजों से पहले ही सीएम जयराम ठाकुर शिमला में बैठक करने बैठ गये.

Himachal में जारी पहाड़ की परंपरा, सिर्फ 1% ज्यादा वोट से कांग्रेस को बहुमत?

Source : “क्विंट हिंदी”

Happy
Happy
0 %
Sad
Sad
0 %
Excited
Excited
0 %
Sleepy
Sleepy
0 %
Angry
Angry
0 %
Surprise
Surprise
0 %

Average Rating

5 Star
0%
4 Star
0%
3 Star
0%
2 Star
0%
1 Star
0%

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Previous post कांग्रेस सरकार के हिमाचल सरकार मंत्रिमंडल के संभावित नाम। हो सकते नए मंत्रिमंडल में।
Next post हिमाचल-दिल्ली में भाजपा की हार पर खुश हुए सुब्रमण्यम स्वामी, बताया 2024 में विपक्ष की जीत का फॉर्मूला
error: Content is protected !!